भारतीय सेना में महिलाओं को कमान की भूमिका | 24 Jan 2023
प्रिलिम्स के लिये:लैंगिक समानता, भारतीय सेना, समावेशिता। मेन्स के लिये:समाज और राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के संदर्भ में सेना में महिलाओं की भूमिका का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय सेना ने महत्त्वपूर्ण पहल करते हुए पहली बार 108 महिला अधिकारियों को उनके संबंधित सैन्य दल /ट्रुप और सेवाओं में यूनिट एवं सैनिकों को कमांड करने हेतु मंज़ूरी प्रदान की।
- लैंगिक समानता की दिशा में यह एक बड़ा कदम होगा।
- यह निर्णय अधिक महिलाओं को भारतीय सेना में शामिल होने के लिये प्रोत्साहित करेगा और संगठन के भीतर विविधता एवं समावेशिता को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
सर्वोच्च न्यायालय के वर्ष 2020 के आदेश:
- वर्ष 2019 में सेना ने शॉर्ट सर्विस कमीशन (Short Service Commission- SSC) की महिला अधिकारियों को स्थायी आयोग का विकल्प चुनने की अनुमति देते हुए अपने नियमों में बदलाव किया, जो अन्यथा 14 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हो जातीं।
- हालाँकि यह पूर्वव्यापी नहीं था और केवल वर्ष 2020 में सेना में अपना कॅरियर शुरू करने वाली महिला अधिकारियों पर लागू होता था।
- वर्ष 2020 के सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले द्वारा महिला अधिकारियों के लिये पूर्वव्यापी प्रभाव से स्थायी आयोग की व्यवस्था की गई।
- इसने सेना में उनकी आगे की उन्नति और पदोन्नति का मार्ग प्रशस्त किया, जिसने हाल ही में महिलाओं के लिये नेतृत्त्व और उच्च प्रबंधन पाठ्यक्रम शुरू किया है।
महिलाओं को कर्नल रैंक पर पदोन्नत करने में देरी:
- सेना में एक अधिकारी को वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट और विभिन्न पाठ्यक्रमों जैसे कुछ मानदंडों के आधार पर 16 से 18 वर्ष के बीच सेवा के बाद ही कर्नल के पद पर पदोन्नत किया जाता है।
- सेना में शामिल होने वाली महिला अधिकारियों को वर्ष 1992 में SSC अधिकारियों के रूप में शामिल किया गया था लेकिन बाद के वर्षों में स्थायी आयोग का विकल्प चुनने का विकल्प नहीं था।
- JAG और सेना शिक्षा कोर अपवाद थे, क्योंकि इनके लिये वर्ष 2008 में स्थायी आयोग बनाया गया था।
- अन्य सैन्य और सेवाओं के लिये महिलाएँ स्थायी कैडर नहीं बन सकती थीं, क्योंकि उन्हें कर्नल बनने के लिये अनिवार्य सेवा अवधि पूरी करने से पहले ही सेवानिवृत्त होना पड़ता था।
यूनिट को कमांड करने का अर्थ:
- कर्नल के पद पर पदोन्नत होने के बाद अधिकारी को सैनिकों को सख्त आदेश देने का अधिकार प्राप्त हो जाता है।
- कर्नल सेना में एक प्रतिष्ठित पद है क्योंकि यह एक उच्च पद है, लेकिन यह अधिकारी को सैनिकों के साथ सीधे बातचीत करने की भी अनुमति देता है।
- यह बातचीत कर्नल को नेतृत्व और निर्णय लेने के लिये अधिक व्यावहारिक दृष्टिकोण रखने में सहायता करती है, हालाँकि यह अवसर ब्रिगेडियर या मेजर जनरल जैसे उच्च-रैंक के अधिकारियों हेतु उपलब्ध नहीं है।
सेना के विभिन्न क्षेत्र जहाँ महिलाओं को कार्य करने की अनुमति नहीं:
- महिलाएँ अभी भी इन्फैंट्री, मैकेनाइज़्ड इन्फैंट्री और सेना के रूप में बख्तरबंद जैसे मुख्य शस्त्रों के लिये पात्र नहीं हैं क्योंकि सेना में महिलाओं को पैदल सैनिकों के रूप में सीमाओं पर युद्ध लड़ने की अनुमति नहीं है। यह प्रतिरोध पुरुष सैनिकों को युद्ध कैदियों के रूप में दुश्मन द्वारा प्रताड़ित किये जाने के पिछले उदाहरणों से उपजा है।
- हालाँकि सेना ने हाल ही में महिलाओं के लिये एक सहायक बल ‘कोर ऑफ आर्टिलरी’ खोलने का निर्णय लिया है।
भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना (IAF):
- नौसेना की सभी शाखाओं में महिला अधिकारियों को शामिल किया गया है और वे भविष्य में स्थायी कमीशन के लिये पात्र होंगी।
- महिला अधिकारी तट-आधारित इकाइयों की कमान संभाल सकती हैं और जैसे ही वे सेवा में शामिल होती हैं और स्थायी कमीशन के लिये पात्र हो जाती हैं, वे जहाज़ों एवं हवाई स्क्वाड्रन को कमांड करने में सक्षम होंगी।
- IAF ने महिला अधिकारियों के लिये सभी शाखाएँ खोल दी हैं, जिनमें फाइटर स्ट्रीम और नई हथियार प्रणाली शाखा (Weapon Systems Branch) शामिल हैं।
- चूँकि उन्हें पात्रता और रिक्तियों के आधार पर स्थायी कमीशन दिया जाता है, इसलिये वे भविष्य में कमांड इकाइयों के लिये पात्र होंगी।
अन्य सेनाएँ जो महिलाओं को कमांड पोज़ीशन धारण करने की अनुमति देती:
- संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, रूस और इज़रायल सहित सभी प्रमुख देश महिलाओं को अपने राष्ट्रीय सशस्त्र बलों में कमांड पदों पर तैनाती की अनुमति देते हैं। इसमें अधिकारियों और गैर-कमीशंड अधिकारियों जैसे पदों के साथ-साथ लड़ाकू इकाइयों और विशेष बलों में भूमिकाएँ शामिल हैं।
आगे की राह
- भारतीय सेना को कमांड भूमिकाओं हेतु महिलाओं के लिये प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करनी चाहिये, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे प्रभावी ढंग से नेतृत्त्व करने में सक्षम हों।
- भारतीय सेना को सेना में शामिल होने के लिये अधिक महिलाओं को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित करना चाहियेऔर भर्ती करना चाहिये, ताकि योग्य महिलाओं का एक बड़ा पूल हो जो कमांड भूमिका निभा सकें।
- भारतीय सेना को सेना की संस्कृति को बदलने के लिये काम करना चाहिये ताकि यह महिलाओं के लिये अधिक समावेशी हो और मौजूद किसी भी पूर्वाग्रह को दूर कर सके।
- भारतीय सेना को महिला सैनिकों के लिये बेहतर सुविधाएँ और सहायता प्रदान करने हेतु भी काम करना चाहिये जैसे कि बाल देखभाल, मातृत्व अवकाश और अन्य आवश्यकताएँ जो महिलाओं के लिये विशिष्ट हैं।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. "हालाँकि आज़ादी के बाद के भारत में महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, लेकिन महिलाओं और नारीवादी आंदोलन के प्रति सामाजिक रवैया पितृसत्तात्मक रहा है।" महिला शिक्षा एवं महिला सशक्तीकरण योजनाओं के अलावा कौन से हस्तक्षेप इस परिवेश को बदलने में मदद कर सकते हैं? (2021) |