भारतीय विरासत और संस्कृति
टूटे सपनों की गवाही : फूटी मस्ज़िद
- 12 Jan 2019
- 4 min read
संदर्भ
मुर्शिदाबाद (Murshidabad) जो अब पश्चिम बंगाल का एक छोटा सुस्त शहर है 18वीं – 19वीं शताब्दी में एक सक्रिय एवं धनाढ्य शहर था। यह शहर अतीत की बहुत-सी महत्त्वपूर्ण घटनाओं, सियासी साजिशों और बहुत-से प्रसिद्ध सम्राटों के किस्सों का गवाह है।
ऐतिहासिक विवरण
- बादशाह सरफराज खान, जिनके नाना मुर्शीद कुली खान थे, के द्वारा ही नासिरी वंश (Nasiri dynasty) एवं इस शहर (मुर्शिदाबाद Murshidabad) की स्थापना की
- नवाब मुर्शिद कुली खान ने 1727 में अपनी मृत्यु से पहले सरफराज खान को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया क्योंकि सिंहासन का कोई प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी नहीं था।
- हालाँकि शुजा खान (सरफराज के पिता) मुर्शिदाबाद का मसनद (Musnad) या सिंहासन प्राप्त करना चाहता था, लेकिन नवाब इससे असंतुष्ट रहते थे इसीलिये उन्होंने सरफराज को अपना उत्तराधिकारी बनाया।
- सरफराज 1739 में अलाउद्दीन हैदर जंग के नाम से सिंहासन पर बैठा। परंतु उसका शासन अल्पकालिक (लगभग एक साल) रहा क्योंकि उसके वज़ीर हाज़ी अहमद ने एक अमीर महाजन जगत सेठ फतेह चंद और राय रेयान चंद के साथ मिलकर नवाब के खिलाफ साजिश शुरू कर दी।
- हाज़ी अहमद ने सरफराज खान की जगह लेने के लिये बिहार के नवाब ‘नाजिम अली वर्दी खान’ को आमंत्रित किया, फलस्वरूप गिरिया की लड़ाई में अली वर्दी खान ने सरफराज खान को हरा दिया।
महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक विशेषताएँ
- मुर्शिदाबाद में नवाबों द्वारा निर्मित अनेक भव्य मस्ज़िद, महल और इमामबाड़ा हैं जो अतीत की संवृद्धि और विकास के परिचायक हैं।
- यहाँ एक आकर्षक मस्ज़िद (फूटी मस्ज़िद) है जिसका निर्माण कार्य अधूरा है, लेकिन अपनी अधूरी संरचना में भी यह रहस्यमयी एवं सारगर्भित इतिहास को दर्शाती है।
फूटी मस्ज़िद
- फूटी मस्ज़िद लगभग 135 फीट लंबी और 38 फीट चौड़ी, चारो कोनों पर चार गुम्बद हैं। पाँच नियोजित गुंबदों में से केवल दो का ही कार्य पूरा हुआ है।
- जैसा कि बताया जाता है कि इसका निर्माण शुरू होने के तुरंत बाद बादशाह की मृत्यु हो गई, जिससे मस्ज़िद को कभी भी पूरा नहीं किया जा सका। इसीलिये इस मस्ज़िद का नाम फूटी मस्ज़िद (Fouti Masjid) पड़ा ।
- फाउट (Fout) का अर्थ है मृत्यु। जैसाकि नाम से प्रतीत होता है कि मस्ज़िद को इसके निर्माता की मृत्यु के बाद ही फूटी मस्ज़िद (Fouti Masjid) नाम दिया गया होगा।
- मस्ज़िद आज भी अधूरी है, इसके प्रवेश मार्ग ऊँचाई पर है, इसमें विशाल हॉल और मेहराब है।
- मस्ज़िद में निर्जनता, रहस्य और आध्यात्मिकता का एक ऐसा समावेश है जो एक डरावनी (हॉरर) फिल्म जैसा प्रतीत होता है।
- एक किंवदंती यह है कि इस मस्ज़िद का निर्माण सरफराज खान ने एक रात में किया था।