विश्व मौसम विज्ञान दिवस | 24 Mar 2022
प्रिलिम्स के लिये:विश्व मौसम विज्ञान दिवस, ग्रीनहाउस गैसें, पार्टियों का सम्मेलन, बाढ़, सूखा, हीटवेव, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन, यूएनएफसीसीसी। मेन्स के लिये:आपदा से निपटने में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की भूमिका, बढ़ती आपदा से संबंधित मुद्दे तथा इनसे निपटने के उपाय । |
चर्चा में क्यों?
पूरे विश्व में प्रत्येक वर्ष 23 मार्च को विश्व मौसम विज्ञान दिवस मनाया जाता है।
- इससे पहले अक्तूबर, 2021 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने स्टेट ऑफ क्लाइमेट सर्विसेज़ रिपोर्ट 2021 जारी की थी।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO)
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) 192 देशों की सदस्यता वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है।
- भारत विश्व मौसम विज्ञान संगठन का सदस्य देश है।
- इसकी उत्पत्ति अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) से हुई है, जिसे वर्ष 1873 के वियना अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान कांग्रेस के बाद स्थापित किया गया था।
- 23 मार्च 1950 को WMO कन्वेंशन के अनुसमर्थन द्वारा स्थापित WMO, मौसम विज्ञान (मौसम और जलवायु), परिचालन जल विज्ञान तथा इससे संबंधित भू-भौतिकीय विज्ञान हेतु संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी बन गई है।
- WMO का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
विश्व मौसम विज्ञान दिवस की मुख्य विशेषताएँ
- परिचय:
- यह दिन विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिसे वर्ष 1950 में स्थापित किया गया था।
- यह वर्ष 1961 से मनाया जा रहा है, यह दिन लोगों को पृथ्वी के वायुमंडल की रक्षा करने तथा उनकी भूमिका के बारे में जागरूक करने के लिये भी मनाया जाता है।
- वर्ष 2022 की थीम:
- प्रारंभिक चेतावनी और प्रारंभिक कार्रवाई (Early warning and early action) - यह आपदा ज़ोखिम में कमी के लिये जल-मौसम विज्ञान तथा जलवायु से संबंधित जानकारी की आवश्यकता पर ज़ोर देती है।
- आपदाओं की स्थिति::
- विश्व:
- पिछले 50 वर्षों में औसतन प्रतिदिन मौसम या जलवायु के खतरे से संबंधित आपदा आई है जिसमे 115 लोगों की मृत्यु तथा प्रतिदिन 202 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है।
- WMO एटलस ऑफ मॉर्टेलिटी एंड इकोनॉमिक लॉस फ्रॉम वेदर, क्लाइमेट एंड वाटर एक्सट्रीम (1970 - 2019) के अनुसार विश्व स्तर पर इन खतरों के लिये ज़िम्मेदार 11,000 से अधिक आपदाएँ रिपोर्ट की गई थी।
- जलवायु परिवर्तन, अधिक चरम मौसम और बेहतर रिपोर्टिंग तंत्र के कारण 50-वर्ष की अवधि में आपदाओं की संख्या में पाँच गुना वृद्धि हुई है।
- प्रत्येक वर्ष अधिक-से-अधिक ग्रीनहाउस गैसों के वातावरण में शामिल होने के कारण चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि होना तय है, जिसके परिणामस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग होती है।
- पिछले 50 वर्षों में औसतन प्रतिदिन मौसम या जलवायु के खतरे से संबंधित आपदा आई है जिसमे 115 लोगों की मृत्यु तथा प्रतिदिन 202 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है।
- भारत:
- अरब सागर के ऊपर गंभीर चक्रवातों की संख्या में प्रति दशक 1 की वृद्धि हुई है और भारत में वर्ष 1901 के बाद से अधिकतम तापमान में 0.99 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है।
- भारत में भी भारी वर्षा की घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- विश्व:
WMO दिवस पर आपदा से निपटने के लिये की गई पहलें:
- पूर्व चेतावनी प्रणाली पर कार्य योजना:
- WMO नवंबर 2022 में मिस्र में संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) के कोप-27 में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली पर एक कार्य योजना प्रस्तुत करेगा।
