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शासन व्यवस्था

‘समाधान से विकास’

  • 20 Jul 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये 

वाह्य विकास शुल्क, अवसंरचनात्मक विकास शुल्क 

मेन्स के लिये 

‘समाधान से विकास’ योजना की आवश्यकता व महत्त्व  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में हरियाणा सरकार ने वाह्य विकास शुल्क (External Development Charges-EDC) और अवसंरचनात्मक विकास शुल्क (Infrastructural Development Charges-IDC) की लंबित देयताओं की एकमुश्त वसूली के लिये  'समाधान से विकास' नामक  योजना शुरू की है।

प्रमुख बिंदु 

  • इस योजना को केंद्रीय योजना विवाद से विश्वास’ के तर्ज़ पर विकसित किया गया है। 
  • इस योजना के समान ही वर्ष 2018 में वाह्य विकास शुल्क पुनर्निर्धारण नीति प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया गया था। 
  • हरियाणा में सैकड़ों रियल एस्टेट निर्माताओं को राज्य सरकार को वाह्य विकास शुल्क व अवसंरचनात्मक विकास शुल्क के रूप में लगभग 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना शेष है। 

वाह्य विकास शुल्क

  • यह शुल्क भवन निर्माताओं द्वारा विकसित सड़कें, पानी और बिजली की आपूर्ति, भू-निर्माण, जल निकासी, सीवेज सिस्टम के रखरखाव और अपशिष्ट प्रबंधन सहित विकसित परियोजनाओं की परिधि के भीतर नागरिक सुविधाओं के रखरखाव के लिये विकास प्राधिकरणों को भुगतान किया जाता है।
  • वाह्य विकास शुल्क का निर्धारण विकास प्राधिकरणों के अधिकारियों द्वारा किया जाता है।

अवसंरचनात्मक विकास शुल्क

  • यह भवन निर्माताओं द्वारा राज्य में प्रमुख बुनियादी ढाँचागत परियोजनाओं के विकास के लिये भुगतान किये जाने वाले शुल्क हैं। जिसमें राजमार्ग, पुल सहित परिवहन नेटवर्क का निर्माण शामिल है। 

हरियाणा में विधिक प्रावधान 

  • हरियाणा विकास और शहरी क्षेत्रों के नियमन (Haryana Development and Regulation of Urban Areas Rules), 1976 के अनुसार, एक लाइसेंसधारी भवन निर्माता को वाह्य विकास शुल्क का भुगतान तय मानदंडों के आधार पर करना होगा। 
  • यदि भवन निर्माता वाह्य विकास शुल्क/ अवसंरचनात्मक विकास शुल्क जमा नहीं करता है और न ही वाह्य विकास शुल्क पुनर्निर्धारण नीति का लाभ उठाता है, तो नगर एवं ग्राम नियोजन विकास विभाग द्वारा एक कारण बताओ नोटिस (show cause notice) जारी किया जाता है, जिसमें ऐसे डिफॉल्टरों को EDC/IDC का भुगतान न करने पर बैंक गारंटी को रद्द करने की चेतावनी दी जाती है। 
  • भवन खरीदारों के हितों को सुरक्षित रखने और भविष्य में किसी भी कदाचार व् धोखाधड़ी से निपटने के लिये परियोजना के प्रारंभ होने की तारीख से 90 दिनों के भीतर भवन निर्माताओं को 15 प्रतिशत की बैंक गारंटी का दावा प्रस्तुत करना पड़ता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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