COVID-19 के कारण वैश्विक खाद्य संकट की स्थिति | 02 Apr 2020

प्रीलिम्स के लिये:

COVID-19 

मेन्स के लिये:

खाद्य सुरक्षा, COVID-19 के वैश्विक प्रभाव 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कई वैश्विक संगठनों के प्रमुखों ने चेतावनी दी है कि यदि विश्व के देश COVID-19 की चुनौती से निपटने में असफल रहते हैं तो आने वाले दिनों में वैश्विक स्तर पर खाद्य संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

मुख्य बिंदु:   

  • 3 मार्च, 2020 को संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO), विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) और विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization- WTO) के सर्वोच्च अधिकारियों द्वारा साझा बयान में आने वाले दिनों में वैश्विक बाज़ार में खाद्य पदार्थों की उपलब्धता के संदर्भ में चिंता व्यक्त की गई है।   
  • COVID-19 के प्रसार को नियंत्रित करने के लिये विश्व के विभिन्न देशों ने लॉकडाउन के तहत लगभग सभी गतिविधियों (यातायात, व्यापार आदि) पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है।
  • वैश्विक स्तर पर अधिकांश देशों में लॉकडाउन के होने से वैश्विक व्यापार और खाद्य आपूर्ति शृंखला (Food Supply Chain) प्रभावित हुई है। लॉकडाउन से पहले लोगों द्वारा भयवश अत्यधिक खरीद या पैनिक बाईंग (Panic Buying) के परिणामस्वरूप बाज़ारों में खाद्य पदार्थों की कमी, खाद्य आपूर्ति शृंखला की संवेदनशीलता को दर्शाता है। 

संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन

(Food and Agriculture Organization- FAO):

  • संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन की स्थापना वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ के तहत की गई थी। 
  • इसका मुख्यालय रोम (Rome), इटली में स्थित है।
  • FAO वैश्विक स्तर पर खाद्य सुरक्षा के लिये काम करता है, इस संस्था का लक्ष्य पोषण सुधार, कृषि उत्पादकता में वृद्धि और ग्रामीण जीवन स्तर में सुधार के माध्यम से वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान देना है।  
  • वर्तमान में इस संस्था में 194 सक्रिय सदस्य हैं। 
  • साझा बयान के अनुसार, खाद्य उपलब्धता के संदर्भ में अनिश्चितता से एक साथ कई देश खाद्य निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकते हैं, जिससे वैश्विक बाजार में इनकी भारी कमी उत्पन्न हो सकती है।
  • ध्यातव्य है कि COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिये विश्व के कई देशों ने अपने देश के अंदर तथा अन्य देशों के बीच आवाजाही पर रोक लगा दी है। इसी के तहत भारत में 24 मार्च, 2020 को देश में अगले 21 दिनों के लिये संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की गई थी।

आयात पर निर्भरता:   

  • वर्तमान में विश्व के अनेक विकासशील देश अपनी खाद्य ज़रूरतों के लिये अन्य देशों से होने वाले आयात पर निर्भर रहते हैं। 
  • एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2013 में विश्व के लगभग 13 देश अपनी खाद्य ज़रूरतों के लिये पूर्ण रूप से अन्य देशों से होने वाले आयात पर निर्भर थे। 
  • वर्ल्डवाच इंस्टीट्यूट (Worldwatch Institute) के एक शोधकर्त्ता के अनुसार, वर्ष 1961-2015 के बीच विश्व भर में खाद्य आयात में 57% की वृद्धि हुई है।    

COVID-19 के वैश्विक प्रभाव:

  • वर्तमान में चीन से शुरू हुई COVID-19 की महामारी विकासशील देशों के साथ-साथ यूरोप के देशों और अमेरिका के लिये भी एक बड़ी समस्या बन गई है।
  • 3 मार्च, 2020 के आँकड़ों के अनुसार, ब्रिटेन में एक दिन में COVID-19 से मरने वालों की संख्या 563 बताई गई थी।
  • आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, ब्रिटेन में अब तक COVID-19 से मरने वालों की संख्या लगभग 2,352 तक पहुँच गई है।
  • COVID-19 से संक्रमित लोगों की बढ़ती संख्या के बीच स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने और स्वस्थाकर्मियों का नियमित परीक्षण करना एक बड़ी चुनौती बन गया है।
  • अमेरिका में COVID-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति ने देश की जनता को आने वाले कठिन दिनों के लिये तैयार रहने को कहा है।
  • व्हाइट हाउस के ‘COVID-19 रिस्पाँस कोऑर्डिनेटर’ (Response Coordinator) के अनुसार, वर्तमान COVID-19 के नियंत्रण के लिये किये जा रहे प्रयासों के बाद भी आने वाले दिनों में  अमेरिका में इस बीमारी से मरने वाले लोगों की संख्या 1 लाख से भी अधिक हो सकती है। 

वैश्विक खाद्य संकट से निपटने के समाधान: 

  • विशेषज्ञों के अनुसार, कृषि गतिविधियों में बाधा और सीमाओं पर खाद्य सामग्रियों को लंबे समय तक रोकने पर बड़ी मात्रा में फसलों और अनाज का नुकसान होगा। ऐसे में खाद्य आपूर्ति जैसी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये विशेष प्रयास किये जाने चाहिये। 
  • WTO, WHO और FAO द्वारा जारी साझा बयान के अनुसार, खाद्य आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिये खाद्य उत्पादन तथा प्रसंस्करण में लगे कर्मचारियों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये।
  • इस बयान में कहा गया कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिये कि COVID-19 के कारण आवश्यक वस्तुओं की अनपेक्षित कमी न हो, वर्तमान परिस्थिति में वैश्विक सहयोग में वृद्धि अतिआवश्यक है।  

स्रोत: द हिंदू