व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक की वापसी | 06 Aug 2022
प्रिलिम्स के लिये:डेटा संरक्षण, व्यक्तिगत डेटा, प्राइवेसी, पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, डेटा लोकलाइज़ेशन, अन्य संबंधित कानून मेन्स के लिये:व्यक्तिगत डेटा संरक्षण का महत्त्व, डेटा सुरक्षा की चुनौतियाँ, डेटा सुरक्षा बिल के कार्यान्वयन हेतु उपाय |
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार ने संसद से व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक वापस ले लिया है क्योंकि यह विधेयक देश में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये ऑनलाइन स्थान को विनियमित करने हेतु “व्यापक कानूनी ढाँचे” पर विचार करता है।
व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक और इसकी प्रमुख चुनौतियाँ:
- परिचय:
- व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री द्वारा 11 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में पेश किया गया था।
- आमतौर पर इसे "गोपनीयता विधेयक" के रूप में जाना जाता है, इसका उद्देश्य व्यक्तिगत डेटा (जो कि व्यक्ति की पहचान कर सकता है) के संग्रह, संचालन और प्रक्रिया को विनियमित करके व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करना है।
- चुनौतियाँ:
- कई लोगों का तर्क है कि डेटा का भौतिक स्थान (Physical Location of the Data) साइबर दुनिया में प्रासंगिक नहीं है क्योंकि एन्क्रिप्शन कुंजी अभी भी राष्ट्रीय एजेंसियों की पहुँच से बाहर हो सकती है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा या उचित उद्देश्य खुले और व्यक्तिपरक शब्द हैं, जिससे नागरिकों के निजी जीवन में राज्य की घुसपैठ हो सकती है।
- फेसबुक और गूगल जैसी बड़ी प्रौद्योगिकियाँ इसके खिलाफ हैं और उन्होंने डेटा स्थानीयकरण की संरक्षणवादी नीति की आलोचना की है क्योंकि उन्हें डर है कि इसका अन्य देशों पर भी प्रभाव पड़ेगा।
- सोशल मीडिया फर्मों, विशेषज्ञों और यहाँ तक कि मंत्रियों ने भी इसका विरोध किया था, जिन्होंने कहा था कि उपयोगकर्त्ताओं एवं कंपनियों दोनों के लिये प्रभावी तथा फायदेमंद होने हेतु इसमें बहुत सी कमियाँ हैं।
- इसके अलावा इसका भारत के अपने युवा स्टार्टअप्स पर जो कि वैश्विक विकास का प्रयास कर रहे हैं, या भारत में विदेशी डेटा को संसाधित करने वाली बड़ी फर्मों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
विधेयक वापस लेने का कारण:
- बहुत अधिक संशोधन:
- संयुक्त संसदीय समिति (JCP) ने व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 का विस्तृत विश्लेषण किया।
- इस संबंध में 81 संशोधन प्रस्तावित किये गए थे, साथ ही डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र पर एक व्यापक कानूनी ढाँचे की दिशा में 12 सिफारिशें की गई थीं।
- JCP की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए एक व्यापक कानूनी ढाँचे पर काम किया जा रहा है।
- इसलिये इसे वापस लेने का प्रस्ताव आया।
- संयुक्त संसदीय समिति (JCP) ने व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 का विस्तृत विश्लेषण किया।
- गहन अनुपालन:
- विधेयक को देश के स्टार्टअप्स द्वारा "गहन अनुपालन के रूप में भी देखा गया था।
- विशेष रूप से स्टार्टअप के लिये संशोधित बिल का अनुपालन करना बहुत आसान होगा।
- डेटा स्थानीयकरण के मुद्दे:
- टेक कंपनियों ने विधेयक में डेटा स्थानीयकरण नामक प्रस्तावित प्रावधान पर सवाल उठाया।
