लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

विरंजित हुए दुनिया के पूर्वोत्तर में स्थित प्रवाल

  • 19 Jul 2017
  • 6 min read

संदर्भ
उल्लेखनीय है कि विरंजन के कारण विश्व के उत्तरी छोर (जापान) में पाई जाने वाली प्रवाल भित्तियाँ नष्ट हो रही हैं। शोधकर्त्ताओं के अनुसार, यह महासागरों के उच्च तापमान के कारण घटित हुई वैश्विक घटना का एक नवीनतम उदाहरण है।

प्रमुख बिंदु

  • स्वस्थ प्रवाल भित्तियाँ किनारों को तूफान से बचाती हैं तथा मछलियों और अन्य समुद्री जीवों(जिनमें पारिस्थितिक और आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण प्रजातियाँ शामिल हैं) के लिये आवास भी उपलब्ध कराती हैं।
  • प्रवालों की मृत्यु के पश्चात भित्तियाँ शीघ्र ही नष्ट हो जाती हैं तथा जिस संरचना का निर्माण प्रवाल करते हैं वह भी नष्ट हो जाती है। प्रवाल हल्के विरंजन से तो अपनी पूर्वावस्था में आ सकते हैं परन्तु दीर्घकालिक विरंजन उनके लिये प्रायः घातक होते हैं।

प्रवाल भित्तियों का निर्माण कैसे होता है?

  • जब स्वतंत्र रूप से तैरने वाला प्रवाल लार्वा द्वीपों अथवा महाद्वीपों से लगी हुई जलमग्न चट्टानों अथवा अन्य कठोर सतहों से जुड़ जाता है तो प्रवाल भित्तियों का निर्माण शुरू हो जाता है।
  • जैसे ही प्रवाल भित्तियों की संख्या में वृद्धि होती है और इनका विस्तार होने लगता है तो भित्तियाँ तीन संरचनाओं (फ्रीन्ज़िंग, बैरियर या एटोल) में से किसी एक को अपना लेती हैं।
  • फ्रीन्ज़िंग भित्तियाँ सामान्य हैं। ये तट से सीधे समुद्र की ओर गमन करती हैं तथा ये अपने आस-पास के द्वीपों और तटरेखा के सहारे सीमा बनाती हैं। बैरियर भित्तियाँ भी तटरेखा के सहारे परन्तु अधिक दूरी पर सीमा बनती हैं। वे स्वयं से लगे हुए भूभाग से लैगून के माध्यम से पृथक् होती हैं। एटोल भित्तियाँ प्रायः चक्राकार अथवा अंडाकार होती हैं।

प्रवाल विरंजन क्यों हो रहा है?

  • जल के उच्च तापमान के कारण प्रवाल विरंजन की घटना घटित होती है। जब जल अत्यधिक गर्म होता है तो प्रवाल अपने ऊतकों में रहने वाले शैवाल (zooxanthellae) को निकाल देते हैं जिससे प्रवाल सफेद रंग के हो जाते हैं। इसे ही प्रवाल विरंजन कहा जाता है। जब प्रवाल विरंजन होता है तो प्रवालों की मृत्यु नहीं होती है बल्कि प्रवाल विरंजन की घटना के पश्चात भी वे अपनी पूर्वावस्था में आ सकते हैं। इसके पश्चात अत्यधिक तनाव में रहने के कारण उनकी मृत्यु हो जाती है।
  • वर्ष 2010 के जनवरी माह में फ्लोरिडा में जल के कम तापमान के कारण प्रवाल विरंजन की घटना देखी गई थी जिससे कुछ प्रवालों की मृत्यु हो गई थी। इस समय जल का तापमान 12.06 डिग्री फोरेनहाईट तक गिर गया था जो कि विगत वर्षों में इस माह में दर्ज किये गए तापमान से कम था। अतः यह निष्कर्ष निकाला गया कि अत्यधिक कम तापमान के कारण भी प्रवाल विरंजन हो सकता है।

विरंजन की नवीनतम घटनाएँ

  • जापान में अवस्थित सुशीमा द्वीप (Tsushima island) के तट पर लगभग 30% प्रवाल, विरंजन का सामना कर रहे हैं। यह द्वीप शीतोष्ण क्षेत्र में है तथा यह टोक्यो के दक्षिण-पश्चिम में 1,000 किलोमीटर (620 मील) की दूरी पर है।
  • पिछले वर्ष ग्रीष्म ऋतु में जापान के उपोष्णकटिबन्धीय ओकिनावा (okinawa) द्वीपों की श्रृंखला पर भी प्रवाल विरंजन देखा गया था।
  • वर्ष 2015 से शीतोष्ण क्षेत्रों में रहने वाली सभी प्रवाल भित्तियों को औसत तापमान से अधिक तापमान वाले स्थानों पर पाया गया था। इनमें से 70% प्रवाल लम्बे समय तक उच्च तापमान में रहे जिसके कारण उनका विरंजन हो सकता था।
  • वर्ष 2017 की शुरुआत में ही जल के तापमान में होने वाली वृद्धि के कारण लगातार दूसरे वर्ष भी ऑस्ट्रेलिया की ग्रेट बैरियर रीफ और अमेरिकन सामोआ में विरंजन की घटनाएँ देखी गई थीं और ये दोनों वर्ष 2015 में विरंजन से बुरी तरह प्रभावित हुए थे।

निष्कर्ष

  • हाल ही में ओकिनावा के प्रवालों ने जल में रहना बंद कर दिया है तथा वे अपना विस्तार जलरहित क्यूशू (Kyushu), शिकोकू (Shikoku) और होन्शु (Honshu) द्वीपों तक कर रहे हैं। ये चारों जापान के प्रमुख द्वीप हैं।
  • यह देखा गया है कि तीन महासागरीय बेसिन (अटलांटिक,प्रशांत और हिंद) में विरंजन वृहद् स्तर पर नहीं हो रहा है जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि वैश्विक विरंजन की यह घटना कुछ ही वर्षों में समाप्त हो जाएगी।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2