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सामाजिक न्याय

विश्व तंबाकू निषेध दिवस

  • 01 Jun 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व तंबाकू निषेध दिवस 

मेन्स के लिये:

स्वास्थ्य 

चर्चा में क्यों? 

तंबाकू सेवन के घातक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये प्रत्येक वर्ष 31 मई को 'विश्व तंबाकू निषेध दिवस' के रूप में मनाया जाता है। 

  • विश्व तंबाकू निषेध दिवस कीघोषणा विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य राष्ट्रों द्वारा वर्ष 1987 में की गई ताकि तंबाकू महामारी से होने वाली मृत्यु तथा बीमारियों पर वैश्विक ध्यान आकर्षित किया जा सके। 
    • वर्ष 1988 में संकल्प WHA 42.19 पारित कर प्रत्येक वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाने का आह्वान किया गया था।

मुख्य विषय: 

  • विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2022 की थीम "पर्यावरण की रक्षा" है।
    • WHO के अनुसार, "पर्यावरण पर तंबाकू उद्योग का हानिकारक प्रभाव व्यापक रूप से बढ़ रहा है, जिससे हमारे ग्रह पर “दुर्लभ संसाधनों और नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र” पर पहले से ही उपस्थित दबाव में अनावश्यक वृद्धि हो रही है।"
  • WHO प्रत्येक वर्ष तंबाकू के उपयोग को रोकने के लिये सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों द्वारा किये गए प्रयासों और योगदान के लिये उन्हें सम्मानित करता है।
    • इस वर्ष WHO ने विश्व तंबाकू निषेध दिवस (WNTD) पुरस्कार-2022 के लिये झारखंड का चयन किया है।

तंबाकू के सेवन से मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव: 

  • तंबाकू की लत को दुनिया भर में रोके जा सकने वाली मौतों और विकलांगता का सबसे बड़ा कारण माना गया है।
  • तंबाकू के सेवन से हर वर्ष लाखों लोगों की मौत होती है।
    • भारत में प्रत्येक वर्ष लगभग 35 मिलियन मौतें तंबाकू के सेवन की वजह से होती हैं और यह तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता एवं उत्पादक देश भी है।
    • विश्व स्तर पर प्रत्येक वर्ष लगभग 80 लाख लोगों की मृत्यु तंबाकू के सेवन से होती है, जिनमें5 लाख भारतीय शामिल हैं।
  • धूम्रपान कैंसर, दिल का दौरा, ब्रेन स्ट्रोक, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ (COPD) और पेरिफेरल वैस्कुलरडिज़ीज़ (PVD) से मौत का कारण बनता है।
  • विश्व में धूम्रपान करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। महिलाओं को अतिरिक्त खतरों का सामना करना पड़ता है जैसे- प्रतिकूल गर्भावस्था के परिणाम, महिला विशिष्ट कैंसर जैसे- स्तन, गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर और हृदय संबंधी जोखिम में वृद्धि आदि।
  • यदि निरंतर और प्रभावी पहलों को लागू नहीं किया जाता है तो महिला धूम्रपान की व्यापकता वर्ष 2025 तक 20% तक बढ़ने की संभावना है।

 तंबाकू का पर्यावरण पर पड़ने वाला दुष्प्रभाव:  

  • ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन: तंबाकू से एक वर्ष में 84 मेगा टन से अधिक ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन होता है।
  • मृदा और जल संदूषण: सिगरेट के बट्स व एकल उपयोग वाले जैव अनिम्नकरणीय पाउच और ई-सिगरेट के माइक्रोप्लास्टिक द्वारा मृदा में विषाक्त पदार्थों के मिश्रण के कारण यह मृदा एवं जल को दूषित करता है।
  • सिगरेट बनाने के लिये जल की बहुत अधिक मात्रा का उपयोग किया जाता है फलस्वरूप यह अत्यधिक जल का दोहन करता है।

भारत के संदर्भ में आँकड़े: 

  • 29 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों चंडीगढ़व पुद्दुचेरी में किये गए ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (2010) ने पुरुषों के बीच गिरावट की प्रवृत्ति और 2005-09 के दौरान महिला धूम्रपान की समग्र बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाया है। 
    • महिलाओं के बीच बढ़ती व्ययक्षमता और वैश्वीकरण तथा आर्थिक संक्रमण के कारण सामाजिक एवं सांस्कृतिक बाधाओं के कमज़ोर होने को इस खतरनाक प्रवृत्ति के कुछ प्रमुख कारणों के रूप में देखा जा सकता है। 

तंबाकू की खपत को रोकने के लिये प्रमुख पहल: 

  • तंबाकू नियंत्रण पर डब्ल्यूएचओ ढाँचागत संधि (FCTC): यह WHO के तत्त्वावधान में की गई पहली अंतर्राष्ट्रीय संधि है। 
    • इसे 21 मई, 2003 को विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA) द्वारा स्वीकार किया गया और 27 फरवरी, 2005 को लागू हुई।
    • तंबाकू के उपयोग से निपटने के लिये FCTC द्वारा अपनाए गए उपाय:
      • मूल्य और कर उपाय
      • तंबाकू के पैकेट पर बड़े-बड़े शब्दों मेंमुद्रित चेतावनियाँ  
      • 100% धूम्रपान मुक्त सार्वजनिक स्थान
      • तंबाकू के विपणन पर प्रतिबंध
      • धूम्रपान छोड़ने के इच्छुक लोगों की सहायता 
      • तंबाकू उद्योगों द्वारा  हस्तक्षेप की रोकथाम 
    • WHO ने MPOWER की शुरुआत की है जो तकनीकी उपायों और संसाधनों का एक संयोजित व संयुक्त प्रयास करता है, जिनमें से प्रत्येक WHO के FCTC कार्यक्रम केकम-से-कम एक प्रावधान से मेल खाता है 
  • राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (NTCP): भारत सरकार ने वर्ष 2007 मेंनिम्नलिखित उद्देश्यों के साथ राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम की  शुरुआत  की: 
    • तंबाकू सेवन के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करना।
    • तंबाकू उत्पादों के उत्पादन और आपूर्ति को कम करना।
    • "सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का निषेध, व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति एवं वितरण का विनियमन) अधिनियम, 2003" (COTPA) केप्रावधानों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना। 
    • तंबाकूको छोड़ने में लोगों की सहायता करना 
    • WHO की ढाँचागत संधि द्वारा अनुशंसित तंबाकू की रोकथाम और नियंत्रण के लिये रणनीतियों के कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करना।

आगे की राह 

  • लोगों में जागरूकता बढ़ाना एवं तंबाकू उत्पादों पर उच्च कराधान
  • विज्ञापनों के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूपों पर प्रतिबंध
  • तंबाकू छोड़ने के इच्छुक लोगों को विभिन्न प्रकार की सहायता प्रदान करना। 
  • पर्यावरण की क्षति के लियेतंबाकू कंपनियों पर दंड लगानाा। 
  • तंबाकू किसानों को स्थायी और वैकल्पिक फसलों में स्थानांतरित करने के लिये प्रोत्साहित करना तथा उनका समर्थन करनाा।
  • स्कूल स्तर से स्वास्थ्य शिक्षा, धूम्रपान करने वालों की कैंसर की जाँच और धूम्रपान छोड़ने वालों के लियेकैंसर के शीघ्र उपाय प्रदान करना। 

स्रोत: द हिंदू 

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