वुली मैमथ | 20 Sep 2021

प्रिलिम्स के लिये:

वुली मैमथ, साइबेरियाई टुंड्रा, प्लेइस्टोसिन युग, होलोसीन युग

मेन्स के लिये:

वुली मैमथ का पारिस्थितिकी महत्त्व

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राज्य अमेरिका के स्टार्टअप ‘कोलोसल बायोसाइंसेज़’ ने वुली मैमथ या उनके जैसे जानवरों को विलुप्त होने से बचाने और उन्हें साइबेरियाई टुंड्रा (वृक्षविहीन ध्रुवीय रेगिस्तान) के ठंडे परिदृश्य में लाने की अपनी योजना की घोषणा की है।

A-Mammoth-Undertaking

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • मैमथ (जीनस मैमथस) हाथियों के एक विलुप्त समूह से संबंधित हैं जिनके जीवाश्म प्लेइस्टोसिन युग में ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका को छोड़कर प्रत्येक महाद्वीप में तथा उत्तरी प्रारंभिक होलोसीन युग में उत्तरी अमेरिका में पाए गए।
      • प्लेइस्टोसिन युग 2.6 मिलियन वर्ष पहले शुरू हुआ और 11,700 वर्ष पहले समाप्त हुआ।
      • होलोसीन युग 11,700 वर्ष पहले शुरू हुआ और वर्तमान तक जारी है।
    • वुली मैमथ: वुली, उत्तरी या साइबेरियन मैमथ (मैमथस प्रिमिजेनियस) अब तक सभी मैमथ में सबसे प्रसिद्ध है।
      • साइबेरिया के स्थायी रूप से जमे हुए मैदान में पाए जाने वाली इस प्रजाति के शवों के माध्यम से मैमथ की संरचना और आदतों के बारे में बहुत जानकारी प्राप्त हुई है।
    • विलुप्त होने का कारण:
      • ऐसा माना जाता है कि मैमथ जलवायु परिवर्तन, बीमारी, मनुष्यों द्वारा शिकार या शायद इनमें से कुछ अन्य संयोजन के कारण विलुप्त हो गए।
  • वुली मैमथ का डीएक्सटिंक्शन
    • आवश्यकता:
      • पारिस्थितिक तंत्र की बहाली: जब लगभग 4,000 वर्ष पूर्व आर्कटिक से मैमथ गायब हो गए, तो सबसे पहले घास के मैदान का स्थान झाड़ियों ने ले लिया।
        • मैमथ जैसे विशाल जीव झाड़ियों को संकुचित करके और अपने मल के माध्यम से घास को उर्वरित करके पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने में मदद कर सकते हैं।
      • जलवायु परिवर्तन को कम करना:
        • यदि वर्तमान साइबेरियाई पर्माफ्रॉस्ट पिघलता है, तो यह शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करेगा।
        • जलवायु परिवर्तन में कमी लाकर पर्माफ्रॉस्ट को पिघलने से रोका जा सकेगा। 
    • प्रयुक्त तकनीकी: एशियाई हाथी भ्रूण को संशोधित करने के लिये CRISPR जीन एडिटिंग तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
      • एशियाई हाथी मैमथ के सबसे करीबी जीव हैं, इसलिये उनके जीनोम वुली मैमथ के समान होते हैं।
  • उठाई गई चिंताएंँ:
    • पारिस्थितिकी तंत्र को विक्षुब्ध करना: उन विलुप्त प्रजातियों को पारिस्थितिक तंत्र में वापस लाना जिनके निशान अब मौजूद नहीं हैं, मौजूदा पारिस्थितिकी तंत्र को विक्षुब्ध करेगा। 
    • अवसर लागत:
      • विलुप्त जीवों को वापस लाने से जैव विविधता की रक्षा या जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिये किये जाने वाले प्रयास अधिक लागत प्रभावी हो सकते हैं। 
      • यदि लोग विलुप्त न होने की अवधारणा पर विश्वास करना शुरू कर देंगे तो इससे संभावित नैतिक खतरे भी उत्पन्न हो सकते हैं।
      • यहांँ तक ​​कि अगर विलुप्ति से बचने हेतु कार्यक्रम सफल होते हैं, तो मौजूदा विलुप्त होने वाली प्रजातियों को बचाने की तुलना में उनकी लागत अधिक होगी।
        • एक बार विलुप्ति से बचाव संभव हो जाने के बाद प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने की आवश्यकता कम ज़रूरी प्रतीत होगी।
    •  प्राचीन मैमथ के व्यवहार की कोई गारंटी नहीं: भले ही नए इंजीनियर मैमोफेंट्स में मैमथ डीएनए हो, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि ये संकर (hybrids) प्राचीन मैमथ के व्यवहार को अपनाएंगे।
      • उदाहरण के लिये हमें अपने माता-पिता से डीएनए अनुक्रमण से कहीं अधिक विरासत में मिला है। हमें एपिजेनेटिक परिवर्तन (Epigenetic Changes) विरासत में मिलते हैं, जो हमारे आस-पास के वातावरण को प्रभावित कर सकते हैं कि उन जीन को कैसे नियंत्रित किया जाता है।
      • हमें अपने माता-पिता के माइक्रोबायोम (आंँतों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया की कॉलोनियांँ) भी विरासत में मिले हैं, जो हमारे व्यवहार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
      • जानवर अपनी प्रजाति के अन्य सदस्यों को देखकर व्यवहार करना सीखते हैं। परंतु प्रथम मैमोफेंट्स (First Mammophants) के सीखने के लिये उनके कोई  समकक्ष नहीं होंगे।

टुंड्रा

  • टुंड्रा जलवायु क्षेत्र 60° और 75° अक्षांश के मध्य का क्षेत्र होता है, इसमें ज़्यादातर उत्तरी अमेरिका और यूरेशिया के आर्कटिक तट के साथ ग्रीनलैंड के तटीय किनारे का क्षेत्र शामिल है।
  • टुंड्रा क्षेत्र में सर्दियों का मौसम लंबा और ठंडी रातें होती हैं, जहांँ साल के 6 से 10 महीनों के दौरान औसत तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे होता है। सतह के नीचे स्थायी रूप से जमी हुई ज़मीन की एक परत होती है, जिसे पर्माफ्रॉस्ट कहा जाता है। 
  • संरचनात्मक रूप से टुंड्रा एक वृक्ष रहित (Treeless) विस्तृत क्षेत्र  है जिसमें सेज (एक प्रकार का पक्षी) और हीथ (छोटी झाड़ियों का स्थान/आवास) के समुदायों के साथ-साथ छोटी झाड़ियाँ पाई जाती हैं। 

स्रोत-डाउन टू अर्थ