विश्व स्वास्थ्य संगठन की ‘स्पेक्स 2030’ पहल | 06 Oct 2023
प्रिलिम्स के लिये:स्पेक्स 2030, दृष्टि का अपवर्तन दोष, विश्व स्वास्थ्य संगठन मेन्स के लिये:दृष्टिबाधित होने के प्रभाव, भारत में नेत्रदोषों का निपटान करने में चुनौतियाँ |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
विश्वभर में लाखों लोग दृष्टि/नेत्रदोष की समस्याओं से पीड़ित हैं, इनमें से एक बड़े हिस्से को चश्मे की आवश्यकता है। निम्न और मध्यम आय वाले देशों में नेत्र देखभाल की सुविधाओं तक पहुँच एक बड़ी चुनौती है।
- इस संकट को देखते हुए वर्ष 2021 में आयोजित 74वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में एकीकृत और जन-केंद्रित नेत्र देखभाल प्रदान करने के लिये "स्पेक्स 2030" नामक एक पहल शुरू करने पर सहमति जताई गई।
स्पेक्स 2030:
- परिचय:
- स्पेक्स 2030 पहल की शुरुआत विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा की जाएगी। इस पहल का लक्ष्य गुणवत्तापूर्ण नेत्र देखभाल सुनिश्चित करते हुए चश्मे से संबंधित समस्या का समाधान करने में सदस्य देशों की सहायता करना है।
- विज़न:
- इसका दूरगामी विज़न एक ऐसे विश्व का निर्माण करना है जिसमें अपवर्तन दोष से जूझ रहे प्रत्येक व्यक्ति के पास इसके निदान हेतु गुणवत्तापूर्ण, सस्ती और जन-केंद्रित सेवाओं तक पहुँच हो।
- मिशन:
- इसका मिशन अपवर्तन दोष कवरेज़ पर 74वीं विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा समर्थित वर्ष 2030 के लक्ष्य को प्राप्त करने में सदस्य देशों की सहायता करना है।
- यह पहल अपवर्तन दोष कवरेज में सुधार हेतु प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने के लिये, SPECS के अक्षरों एवं उनके अर्थों के अनुरूप 5 रणनीतिक रूप से सभी हितधारकों के बीच समन्वय स्थापित कर वैश्विक कार्रवाई का आह्वान करती है।
दृष्टि की अपवर्तक त्रुटि:
- परिचय:
- दृष्टि की अपवर्तक त्रुटि वह दृष्टि समस्या है जिसमें नेत्र का आकार प्रकाश द्वारा रेटिना (नेत्र के पश्च ऊतक की एक प्रकाश-संवेदनशील परत) पर सही ढंग से फोकस करने की सामान्य स्थिति को अवरोधित कर प्रभावित करता है, जिससे धुंधली या विकृत दृष्टि का अनुभव होता है।
- यह स्थिति विभिन्न रूपों और गंभीरता स्तरों में प्रकट हो सकती है।
- अपवर्तक त्रुटियों के प्रकार:
- अपवर्तक त्रुटियों के लक्षण:
- सबसे आम लक्षण धुंधली दृष्टि है। अन्य लक्षणों में दोहरी दृष्टि, धुंधली दृष्टि, तीव्र ज्योति पुंज के निकट चकाचौंध या प्रभामंडल का आभास होना, सिरदर्द और नेत्र पर तनाव शामिल हैं।
अन्य प्रकार के सामान्य नेत्र दोष/रोग:
- कलर ब्लाइंडनेस (वर्णांधता):
- कलर ब्लाइंडनेस/वर्णांधता वर्णांधता का तात्पर्य सामान्य तरीके से रंगों को देखने में असमर्थता से है। वर्णांधता में व्यक्ति आमतौर पर हरे और लाल रंगों के बीच अंतर नहीं कर पाते हैं। दूसरा सामान्य लक्षण नीले और पीले रंग का एक जैसा दिखना होता है।
- मोतियाबिंद:
- इसमें किसी व्यक्ति की आँख का लेंस उत्तरोत्तर धुँधला होता जाता है जिसके परिणामस्वरूप दृष्टि धुँधली हो जाती है। इसका इलाज सर्जरी द्वारा किया जा सकता है।
- मोतियाबिंद में व्यक्ति के नेत्र के लेंस के ऊपर एक झिल्ली बन जाती है। मोतियाबिंद से आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होने लगती है।
- आयु संबंधी मैकुलर डिजेनरेशन (Macular Degeneration):
- यह एक नेत्र का रोग है जो केंद्रीय दृष्टि को धुंधला कर सकता है। ऐसा तब होता है जब उम्र बढ़ने से मैक्युला को नुकसान पहुँचता है- नेत्र का वह हिस्सा जो तेज़, सीधी दृष्टि को नियंत्रित करता है। मैक्युला रेटिना (नेत्र के पीछे प्रकाश-संवेदनशील ऊतक) का हिस्सा है।
- नेत्रश्लेष्मलाशोथ/कंजक्टिवाइटिस (पिंक आइ):
