वर्ल्ड चिल्ड्रेन रिपोर्ट | 18 Oct 2019
प्रीलिम्स के लिये:
वर्ल्ड चिल्ड्रेन रिपोर्ट के तथ्यात्मक पक्ष, यूनिसेफ
मेन्स के लिये:
वर्ल्ड चिल्ड्रेन रिपोर्ट और बच्चों से संबंधित मुद्दे
चर्चा में क्यों?
हाल ही में यूनिसेफ (UNICEF) ने वर्ल्ड चिल्ड्रेन रिपोर्ट (World’s Children Report) जारी की है।
- यूनिसेफ ने पिछले 20 वर्षों में पहली बार बच्चों के पोषण से संबंधित रिपोर्ट जारी की है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में 5 वर्ष तक की उम्र के प्रत्येक 3 बच्चों में से एक बच्चा कुपोषण अथवा अल्पवज़न की समस्या से ग्रस्त है। पूरे विश्व में लगभग 200 मिलियन तथा भारत में प्रत्येक दूसरा बच्चा कुपोषण के किसी न किसी रूप से ग्रस्त है।
वर्ल्ड चिल्ड्रेन रिपोर्ट में भारत की स्थिति निम्न है:
- लंबाई के अनुपात में कम वज़न (Child Wasting):
- इस श्रेणी के अंतर्गत 5 वर्ष से कम उम्र के वे बच्चे आते हैं जिनका वज़न उनकी लंबाई के अनुपात में कम होता है।
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 17% बच्चे कुपोषण की इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।
- आयु के अनुपात में लंबाई का न बढ़ना- बौनापन (Child Stunting):
- इस श्रेणी के अंतर्गत 5 वर्ष से कम उम्र के वे बच्चे आते हैं जिनकी लंबाई आयु के अनुपात में कम होती है।
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 35% बच्चे पोषण की कमी के कारण कुपोषण की इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।
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बाल मृत्यु दर ( Child Mortality Rate) :
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एक वर्ष के भीतर 5 वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु दर को बाल मृत्यु दर कहते हैं।
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रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 में भारत में कुपोषण के कारण 5 वर्ष से कम उम्र के लगभग 8 लाख बच्चों की मृत्यु हुई जो कि नाइजीरिया (8.6 लाख), पाकिस्तान (4.09 लाख) और कांगो गणराज्य (2.96 लाख ) से भी अधिक है।
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वर्ल्ड चिल्ड्रेन रिपोर्ट के अन्य पक्ष:
- भारत में 5 वर्ष से कम आयु के 33% बच्चे अपनी आयु के आधार पर कम वज़न (Underweight) की समस्या से तथा इसी आयु वर्ग के 2% बच्चे आयु के अनुपात में अधिक वज़न (Overweight) की समस्या से ग्रस्त हैं।
- सरकार के अनुसार, वर्ष 2016-2018 के बीच बौनेपन (Stunting) और अल्पवज़न (Wasting) की समस्या से जूझ रहे बच्चों की संख्या में 3.7% की कमी आई तथा अल्पवज़न (Unerweight) की समस्या से जूझ रहे बच्चों की संख्या में 2.3% की कमी आई।
- दक्षिण एशिया के देशों में भारत में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में बौनेपन, अल्पवज़न, अल्पवज़न की श्रेणियों में 54% की दर के साथ अत्यंत बुरी स्थिति है। अफगानिस्तान और बांग्लादेश में यह क्रमशः 49% और 46% है। दक्षिण एशिया में आनुपातिक रूप से अच्छा प्रदर्शन करने वाले देश क्रमशः श्रीलंका (28%) और मालदीव (32%) हैं।
- रिपोर्ट के अनुसार, 6 महीने से 2 वर्ष की आयु वर्ग के 3 बच्चों में से 2 बच्चों को ऐसा खाना नहीं मिल पाता है जिससे उनका शरीर तथा मस्तिष्क अच्छी तरह से विकसित हो सके। इस कारण उनके अंदर प्रतिरोधक क्षमता की कमी, मस्तिष्क का कम विकास तथा उनमें संक्रमण के खतरे बढ़ जाते हैं और कई मामलों में मृत्यु भी हो जाती है।
- यूनिसेफ के अनुसार, भारत में गरीबी, शहरीकरण के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन खराब आहार के लिये ज़िम्मेदार है।
- केवल 61% भारतीय बच्चे, किशोर और माताएँ सप्ताह में कम से कम एक दिन दुग्ध उत्पादों का सेवन कर पाते हैं। उनमें से केवल 40% सप्ताह में एक दिन फलों का सेवन कर पाते हैं।
- भारत में 5 वर्ष से कम उम्र के लगभग 5 बच्चों में से एक बच्चा विटामिन A की कमी से ग्रस्त है जो कि भारत के लगभग 20 राज्यों में गंभीर समस्या के रूप में विद्यमान है।
- भारत में प्रत्येक दूसरी महिला एनीमिया से पीड़ित है तथा प्रत्येक 10 में से एक बच्चा प्री-डायबिटिक (Pre-Diabetic) है।
- भारतीय बच्चे, वयस्कों को होने वाली बीमारियों जैसे- उच्च रक्तचाप, क्रोनिक (Chronic) किडनी तथा मधुमेह से ग्रस्त हैं।
- रिपोर्ट के अनुसार, वैश्वीकरण तथा शहरीकरण के कारण भारत में मौसमी खाद्य पदार्थों और पारंपरिक खाद्य पदार्थों के स्थान पर प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को बढ़ावा मिला है जिसके कारण विकसित देशों में ही नहीं बल्कि विकासशील देशों में भी बढ़ता हुआ मोटापा नियंत्रण से बाहर हो गया है।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष- यूनिसेफ
(United Nations Childrens Fund)
- यूनिसेफ की स्थापना 11 दिसंबर, 1946 को द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यूरोप और चीन में बच्चों तथा महिलाओं की आपातकालीन ज़रुरतों को पूरा करने के लिये की गई थी।
- वर्ष 1950 में यूनिसेफ की कार्य सीमाओं को विकासशील देशों के बच्चों तथा महिलाओं की दीर्घकालिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिये विस्तारित कर दिया गया।
- वर्ष 1953 में यह संयुक्त राष्ट्र का स्थायी अंग बन गया ।