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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

चीन में तैयार किये गए दुनिया के पहले आनुवंशिक रूप से संपादित बच्चे

  • 27 Nov 2018
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में एक चीनी शोधकर्त्ता ने दावा किया कि उसने इस महीने पैदा हुई दुनिया के पहले आनुवंशिक रूप से संपादित बच्चों- जुड़वाँ लड़कियों को बनाने में मदद की। शोधकर्त्ता के अनुसार, उसने जुड़वाँ बच्चों के डीएनए को जीवन के महत्त्वपूर्ण लक्षणों को पुनर्संपादित करने में सक्षम एक शक्तिशाली नए उपकरण के द्वारा परिवर्तित कर दिया।

प्रमुख बिंदु

  • शोधकर्त्ता हे जियानकुई के अनुसार, उसने प्रजनन उपचार के दौरान सात जोड़ों के लिये भ्रूण में परिवर्तन किया, इस प्रकार गर्भावस्था का एक परिणाम प्राप्त हुआ।
  • शोधकर्त्ता का लक्ष्य आनुवंशिक बीमारी का इलाज या उसे रोकना नहीं है, बल्कि कुछ लोगों को स्वाभाविक रूप से प्राप्त एचआईवी, एड्स वायरस के भविष्य में संभावित संक्रमण का प्रतिरोध करने की क्षमता की विशेषता को अन्य लोगों को प्रदान करने की कोशिश करना है।
  • उसके दावे की कोई स्वतंत्र पुष्टि नहीं की गई है, और न ही इसे किसी पत्रिका में प्रकाशित किया गया है, जहाँ इसका अन्य विशेषज्ञों द्वारा निरीक्षण किया गया हो।
  • इस तरह का जीन संपादन संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रतिबंधित है क्योंकि डीएनए परिवर्तन भविष्य की पीढ़ियों तक पहुँच सकते हैं और यह अन्य जीनों को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
  • हाल के वर्षों में वैज्ञानिकों ने जीन संपादन का अपेक्षाकृत आसान तरीका खोजा है, जिसमें शरीर को नियंत्रित करने वाले डीएनए स्ट्रैंड का संपादन एक उपकरण के द्वारा किया जाता है अर्थात् एक आवश्यक जीन की आपूर्ति करके या समस्या पैदा करने वाले जीन को अक्षम करके जीन संपादन किया जाता है।
  • हाल ही में वयस्कों में घातक बीमारियों का इलाज करने की कोशिश की गई है, और परिवर्तन उस व्यक्ति तक ही सीमित हैं। शुक्राणु, अंडे या भ्रूण संपादित करना इससे अलग है – ये परिवर्तन आनुवंशिक हो सकते हैं। अमेरिका में प्रयोगशाला अनुसंधान को छोड़कर और कहीं इसकी अनुमति नहीं है। चीन में मानव क्लोनिंग अवैध है लेकिन विशेष रूप से जीन संपादन नहीं।

एचआईवी से सुरक्षा हेतु प्रयोग

  • इस चीनी वैज्ञानिक ने कहा कि उसने एचआईवी के लिये भ्रूण के जीन संपादन का प्रयास चुना क्योंकि एचआईवी संक्रमण चीन में एक बड़ी समस्या है। उसने CCR5 नामक एक जीन को अक्षम करने का प्रयास किया जो एड्स वायरस एचआईवी को एक कोशिका में प्रवेश करने की अनुमति देने के लिये प्रोटीन द्वार बनाता है।
  • शोधकर्त्ता ने बताया कि यह जीन संपादन आईवीएफ या प्रयोगशाला में निषेचन के दौरान हुआ था। सबसे पहले, शुक्राणु को वीर्य से अलग करने के लिये "धोया गया" था, ताकि तरल पदार्थ में एचआईवी छिप न सके।
  • एक भ्रूण बनाने के लिये एक शुक्राणु को एक ही अंडे में रखा गया था। फिर जीन संपादन उपकरण का इस्तेमाल किया गया था। जब भ्रूण 3 से 5 दिन पुराने हो गए, तो कुछ कोशिकाओं को हटा दिया गया और संपादन के लिये चेक किया गया।
  • शोध में शामिल पुरुष एड्स से ग्रसित थे जबकि महिलाएँ सुरक्षित थीं। इन जोड़ों के पास यह विकल्प था कि गर्भावस्था के प्रयासों के लिये संपादित या अनियमित भ्रूण का उपयोग करना है या नहीं। उसने कहा कि जुडवाँ गर्भावस्था प्राप्त करने से पहले छह प्रयासों में ग्यारह भ्रूणों का इस्तेमाल किया गया था।
  • इस परीक्षण से पता चलता है कि जुडवाँ बच्चों में से एक में इच्छित जीन की दोनों प्रतियाँ बदल गई थीं और दूसरे में सिर्फ एक प्रति में ही बदलाव आया था, अन्य जीनों को नुकसान पहुँचाने का कोई सबूत नहीं था।
  • कई वैज्ञानिकों ने परीक्षण के बाद चीनी वैज्ञानिक द्वारा उपलब्ध कराई गई उन सामग्रियों की समीक्षा की और कहा कि अब तक किये गए परीक्षण निष्कर्ष निकालने के लिये अपर्याप्त हैं।

क्रिस्पर Cas9 तकनीक

  • क्रिस्पर-कैस 9 (CRISPR-Cas9) एक ऐसी तकनीक है जो वैज्ञानिकों को अनिवार्य रूप से डीएनए काटने और जोड़ने की अनुमति देती है, जिससे रोग के लिये आनुवंशिक सुधार की उम्मीद बढ़ जाती है।
  • क्रिस्पर (Clustered Regualarly Interspaced Short Palindromic Repeats) डीएनए के हिस्से हैं, जबकि कैस-9 (CRISPR-ASSOCIATED PROTEIN9-Cas9) एक एंजाइम है। हालाँकि, इसके साथ सुरक्षा और नैतिकता से संबंधित चिंताएँ जुड़ी हुई हैं।

स्रोत : द इंडियन एक्सप्रेस

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