विश्व आर्थिक मंच वार्षिक सम्मेलन 2019 | 29 Jan 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दावोस में पाँच दिवसीय विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक 2019 आयोजित की गई जिसमें जलवायु परिवर्तन, बढ़ती असमानता और अमेरिका-चीन व्यापार तनाव सहित वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा हुई।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- हाल ही में विश्व आर्थिक मंच (WEF) का सम्मलेन दावोस में आयोजित किया गया। इसमें राजनीति, व्यापार, विज्ञान, समाज और पर्यावरण से संबंधित परिचित एवं नए लोगों एवं विविध विचारों एवं संस्कृतियों का संवेदी समावेश किया गया।
- इस सम्मलेन में सामान्य विषयों को भी शामिल किया गया है जिससे यह प्रदर्शित होता है कि सबके सहयोग से ही बेहतर भविष्य का निर्माण हो सकता है।
- इस वर्ष सम्मलेन का विषय ग्लोबलाइज़ेशन 4.0 था जिसमें संस्कृति के महत्त्वपूर्ण आयामों को शामिल किया गया। इसमें वैश्वीकरण (ग्लोबलाइज़ेशन) के वास्तविक अर्थ पर बात की गई, जबकि पहले ग्लोबलाइज़ेशन का अर्थ पश्चिम से पूर्व देशों को किया जाने वाला आयात था। जो आज पूरी तरह बदल चुका है।
- इस सम्मलेन में सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के लगभग 3,000 प्रतिभागी और 115 देशों के नागरिक और सांस्कृतिक समाज के संगठन शामिल हुए।
भारत के संदर्भ में
- WEF भविष्य को नया आयाम देने के अंतर्गत विभिन्न नागरिक समाज संगठनों के युवाओं का बेहतर प्रतिनिधित्व करता है।
- इसके अंतर्गत बाज़ार अवसरों पर चर्चा की गई जैसे कि तेजी से बढ़ते बाजारों में भविष्य में होने वाली खपत। इस बार इसका केंद्रबिंदु भारत रहा जिसमें साझेदारी पर महत्त्वपूर्ण ध्यान दिया गया है।
- WEF की भविष्य की खपत प्रणाली की पहल के अंतर्गत एक ऐसे वैश्विक समाज को शामिल करती है जहां लोगों के जीवन में तकनीकी प्रगति समावेशी और दृढ़ता से जुड़ा है, जो लोगों के दैनिक जीवन को सरल बनाता है।
- WEF की इस साल की रिपोर्ट में भारत को युवा राष्ट्र बताते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि भारत 2030 तक अपनी खपत में लगभग 6 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि करेगा क्योंकि तब तक इसकी आबादी और बढ़ जाएगी।
- नीति आयोग के CEO ने भी भारत को नवाचार से जोड़ने के लिये बहुराष्ट्रीय कंपनियों को और अधिक सुविधा प्रदान करने पर बल देने की बात कही है।
- कंपनियों, सरकार एवं नागरिक समाज ने आने वाले दशक में भारत को बहुत बड़ा उपभोक्ता और सकारात्मक परिणामों को आगे बढ़ाने के लिये जीवन भर का अवसर बताया है।
वैश्वीकरण का दौर
वैश्वीकरण 1.0
- यह प्रथम विश्वयुद्ध के पूर्व का चरण था, जिसे भाप और यांत्रिक शक्ति के अन्य रूपों द्वारा व्यापार की लागत में एक ऐतिहासिक गिरावट के साथ शुरू किया गया था। इस दौरान दूरदराज़ से निर्मित वस्तुओं को उपभोग करने के लिये किफायती बनाया गया था।
- इस वैश्वीकरण को कोई सरकारी समर्थन प्राप्त नहीं था।
- इसके लिये कोई वैश्विक शासन नहीं था।
वैश्वीकरण 2.0
- यह द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद का चरण है जहाँ वस्तुओं के व्यापार को पूरक घरेलू नीतियों के साथ जोड़ा गया था।
- इसमें जहाँ बाज़ार पर दक्षता का प्रभाव था वहीं, सरकार पर न्याय का प्रभार था।
- वैश्वीकरण 2.0 के तहत संस्थान आधारित, नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय प्रशासन, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र, IMF, विश्व बैंक (WB), गैट / डब्ल्यूटीओ और खाद्य एवं कृषि संगठन तथा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन जैसी कई विशिष्ट एजेंसियों की स्थापना की गई।
वैश्वीकरण 3.0
- इसे हाइपर ग्लोबलाइज़ेशन भी कहा जाता है। अरविंद सुब्रमण्यन के अनुसार वैश्वीकरण 3.0 के दौरान विनिर्माण की एक नई दुनिया बनाई गई जिसमें उच्च तकनीक को कम मज़दूरी के साथ जोड़ा गया। इसका मतलब था सीमाएँ पार करने वाले कारखाने।
वैश्वीकरण 4.0
- यह वैश्वीकरण का एक नया चरण है जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी के विस्फोट के साथ आगे बढ़ने वाली कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को शामिल किया गया है।
- इसमें दूरियाँ कम हो रही हैं और दायरा बढ़ता जा रहा है और दुनिया भर के लोगों को एक साथ लाया जा रहा है।
विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum)
- विश्व आर्थिक मंच सार्वजनिक-निजी सहयोग हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जिसका उद्देश्य विश्व के प्रमुख व्यावसायिक, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों तथा अन्य प्रमुख क्षेत्रों के अग्रणी लोगों के लिये एक मंच के रूप में काम करना है।
- यह स्विट्ज़रलैंड में स्थित एक गैर-लाभकारी संस्था है और इसका मुख्यालय जिनेवा में है।
- इस फोरम की स्थापना 1971 में यूरोपियन प्रबंधन के नाम से जिनेवा विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसर क्लॉस एम. श्वाब ने की थी।
- इस संस्था की सदस्यता अनेक स्तरों पर प्रदान की जानी है और ये स्तर संस्था के काम में उनकी सहभागिता पर निर्भर करते हैं।
- इसके माध्यम से विश्व के समक्ष मौजूद महत्त्वपूर्ण आर्थिक एवं सामाजिक मुद्दों पर परिचर्चा का आयोजन किया जाता है।