एनजीटी द्वारा वनाग्नि के सन्दर्भ में उठाए गए प्रश्नों के घेरे में केंद्र सरकार | 28 Jan 2017
गौरतलब है कि 27 जनवरी 2017 को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (National Green Tribunal - NGT) ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (Ministry of Environment and Forest) पर देश के सभी राज्यों में वनाग्नि के प्रबंधन के विषय में कोई ठोस योजना बनाने में कोताही बरतने का आरोप लगाया है|
प्रमुख बिंदु
- न्यायधीश स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पीठ द्वारा यह पाया गया कि देश के तकरीबन सभी राज्यों द्वारा वनाग्नि प्रबंधन योजना के विषय में अपनी-अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी गई है |
- हालाँकि केंद्र सरकार द्वारा अभी तक इस सन्दर्भ में, न तो कोई प्रतिउत्तर दिया गया है और न ही इस विषय में कोई विशेष निर्णय लिया गया है |
- घ्यातव्य है, कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की ओर से वन विभाग के उप महानिरीक्षक ए. के. मोहंती ने अदालत में मंत्रालय का प्रतिनिधित्व किया |
- वर्ष 2016 की गर्मियों में उत्तराखंड के वनों में लगी भीषण आग के सन्दर्भ में दायर की गई एक याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायालय द्वारा यह पाया गया कि वनाग्नि के कारण तकरीबन 2000 हेक्टेयर से अधिक वन नष्ट हो गए हैं |
- इस मामले में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण द्वारा पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को यह निर्देश दिये गए कि वह जल्द से जल्द सभी राज्यों को ई-मेल एवं बैठकों के माध्यम से वनाग्नि के संबंध में प्रभावी कार्यवाही करने की दिशा में सूचित करने का प्रयास करें|
- उक्त निर्देशों में यह कहा गया है कि यदि किसी कारणवश अनुमोदित योजनाएँ अपर्याप्त पाई जाती है तो पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के पास यह अधिकार है कि वह इनमें सुधार करके इनके अंतिम प्रारूप को कार्यान्वित करने का प्रयास करे |
- इसके अलावा, इस विषय में लिये गए निर्णयों के संबंध में मंत्रालय द्वारा न्यायाधिकरण को सूचित भी करना होगा |
- गौरतलब है, कि एकीकृत वन संरक्षण योजना (Integrated Forest Protection Scheme-IFPS) के अंतर्गत, प्रत्येक राज्य को वनाग्नि प्रबंधन योजना का प्रारूप तैयार करना होगा |
- इस प्रारूप के अंतर्गत वनाग्नि को नियंत्रित एवं प्रबंधित करने संबंधी सभी घटकों को इसमें शामिल करना अनिवार्य है|
- ध्यातव्य है, कि इन घटकों के अंतर्गत फायर लाइन्स का निर्माण किया जाएगा | इन फायर लाइन्स में वैसी वनस्पतियों (सूखी पत्तियों एवं घास युक्त वनस्पति) को उगाया जाएगा जो आग को फैलने से रोकने में कारगर साबित हो|
- इसके अतिरिक्त, कुछ अन्य उपायों जैसे - वॉच टावर का निर्माण करने तथा ठेका श्रमिकों द्वारा रोपिंग (roping) की स्थापना करने पर अधिक बल दिया जाएगा ताकि ज़मीनी स्तर पर आग के संबंध में सटीक निगरानी एवं प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित किया जा सकें|
- उल्लेखनीय है, कि केंद्र सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, अभी तक देश के कुल 21 राज्यों ने वनाग्नि प्रबंधन संबंधी अपनी कार्य-योजना प्रस्तुत की है|
- इनमें से चार राज्यों यथा- महाराष्ट्र, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश एवं हिमाचल प्रदेश द्वारा प्रस्तुत कार्य-योजना को, केंद्र द्वारा सहमति प्रदान की जा चुकी है |
- जबकि बिहार, गुजरात, कर्नाटक, असम, तेलंगाना, मेघालय, अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह तथा चंडीगढ़ सहित कुल दस राज्यों एवं पाँच केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अपनी कार्य-योजना प्रस्तुत करनी अभी बाकी है |
- मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों के अनुसार, वनाग्नि के कारण प्रति वर्ष तकरीबन 300 से 570 करोड़ रूपये का नुकसान होता है, जो कि आर्थिक तथा पर्यावरणीय दृष्टि से देश के लिए एक भारी क्षति है |