- बाढ़, सूखा, हीटवेव या तूफान के लिये एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, एक एकीकृत प्रणाली है जो लोगों को खतरनाक मौसम के प्रति सचेत करती है। यह भी सूचित करता है कि सरकारें, समुदाय और व्यक्ति मौसम की घटना के संभावित प्रभावों को कम करने के लिये कैसे कार्य कर सकते हैं।
- इसका उद्देश्य यह समझना है कि आने वाले तूफानों से प्रभावित क्षेत्र के लिये कौन से जोखिम हो सकते हैं जो कि शहर या ग्रामीण क्षेत्र, ध्रुवीय, तटीय या पहाड़ी क्षेत्रों में भिन्न हो सकते हैं।
- WMO नवंबर 2022 में मिस्र में संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) के कोप-27 में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली पर एक कार्य योजना प्रस्तुत करेगा।
- आवश्यकता:
- दुनिया के एक-तिहाई लोग, मुख्य रूप से सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) और छोटे द्वीपीय विकासशील राज्यों (एसआईडीएस) में अभी भी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली से आच्छादित नहीं हैं।
- अफ्रीका में स्थिति और भी बुरी है: 60% लोगों के पास कवरेज की कमी है।
- दुनिया के एक-तिहाई लोग, मुख्य रूप से सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) और छोटे द्वीपीय विकासशील राज्यों (एसआईडीएस) में अभी भी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली से आच्छादित नहीं हैं।
भारत में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की स्थिति:
- परिचय:
- भारत में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली जैसे कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा नियमित चक्रवात अलर्ट, राज्य और ज़िला प्रशासन द्वारा की गई तेज़ कार्रवाई ने पिछले कुछ वर्षों में सैकड़ों या हज़ारों लोगों की जान बचाई है।
- लेकिन इस संबंध में अभी और भी बहुत कुछ किये जाने की आवश्यकता है, खासकर ज़िला और ग्रामीण स्तर पर मौसम की भविष्यवाणी एवं पूर्व चेतावनी के क्षेत्र।
- पूर्व चेतावनी संबंधी पहल:
- जून 2020 में, केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने आपदा प्रबंधन विभाग, ग्रेटर मुंबई नगर निगम के सहयोग से, मुंबई के लिये एकीकृत बाढ़ चेतावनी प्रणाली शुरू की, जिसे ‘iFLOWS-MUMBAI’ कहा जाता है।
- उत्तराखंड ने राज्य में भूकंप की पूर्व चेतावनी देने हेतु 'उत्तराखंड भूकंप चेतावनी' एप लॉन्च किया है।
- भारतीय सुनामी पूर्व चेतावनी प्रणाली (ITEWS) की स्थापना वर्ष 2007 में हुई थी और यह ‘इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इन्फॉर्मेशन सर्विसेज़’ (INCOIS) हैदराबाद में स्थित है।
- वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान (CSIR-NGRI) ने हिमालयी क्षेत्र के लिये ‘भूस्खलन और बाढ़ पूर्व चेतावनी प्रणाली' विकसित करने हेतु एक 'पर्यावरण भूकंप विज्ञान' समूह स्थापित किया है।
- 'महासागर सेवा, मॉडलिंग, अनुप्रयोग, संसाधन और प्रौद्योगिकी (ओ-स्मार्ट)' योजना एक सरकारी योजना है जिसका उद्देश्य महासागर अनुसंधान को बढ़ावा देना और पूर्व चेतावनी मौसम प्रणाली स्थापित करना है।
आगे की राह
- राष्ट्रीय मौसम विज्ञान एवं जल विज्ञान सेवाओं, आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों और विकास एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय बेहतर रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया के लिये काफी महत्त्वपूर्ण हैं।
- अल्प-विकसित देशों में सेवाओं एवं संबंधित बुनियादी ढाँचे की गुणवत्ता में सुधार के लिये आने वाले पाँच वर्षों के दौरान निवेश बढ़ाने की आवश्यकता है।
विगत वर्षों के प्रश्न‘मोमेंटम फॉर चेंज: क्लाइमेट न्यूट्रल नाउ” किसके द्वारा शुरू की गई एक पहल है? (2018) (a) जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल उत्तर: c निम्नलिखित में से कौन संयुक्त राष्ट्र से संबंधित नहीं है? (2010) (a) बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी उत्तर: (d) |