- यह नेत्र की एक स्थिति है जिसमें कंजंक्टिवा की सूजन होती है, वह पतली झिल्ली जो नेत्र के सफेद हिस्से को ढकती है और आंतरिक पलकों को रेखाबद्ध करती है।
- मोतियाबिंद/ग्लोकोमा:
- यह नेत्र की बीमारियों का एक समूह है जो आपकी नेत्र के पीछे ऑप्टिक नामक एक तंत्रिका को नुकसान पहुँचाकर दृष्टि हानि और अंधापन का कारण बन सकता है।
दृष्टि हानि का प्रभाव:
- वैश्विक दृष्टि संकट:
- WHO के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 2.2 अरब से अधिक लोग दृष्टि संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं।
- इनमें से लहभग 1 अरब मामलों को उचित नेत्र की देखभाल से रोका जा सकता था।
- दृष्टिबाधित या अंधेपन से पीड़ित 90% व्यक्ति निम्न और मध्यम आय वाले देशों में निवास करते हैं।
- भारत को दृष्टि देखभाल की तत्काल आवश्यकता:
- भारत में लाखों व्यक्ति नेत्र देखभाल और चश्में की उपलब्धता संबंधी चुनौतियों का सामना कर रहा है जो अपवर्तक त्रुटियों के कारण दृष्टि हानि से पीड़ित हैं। WHO के अनुसार, कम से कम 10 करोड़ भारतीयों को चश्मे की आवश्यकता है, लेकिन उन तक उनकी पहुँच नहीं है।
- दृष्टि हानि का आर्थिक प्रभाव:
- दृष्टि हानि के परिणामस्वरूप लगभग 410.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की महत्त्वपूर्ण वैश्विक आर्थिक हानि हो सकती है।
- WHO के अनुसार, सभी के लिये नेत्र की देखभाल और उपचार तक पहुँच सुनिश्चित करने की लागत का अनुमान लगभग 24.8 अरब अमेरिकी डॉलर है।
- निकट दृष्टिदोष (Myopia) की चिंताजनक वृद्धि:
- वैश्विक स्तर पर निकट दृष्टिदोष बढ़ रहा है। चीन में केवल दो दशकों में निकट दृष्टिदोष की समस्या पहली बार दिखाई देने की औसत आयु 10.5 वर्ष से घटकर 7.5 वर्ष हो गई है।
- ताइवान, कोरिया, चीन, सिंगापुर और जापान सहित पूर्वी एवं दक्षिण एशियाई देशों में निकट दृष्टिदोष के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है।
- ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2050 तक विश्व की 50% आबादी निकट दृष्टिदोष से पीड़ित होगी। साथ ही यह भी अनुमान लगाया गया है कि निकट भविष्य में विश्व की आधी आबादी को चश्मे की आवश्यकता होगी।
- WHO के अनुसार, सभी लोगों के लिये आँखों की देखभाल और उपचार तक पहुँच सुनिश्चित करने की लागत 24.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर आंकी गई है।
आगे की राह
- स्क्रीन पर बिताए जाने वाले समय को कम करने, बाहरी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने और बच्चों की आँखों के स्वास्थ्य की निगरानी करने की रणनीतियों को लागू करने से मायोपिया से निपटने में मदद मिल सकती है।
- इसका शीघ्र पता लगाने और उपचार के लिये सभी उम्र के व्यक्तियों को नियमित आँखों की जाँच कराने के लिये प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
- सुलभ नेत्र देखभाल सेवाओं के लिये बुनियादी ढाँचे का निर्माण, विशेष रूप से दूरदराज़ और न्यून सेवा पहुँच वाले क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण है।
- अपवर्तक त्रुटियों और दृष्टि पर उनके प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये सार्वजनिक शिक्षा अभियान शुरू किया जाना चाहिये।
- Specs 2030 में सहयोग और निवेश के लिये सरकारों, गैर सरकारी संगठनों व निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करना इसके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये आवश्यक है।
UPSC सिविल सेवा, परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. भारत में 'सभी के लिये स्वास्थ्य' को प्राप्त करने के लिये समुचित स्थानीय सामुदायिक स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल का मध्यक्षेप एक पूर्वापेक्षा है। व्याख्या कीजिये। (2018) |