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जैव विविधता और पर्यावरण

विश्व सतत् विकास शिखर सम्मेलन 2021

  • 15 Feb 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (TERI) के प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम विश्व सतत् विकास शिखर सम्मेलन (World Sustainable Development Summit) का आयोजन किया गया।

  • वर्ष 2021 के शिखर सम्मेलन का विषय: अपने साझा भविष्य को पुनर्परिभाषित करना: सभी के लिये संरक्षित और सुरक्षित वातावरण’ (Redefining our common future: Safe and Secure Environment for All) था।
  • TERI वर्ष 1974 में स्थापित एक गैर-लाभकारी अनुसंधान संस्थान है। यह भारत और ग्लोबल साउथ के लिये ऊर्जा, पर्यावरण तथा सतत् विकास के क्षेत्र में अनुसंधान कार्य करता है।

प्रमुख बिंदु:

  • सम्मेलन में भारत का रुख:


    • जलवायु न्याय पर ज़ोर:
      • "जलवायु न्याय" एक शब्द से अधिक एक आंदोलन है जो यह स्वीकार करता है कि वंचित वर्ग पर जलवायु परिवर्तन का सामाजिक, आर्थिक, सार्वजनिक स्वास्थ्य और अन्य प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
      • भारत के अनुसार, 'जलवायु न्याय' ट्रस्टीशिप के दृष्टिकोण से प्रेरित है, जिसके तहत विकास से साथ-साथ वंचित वर्ग के प्रति सहानुभूति का उत्तरदायित्त्व भी बढ़ जाता है।
    • जलवायु शमन प्रयासों के लिये आश्वासन:
      • भारत ने पेरिस समझौते के तहत अपने लक्ष्यों के लिये की गई प्रतिबद्धताओं को दोहराया है, जिसके तहत भारत के सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को वर्ष 2005 के स्तर से 33-35 प्रतिशत तक कम करने की बात कही गई है।
      • इस दौरान भूमि क्षरण तटस्थता के लिये भारत की प्रतिबद्धता और वर्ष 2030 तक 450 गीगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता स्थापित करने के लिये भारत की निरंतर प्रगति पर भी प्रकाश डाला गया।
      • इस सम्मेलन के दौरान अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance) के तहत भारत की पहल पर भी चर्चा की गई।
    • आपदा प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये प्रतिबद्धता:
      • आपदा प्रबंधन क्षमता को बढ़ाने के लिये भारत ने आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) हेतु प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया था।
        • CDRI: यह राष्ट्रीय सरकारों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, बहुपक्षीय बैंकों, निजी क्षेत्र और ज्ञान संस्थानों की एक बहु-हितधारक वैश्विक साझेदारी है जिसका उद्देश्य सतत् विकास सुनिश्चित करने के लिये बुनियादी ढाँचा प्रणालियों की प्रतिरोधक क्षमता का विकास करना है।
  • सतत् विकास की दिशा में भारत के प्रयास:

    • मार्च 2019 में भारत ने स्थायी प्रौद्योगिकियों और अभिनव मॉडलों के माध्यम से लगभग 100% विद्युतीकरण का लक्ष्य प्राप्त किया।
    • उजाला कार्यक्रम के माध्यम से 367 मिलियन एलईडी बल्ब वितरित किये गए जिसने प्रतिवर्ष 38 मिलियन टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम किया है।
    • पीएम उज्जवला योजना के माध्यम से गरीबी रेखा से नीचे रह रहे 80 मिलियन से अधिक परिवारों को भोजन पकाने के लिये स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराया गया। भारत अपने ऊर्जा बास्केट में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी 6% से बढ़ाकर 15% करने की दिशा में काम कर रहा है।
    • जल जीवन मिशन के तहत 18 महीनों में 34 मिलियन से अधिक परिवारों को नल कनेक्शन से जोड़ा गया है।
    • संरक्षण प्रयासों के परिणामस्वरूप शेर, बाघ, तेंदुए और गंगा नदी डॉल्फ़िन की आबादी में वृद्धि हुई है।

विश्व सतत् विकास शिखर सम्मेलन

  • परिचय:
    • विश्व सतत् विकास शिखर सम्मेलन (World Sustainable Development Summit) ऊर्जा और संसाधन संस्थान (TERI) का प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम है।
    • इसे पहले दिल्ली सतत् विकास शिखर सम्मेलन के रूप में जाना जाता था।
  • उद्देश्य:
    • इसकी अवधारणा सतत् विकास और जलवायु परिवर्तन की दिशा में लक्षित कार्रवाई में तेज़ी लाने के लिये एकल मंच के रूप में की गई है।
    • इसका उद्देश्य सतत् विकास, ऊर्जा और पर्यावरण क्षेत्र से संबंधित वैश्विक नेताओं और विद्वानों को एक साझा मंच उपलब्ध कराना है।
  • सतत् विकास:
    • "सतत् विकास का अर्थ है कि भविष्य की पीढ़ियों की ज़रूरतों को पूरा करने की क्षमता से समझौता किये बगैर वर्तमान की ज़रूरतों को पूरा करना"। सतत् विकास की व्यापक रूप से स्वीकृत यह परिभाषा ब्रुन्डलैंड कमीशन (Brundtland Commission) ने अपनी रिपोर्ट ‘हमारा साझा भविष्य’ या 'अवर कॉमन फ्यूचर (Our Common Future), 1987 में दी थी।
  • जलवायु परिवर्तन:
    • यह पृथ्वी के स्थानीय, क्षेत्रीय और वैश्विक जलवायु को परिभाषित करने वाले मौसम के औसत पैटर्न में एक दीर्घकालिक बदलाव है।
    • जलवायु डेटा रिकॉर्ड जलवायु परिवर्तन के प्रमुख संकेतकों का प्रमाण प्रदान करते हैं, जैसे कि वैश्विक भू और समुद्र तापमान का बढ़ना, समुद्री जल स्तर में वृद्धि, पृथ्वी के ध्रुवों और पहाड़ी ग्लेशियरों में बर्फ का ह्रास, तूफान, लू, वनाग्नि, सूखा, बाढ़ और वर्षा जैसे चरम मौसमी घटनाओं की आवृत्ति और गंभीरता में वृद्धि तथा बादल एवं वनस्पति आवरण में परिवर्तन आदि।

स्रोत: पीआईबी

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