- डेटा स्थानीयकरण के तहत कंपनियों के लिये भारत के भीतर कुछ संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा की एक प्रति संग्रहीत करना अनिवार्य होगा और देश से अपरिभाषित "महत्त्वपूर्ण" व्यक्तिगत डेटा का निर्यात प्रतिबंधित होगा।
- कार्यकर्त्ताओं ने आलोचना की थी कि यह केंद्र सरकार और उसकी एजेंसियों को विधेयक के किसी भी और सभी प्रावधानों का पालन करने से पूरी छूट देगा।
- टेक कंपनियों ने विधेयक में डेटा स्थानीयकरण नामक प्रस्तावित प्रावधान पर सवाल उठाया।
- हितधारकों की नकारात्मक प्रतिक्रिया:
- इस विधेयक को हितधारकों की नकारात्मक आलोचना का सामना करना पड़ा, ये हितधारक हैं फेसबुक, गूगल जैसी बड़ी टेक कंपनियों और गोपनीयता एवं नागरिक समाज के कार्यकर्त्ता।
- कार्यान्वयन में देरी:
- विधेयक में देरी के लिये कई हितधारकों ने आलोचना करते हुए कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि भारत के पास लोगों की गोपनीयता की रक्षा हेतु कोई बुनियादी ढाँचा नहीं है।
- विधेयक में देरी के लिये कई हितधारकों ने आलोचना करते हुए कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि भारत के पास लोगों की गोपनीयता की रक्षा हेतु कोई बुनियादी ढाँचा नहीं है।
संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशें:
- इसने श्रीकृष्ण पैनल द्वारा अंतिम रूप दिये गए विधेयक में 81 संशोधन और गैर-व्यक्तिगत डेटा पर चर्चा को कवर करने के लिये प्रस्तावित कानून के दायरे के विस्तार सहित 12 सिफारिशों का प्रस्ताव रखा था, इसलिये 'व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 को वापस लेने और एक नया विधेयक जो व्यापक कानूनी ढाँचे में फिट बैठता हो प्रस्तुत किया जाएगा।
- गैर-व्यक्तिगत डेटा, डेटा का ऐसा समूह है जिसमें व्यक्तिगत रूप से पहचान योग्य जानकारी नहीं होती है।
- JCP की रिपोर्ट में सोशल मीडिया कंपनियों के नियमन और स्मार्टफोन में केवल "विश्वसनीय हार्डवेयर" का उपयोग करने आदि जैसे मुद्दों पर बदलाव की सिफारिश की गई है।
- इसने प्रस्तावित किया कि सोशल मीडिया कंपनियाँ जो बिचौलियों के रूप में कार्य नहीं करती हैं, उन्हें सामग्री प्रकाशक के रूप में माना जाना चाहिये, जिससे उनके द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली सामग्री के लिये वे उत्तरदायी हो जाते हैं।
आगे की राह
- डेटा स्थानीयकरण:
- डेटा को ऐसे रूप में संग्रहीत किया जाना चाहिये जिस पर भारत सरकार का भरोसा हो और यह डेटा अपराध की जाँच के मामले में सुलभ होना चाहिये।
- सरकार केवल "विश्वसनीय भौगोलिक सीमा" के पार डेटा प्रवाह की अनुमति देने पर भी विचार कर सकती है।
- डेटा का वर्गीकरण:
- नया विधेयक डेटा स्थानीयकरण के दृष्टिकोण से व्यक्तिगत डेटा के वर्गीकरण को भी समाप्त कर सकता है और केवल उस स्थिति में डेटा का वर्गीकरण किया जा सकता है यदि किसी कंपनी द्वारा किसी के व्यक्तिगत डेटा के साथ छेड़-छाड़ की गई हो।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs):प्रारंभिक परीक्षा:प्रश्न. 'निजता का अधिकार' भारत के संविधान के किस अनुच्छेद के तहत संरक्षित है? (a) अनुच्छेद 15 उत्तर: (c) व्याख्या:
प्रश्न. निजता का अधिकार जीवन के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के आंतरिक भाग के रूप में संरक्षित है। निम्नलिखित में से कौन-सा भारत के संविधान में उपर्युक्त्त कथन का सही और उचित अर्थ है? (2018) (a) अनुच्छेद 14 और संविधान के 42वें संशोधन के तहत प्रावधान। उत्तर: (c) व्याख्या:
प्रश्न. निजता के अधिकार पर सर्वोच्च न्यायालय के नवीनतम निर्णय के आलोक में मौलिक अधिकारों के दायरे का परीक्षण कीजिये। ( मुख्य परीक्षा 2017) |