मेघालय के प्राकृतिक संसाधनों के लिये विश्व बैंक से प्रोत्साहन | 17 Apr 2018
चर्चा में क्यों?
भारत ने मेघालय कम्युनिटी-लेड लैंडस्केप्स मैनेजमेंट प्रोजेक्ट (Community-led Landscapes Management Project) के लिये विश्व बैंक (World Bank) के साथ 48 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण के लिये एक ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये।
उद्देश्य
- इस परियोजना का उद्देश्य मेघालय राज्य में चुनिन्दा भू-दृश्यों में समुदायिक-लेड लैंडस्केप्स प्रबंधन को सुदृढ़ करना है।
- इस प्रोजेक्ट को राज्य के तीन प्रमुख जनजातीय समुदायों खासी, गारो और जयंतिया (Khasi, Garo and Jaintia) द्वारा वनों और प्राकृतिक संसाधनों को प्रथागत कानूनों (customary laws) के ज़रिये प्रबंधित करने में सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
परियोजना के तीन घटक हैं
I. प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन हेतु ज्ञान और क्षमता सुदृढ़ता।
II. समुदाय संचालित भू-दृश्य नियोजन एवं कार्यान्वय।
III. परियोजना प्रबंधन एवं प्रशासन।
इसके लाभ क्या-क्या होंगे?
- इस परियोजना से मेघालय की तकरीबन 1,00,000 ग्रामीण आबादी को लाभ पहुँचने की संभावना है। साथ ही प्रौद्योगिकी के उपयोग से करीबन 30,000 युवाओं में क्षमता विकास के साथ-साथ उनके लिये रोज़गार के अवसर भी उत्पन्न होंगे।
- मेघालय के जंगलों को 'अवर्गीकृत जंगलों' (unclassified forests) के रूप में नामित किया गया है। जंगलों का अधिकांश भाग अभी तक किसी भी प्रकार से राजकीय संस्थानों से तकनीकी अथवा वित्तीय सहायता से अछूता है। इसके अलावा, राज्य में जल प्रबंधन के लिये भी कोई संस्थान या कानूनी संरचना मौजूद नहीं है।
- वनों की तरह जल निकायों, नदियों और स्प्रिंग्स को भी सामान्य संपत्ति के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इतना ही नहीं इनका प्रबंधन भी पारंपरिक आदिवासी संस्थानों द्वारा किया जाता है। लेकिन उनमें से कुछ गैर-वैज्ञानिक तरीके से कोयला और चूना पत्थर खनन के कारण प्रदूषित हो रहे हैं।
- इस परियोजना के तहत निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये 30 जून, 2023 की समयसीमा निर्धारित की गई है।
- इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत पाँच वर्षों की अवधि में 'अत्यधिक संकटमय’ और ‘संकटमय’ परिदृश्यों में स्थित लगभग 400 गाँवों को विशेष रूप से प्राथमिकता प्रदान की जाएगी।
- लैंडस्केप योजना और निवेश क्षेत्र के स्तर पर प्रभावी कार्य करने के लिये इन स्थानीय समुदायों और परियोजना प्रबंधन कर्मचारियों के लिये वृहद् प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी।
मेघालय के प्राकृतिक संसाधन यथा-भूमि तथा जल संसाधन तथा वन राज्य की अधिकांश जनसंख्या की जीविका के स्रोत हैं। यह परियोजना निरंतर घट रहे इन संसाधनों के समुदायिक तथा पारंपरिक संस्थानों को सुदृढ़ करके इनके प्रबंधन में सहायक सिद्ध होगी। इस परियोजना के अंतर्गत डिग्रेडिड तथा अत्यधिक डिग्रेडिड भू-दृश्यों को पुनर्जीवित किये जाने से स्थानीय समुदायों के लिये पानी की उपलब्धता बढ़ेगी तथा मृदा उत्पादकता में सुधार होगा, जिसके कारण उनकी आय में वृद्धि होगी और गरीबी कम होगी।