विविध
वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक 2018
- 21 Jan 2019
- 4 min read
चर्चा में क्यों?
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency-IEA) द्वारा जारी वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक 2018 रिपोर्ट में 2040 तक वैश्विक ऊर्जा उद्योग हेतु महत्त्वपूर्ण विचारों पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा की बढ़ती मांग और जीवाश्म ईंधन संबंधी चिंताएँ भी शामिल हैं।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- यह रिपोर्ट बढ़ती अनिश्चितताओं के दौर में बदलते वैश्विक ऊर्जा प्रणाली के भविष्य के पैटर्न की जाँच करती है और इस बात का खुलासा करती है कि बढ़ते विद्युतीकरण से लेकर ऊर्जा के नवीकरण, तेल उत्पादन में वृद्धि और प्राकृतिक गैस के वैश्वीकरण तक ऊर्जा क्षेत्र हेतु बड़े परिवर्तन चल रहे हैं।
प्रमुख निष्कर्ष
- मुख्य ध्यान
♦ इस रिपोर्ट के 2018 संस्करण का विशेष ध्यान बिजली पर है। हल्के औद्योगिक क्षेत्रों, सेवा क्षेत्र और डिजिटल प्रौद्योगिकी जैसे आर्थिक क्षेत्रों में बिजली पसंद का ‘ईंधन’ बनती जा रही है।
♦ वैश्विक ऊर्जा उपयोग में बिजली का हिस्सा बढ़ रहा है, जबकि कम कार्बन प्रौद्योगिकियों का उदय बिजली के उत्पादन के तरीके में एक बड़े परिवर्तन को प्रेरित कर रहा है।
- ऊर्जा
♦ ऊर्जा की मांग
♦ लोगों की बढ़ती हुई आय और 1.7 बिलियन से अधिक लोगों की आबादी, जिनकी वृद्धि अधिकांश विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में शहरी क्षेत्रों में हुई है, 2040 तक वैश्विक ऊर्जा मांग में एक-चौथाई की वृद्धि कर देंगी।
♦ मांग में वृद्धि विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में हुई जिनमें सबसे आगे भारत है।
♦ 2000 में, यूरोप और उत्तरी अमेरिका वैश्विक ऊर्जा मांग के 40% से अधिक के लिये ज़िम्मेदार थे, जबकि विकासशील एशियाई अर्थव्यवस्थाएँ केवल 20% ऊर्जा ही खपत कर रही थीं। 2040 तक यह स्थिति पूरी तरह से बदल जाएगी।
- उत्पादन
♦ पंद्रह साल पहले यूरोपीय कंपनियाँ दुनिया की शीर्ष बिजली कंपनियों की सूची में हावी थीं किंतु अब शीर्ष दस बिजली कंपनियों में से छह चीनी हैं, अर्थात् 2040 तक एशिया का वर्चस्व हो जाएगा।
- जीवाश्म ईंधन
♦ दो साल की गिरावट के बाद 2017 में कोयले का इस्तेमाल अपनी पुरानी स्थिति में आ गया लेकिन कोयला आधारित नए बिजली संयंत्रों में निवेश हाल के वर्षों में देखे गए स्तर से काफी नीचे था।
♦ 2030 में कोयले से आगे निकलते हुए प्राकृतिक गैस वैश्विक ऊर्जा मिश्रण में दूसरा सबसे बड़ा ईंधन बन जाएगी।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA)
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) एक स्वायत्त संगठन है, जो अपने 30 सदस्य देशों, 8 सहयोगी देशों और अन्य दूसरों के लिये विश्वसनीय, सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा सुनिश्चित करने हेतु काम करती है।
- इसकी स्थापना (1974 में) 1973 के तेल संकट के बाद हुई थी जब ओपेक कार्टेल ने तेल की कीमतों में भारी वृद्धि के साथ दुनिया को चौंका दिया था। IEA के मुख्य क्षेत्र हैं-
♦ ऊर्जा सुरक्षा
♦ आर्थिक विकास
♦ पर्यावरण जागरूकता
♦ दुनिया भर से इंगेजमेंट
- भारत 2017 में अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का एक सहयोगी सदस्य बना।
- इसका मुख्यालय फ्राँस के पेरिस में है।