COVID-19 से मुकाबले के लिये विश्व बैंक की आर्थिक सहायता | 16 May 2020
प्रीलिम्स के लियेCOVID-19, विश्व बैंक, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना मेन्स के लियेCOVID-19 से मुकाबले में विभिन्न संस्थानों की भूमिका |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत सरकार और विश्व बैंक (World Bank) ने COVID-19 महामारी से प्रभावित गरीब और संवेदनशील परिवारों को सामाजिक-आर्थिक सहायता प्रदान करने में भारत के प्रयासों का समर्थन करने हेतु 1 बिलियन डॉलर के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किये हैं।
प्रमुख बिंदु
- विश्व बैंक का यह वित्त पोषण मुख्यतः दो चरणों में संपन्न होगा, पहले चरण के तहत वित्तीय वर्ष 2020 के लिये 750 मिलियन डॉलर का तात्कालिक आवंटन किया जाएगा, वहीं दूसरे चरण के तहत 250 मिलियन डॉलर की दूसरी किश्त वित्तीय वर्ष 2021 के लिये उपलब्ध कराई जाएगी।
- ध्यातव्य है कि इस समझौते पर भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव और विश्व बैंक की ओर से भारत के निदेशक जुनैद अहमद द्वारा हस्ताक्षर किये गए।
- आर्थिक मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव के अनुसार, मौजूदा और भविष्य के संकटों का सामना करने के लिये कमज़ोर और संवेदनशील वर्गों हेतु एक मज़बूत सामाजिक सुरक्षा प्रणाली काफी महत्त्वपूर्ण है।
- विश्व बैंक के वित्त पोषण का पहला चरण ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ (Pradhan Mantri Garib Kalyan Yojana-PMGKY) के माध्यम से पूरे देश में लागू किया जाएगा।
- पहले चरण के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Public Distribution System- PDS) और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfers-DBT) जैसे पहले से मौजूद राष्ट्रीय कार्यक्रमों का उपयोग करके आम लोगों को बड़े पैमाने पर नकद हस्तांतरण और खाद्य लाभ आदि प्रदान किये जाएंगे।
- साथ ही इस चरण के तहत COVID-19 राहत प्रयासों में शामिल आवश्यक श्रमिकों के लिये मज़बूत सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने तथा संवेदनशील समूहों, विशेष रूप से प्रवासियों और अनौपचारिक श्रमिकों को लाभांवित करने का कार्य भी किया जाएगा।
- वहीं दूसरे चरण में वित्त पोषण के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा के लिये किये जा रहे प्रोत्साहनों को और मज़बूत किया जाएगा, जिससे आम लोगों और संवेदनशील वर्ग को लाभ प्रदान करने और अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी पर लाने में मदद मिलेगी।
- इस घोषणा के बाद COVID-19 से लड़ने के लिये विश्व बैंक द्वारा भारत को दी गई मदद की राशि 2 बिलियन डॉलर तक पहुँच गई है। बीते महीने भी विश्व बैंक ने भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिये 1 बिलियन डॉलर के समर्थन की घोषणा की गई थी।
क्यों महत्त्वपूर्ण है यह वित्त पोषण कार्यक्रम?
- इस वित्त पोषण के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना एक महत्त्वपूर्ण निवेश है क्योंकि आँकड़ों के अनुसार, भारत की लगभग आधी आबादी प्रतिदिन 3 डॉलर से भी कम कमाती है, जिसके कारण वे गरीबी रेखा के काफी करीब हैं।
- आँकड़ों के मुताबिक, भारत की 90 प्रतिशत से अधिक कार्यशील जनसंख्या अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत है, जिन्हें अवकाश और सामाजिक बीमा जैसे कार्यस्थल आधारित सामाजिक सुरक्षा लाभ तक प्राप्त नहीं होते हैं।
- उल्लेखनीय है कि 9 मिलियन से अधिक प्रवासी मज़दूर और कामगार, जो प्रत्येक वर्ष कार्य और एक अच्छे सामाजिक जीवन की तलाश में राज्य की सीमाओं को पार करते हैं, वे भी अधिक मौजूदा समय में गंभीर जोखिम का सामना कर रहे हैं, क्योंकि भारतीय राज्यों में अधिकांश सहायता कार्यक्रमों का लाभ राज्य की सीमा के भीतर मौजूदा निवासियों को ही मिलते हैं।
- ध्यातव्य है कि COVID-19 महामारी के कारण दुनिया भर के विभिन्न देशों में सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन जैसे उपायों को लागू करना अनिवार्य हो गया है।
- जहाँ एक ओर इनके माध्यम से कोरोनावायरस के तीव्र प्रसार को रोका जा सका है, वहीं इसका प्रतिकूल प्रभाव विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्था और आम लोगों की नौकरी पर देखने को मिला है।
- भारत भी इस प्रवृत्ति का अपवाद नहीं और भारत में भी ये प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिले हैं। अतः मौजूदा समय में नकद हस्तांतरण और खाद्य सुरक्षा संबंधी लाभ गरीबों और संवेदनशील वर्गों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण हैं।
आगे की राह
- उल्लेखनीय है कि COVID-19 महामारी ने भारत की सामाजिक सुरक्षा प्रणाली में मौजूद विभिन्न खामियों को उजागर किया है, ऐसे में आवश्यक है कि इस अवसर का लाभ उठाते हुए हम अपनी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत करने की दिशा में प्रयास करें।
- यह कार्यक्रम भारत सरकार के प्रयासों को एक अधिक समेकित वितरण मंच का निर्माण करने की दिशा में सहायता प्रदान करेगा, जिससे राज्य की सीमाओं के पार ग्रामीण और शहरी आबादी को लाभ प्रदान किया जा सकेगा।