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विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2022

  • 04 May 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस, विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2022  

मेन्स के लिये:

भारत में प्रेस की स्वतंत्रता और संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों? 

3 मई, 2022 को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (WPFD) के अवसर पर ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (RSF) द्वारा विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक का 20वाँ संस्करण प्रकाशित किया गया।

  • 180 देशों में भारत 150वें स्थान पर है।

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस: 

  • परिचय: 
    • वर्ष 1991 में यूनेस्को की जनरल काॅन्फ्रेंस की सिफारिश के बाद वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की घोषणा की थी। 
    • यह दिवस वर्ष 1991 में यूनेस्को द्वारा अपनाई गई 'विंडहोक' (Windhoek) उद्घोषणा को भी चिह्नित करता है।
    • वर्ष 1991 की ‘विंडहोक घोषणा’ एक मुक्त, स्वतंत्र और बहुलवादी प्रेस के विकास से संबंधित है।  
  • विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2022 की थीम: 
    • जर्नलिज़्म अंडर डिजिटल सीज (Journalism under digital siege)। 

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक: 

  • परिचय: 
    • यह वर्ष 2002 से ‘रिपोर्टर्स सेन्स फ्रंटियर्स’ (RSF) या ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ द्वारा प्रत्येक वर्ष प्रकाशित किया जाता है। 
      • पेरिस में स्थित RSF संयुक्त राष्ट्र, यूनेस्को, यूरोपीय परिषद् और फ्रैंकोफोनी के अंतर्राष्ट्रीय संगठन (OIF) के परामर्शी स्थिति के साथ एक स्वतंत्र गैर-सरकारी संगठन है।
        • OIF, 54 फ्रेंच भाषी राष्ट्रों का एक समूह है।
    • पत्रकारों के लिये उपलब्ध स्वतंत्रता के स्तर के अनुसार यह  सूचकांक देशों और क्षेत्रों को रैंक प्रदान करता है। हालाँकि यह पत्रकारिता की गुणवत्ता का संकेतक नहीं है।
  • स्कोरिंग मानदंड:
    • सूचकांक की रैंकिंग 0 से 100 तक के स्कोर पर आधारित होती है जो प्रत्येक देश या क्षेत्र को प्रदान की जाती है, जिसमें 100 सर्वश्रेष्ठ संभव स्कोर (प्रेस स्वतंत्रता का उच्चतम संभव स्तर) और 0 सबसे खराब स्तर को प्रदर्शित करता है। 
  • मूल्यांकन मानदंड:
    • प्रत्येक देश या क्षेत्र के स्कोर का मूल्यांकन पाँच प्रासंगिक संकेतकों का उपयोग करके किया जाता है, जिनमें राजनीतिक संदर्भ, कानूनी ढँचा, आर्थिक संदर्भ, सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ और सुरक्षा शामिल हैं।

विश्व के प्रदर्शन की मुख्य विशेषताएँ:

  • परिचय: 
    • रिपोर्ट से पता चलता है कि "ध्रुवीकरण" में दोगुना वृद्धि हुई है, जो सूचना की अराजकता के कारण बढ़ी है, अर्थात् मीडिया ध्रुवीकरण देशों के भीतर व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देशों के विभाजन को बढ़ावा देता है।
  • देशों की रैंकिंग:
    • शीर्ष और सबसे खराब प्रदर्शनकर्त्ता: 
      • नॉर्वे (प्रथम) डेनमार्क (दूसरा), स्वीडन (तीसरा), एस्टोनिया (चौथा) और फिनलैंड (पाँचवाँ) ने शीर्ष स्थान हासिल किया है।
      • उत्तर कोरिया 180 देशों की सूची में सबसे नीचे रहा।
      • रूस को 155वें स्थान पर रखा गया है। 
    • भारत के पड़ोसी: 
      • नेपाल वैश्विक रैंकिंग में 30 अंकों की बढ़त के साथ 76वें स्थान पर पहुंँच गया है।
      • सूचकांक ने पाकिस्तान को 157वें, श्रीलंका को 146वें, बांग्लादेश को 162वें और म्यांमार को 176वें स्थान पर रखा है। 
      • चीन 175वें स्थान पर है। 

Neighbours-fare

भारत का प्रदर्शन:

  • परिचय: 
    • भारत 2022 में 180 देशों में 142वें में से आठ पायदान गिरकर 150वें स्थान पर आ गया है।
    • भारत 2016 के सूचकांक में 133वें स्थान पर था इसके बाद से उसकी रैंकिंग में लगातार गिरावट आ रही है।
    • रैंकिंग में गिरावट के पीछे का कारण "पत्रकारों के खिलाफ हिंसा" और "राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण मीडिया" में वृद्धि होना है।
  • भारत की रैंकिंग में गिरावट के कारण: 
    • सरकार का दबाव :
      • सूचकांक के अनुसार, भारत में मीडिया लोकतांत्रिक रूप से प्रतिष्ठित राष्ट्रों की तुलना में "तेज़ी से सत्तावादी और/या राष्ट्रवादी सरकारों" के दबाव का सामना कर रहा है।
    • नीतिगत ढांँचे में दोष:
      • यद्यपि नीतिगत ढांँचा सैद्धांतिक रूप से सुरक्षात्मक है, यह मानहानि, राजद्रोह, न्यायालय की अवमानना और सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का आरोप लगाते हुए उन्हें "राष्ट्र-विरोधी" करार देता है।
    • मीडियाकर्मियों के लिये भारत दुनिया का सबसे खतरनाक देश:
      • रिपोर्ट के मुताबिक, भारत मीडियाकर्मियों के लिये भी दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक है।
        • पत्रकारों को पुलिस हिंसा, राजनीतिक कार्यकर्त्ताओं द्वारा घात लगाकर हमला करने और आपराधिक समूहों या भ्रष्ट स्थानीय अधिकारियों द्वारा घातक प्रतिशोध सहित सभी प्रकार की शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ता है।
    • कश्मीर मुद्दा:
      • कश्मीर में स्थिति "चिंताजनक" बनी हुई है और पत्रकारों को अक्सर पुलिस तथा अर्द्धसैनिक बलों द्वारा परेशान किया जाता है। 

भारत में प्रेस की स्वतंत्रता: 

  • संविधान देश का सर्वोच्च कानून है, जो अनुच्छेद 19 के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, जो 'भाषण की स्वतंत्रता आदि के संबंध में कुछ अधिकारों के संरक्षण' से संबंधित है।
  • प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय कानूनी प्रणाली द्वारा स्पष्ट रूप से संरक्षित नहीं है, लेकिन यह संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (A) के तहत संरक्षित है, जिसके अनुसार "सभी नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार होगा"।
  •  रोमेश थापर बनाम मद्रास राज्य,1950 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कहा गया कि प्रेस की स्वतंत्रता सभी लोकतांत्रिक संगठनों की नींव है।
  • हालाँकि प्रेस की स्वतंत्रता भी अपने आप में पूर्ण नहीं है। अनुच्छेद 19(2) के तहत इस पर कुछ प्रतिबंधों को आरोपित किया गया है, जो इस प्रकार हैं-
    • भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता या न्यायालय की अवमानना, मानहानि,किसी अपराध के लिये उकसाना।

स्रोत: द हिंदू 

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