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बौनेपन का मुकाबला करने के लिये महिला स्वास्थ्य महत्वपूर्ण: अध्ययन

  • 28 May 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों ?

देश के 640 जिलों में कराए गए एक अध्ययन में बच्चों के बौनेपन (stunting) पर महिलाओं के स्वास्थ्य द्वारा पड़ने वाले प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है।

प्रमुख बिंदु 

  • इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईएफपीआरआई) के अध्ययन में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएचएफएस) - IV के आँकड़ों का विश्लेषण किया गया है, जिसके अनुसार महिलाओं से संबंधित पैरामीटर, जिनमें शिक्षा और विवाह के समय उम्र भी शामिल है, पाँच साल से कम उम्र के बच्चों के बौनेपन के उच्च और निम्न स्तर वाले जिलों के बीच के 50 प्रतिशत के अंतर के लिये जिम्मेदार हैं।
  • देश के  239 जिलों में 40% से अधिक बच्चे बौनेपन का शिकार हैं, जबकि 202 जिलों में यह आँकड़ा 30% से 40% के बीच दर्ज किया गया।
  • केवल 29 जिलों में यह स्तर 10% से 20% के मध्य पाया गया। इन जिलों में से अधिकांश दक्षिण भारत में स्थित हैं।
  • भारत दुनिया के कुल बौनेपन के शिकार बच्चों की संख्या के एक-तिहाई का प्रतिनिधित्व करता है।   
  • हालाँकि, देश में इसके स्तर में सुधार हुआ है और यह 2006 के 48% से सुधर कर 2016 में 38.4% पर आ गया है, लेकिन अभी भी विभिन्न जिलों के बीच व्यापक भिन्नताएँ विद्यमान हैं।
  • उत्तर भारत के राज्य 52.6 मिलियन संख्या के साथ देश के 80% प्रतिशत से अधिक बौनेपन के शिकार बच्चों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि तुलनात्मक रूप से दक्षिण के सभी राज्य मिलकर 8.1 मिलियन बौनेपन के शिकार बच्चों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उत्तर-पूर्वी राज्यों और द्वीपीय प्रदेशों में  मिलाकर लगभग 2.4 मिलियन बौनेपन के शिकार बच्चे पाए गए हैं।
  • हालाँकि, राज्यों के भीतर क्षेत्रवार रूप से बौनेपन के स्तर में भिन्नता देखने को मिलती है। जैसे आंध्रप्रदेश और कर्नाटक के कई क्षेत्रों में इसका उच्च प्रसार पाया गया है।
  • शोध में जिला स्तर पर महत्त्वपूर्ण निर्धारक तत्त्वों पर फोकस के साथ, बौनेपन की समस्या से निपटने हेतु एक लक्षित नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है। 
  • विशेषज्ञों के अनुसार, महिलाओं से संबंधित पैरामीटर बौनेपन की समस्या के संदर्भ में बेहद महत्त्वपूर्ण  हैं, अतः इन पर ध्यान केंद्रित करना अति आवश्यक है। इसके अंतर्गत लड़की के संपूर्ण जीवन के दौरान उसकी शिक्षा, पोषण, विवाह के साथ-साथ जब वह माँ बन जाए, तब भी सक्रिय हस्तक्षेप की किया जाना अपेक्षित है। 

चार पैरामीटर 

महिलाओं में, वे चार महत्त्वपूर्ण पैरामीटर जो बच्चों के बौनेपन में कटौती में 44% का योगदान देते हैं, वे हैं – बॉडी मास इंडेक्स (19%), शिक्षा (12%), विवाह के समय उम्र (7%), प्रसवपूर्व देखभाल (6%)। 
अध्ययन में हाइलाइट किये गए अन्य महत्वपूर्ण कारकों में बच्चों के लिये पर्याप्त आहार (9%), घरेलू परिसंपत्तियाँ (7%) भी शामिल हैं।

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