जैव विविधता और पर्यावरण
वन्यजीव तस्करी
- 23 Jun 2020
- 5 min read
प्रीलिम्स के लिये:राजस्व खुफिया निदेशालय, CITES के बारे में मेन्स के लिये:विश्व स्तर पर वन्यजीव तस्करी रोकने के लिये किये गए उपाय |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘राजस्व खुफिया निदेशालय’ (Directorate of Revenue Intelligence-DRI) द्वारा एक वन्यजीव तस्करी समूह का खुलासा किया गया है जिसके तहत राजस्व खुफिया निदेशालय’ द्वारा कोलकाता एयरपोर्ट से दो लोगों को 22 विदेशी तोतों (Exotic Macaws) की विभिन्न प्रजातियों के साथ गिरफ्तार किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- ‘राजस्व खुफिया निदेशालय’ के अनुसार, ये पक्षी बांग्लादेश से कोलकाता के रास्ते तस्करी करके लाए जा रहे थे तथा इन्हें बंगलुरु पहुँचाया जाना था।
राजस्व खुफिया निदेशालय:
- राजस्व खुफिया निदेशालय एक भारतीय खुफिया एजेंसी है।
- यह भारत की एक प्रमुख तस्करी विरोधी खुफिया, जाँच एवं संचालन एजेंसी है।
- इसके आलावा इस एजेंसी द्वारा ड्रग्स, सोना, हीरे, इलेक्ट्रॉनिक्स, विदेशी मुद्रा, और नकली भारतीय मुद्रा सहित वस्तुओं की तस्करी पर रोक लगाने का कार्य किया जाता है।
- राजस्व खुफिया निदेशालय, भारत सरकार के वित्त मंत्रालय, राजस्व विभाग में केंद्रीय अप्रत्यक्ष करों और सीमा शुल्क के तहत कार्य करता है।
- इस तस्कर गिरोह को पकड़ने के लिये कोलकाता हवाई अड्डे पर वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (Wildlife Crime Control Bureau- WCCB) तथा सीमा शुल्क विभाग (Customs Department) द्वारा इस सयुक्त अभियान को संचालित किया गया।
- विदेशी पक्षियों को कोलकाता के अलीपुर में स्थित प्राणी उद्यान को सौंप दिया गया है।
- जब्त किये गए इन पक्षियों में दुर्लभ तोते की कई प्रजातियाँ-हकिंच मैकॉउ (Hacinth Macaw), पेस्केट पैरट (Pesquet’s Parrot), सीवियर मैकॉउ (Severe Macaw) और हैनस मैकॉउ (Hahn’s Macaw) भी शामिल हैं।
- ‘राजस्व खुफिया निदेशालय’ के अनुसार, मादक पदार्थों की तस्करी, नकली सामान तथा मानव तस्करी के बाद अवैध रूप से वन्यजीवों के व्यापार को वैश्विक स्तर पर चौथे सबसे बड़े संगठित अपराध के रूप में शामिल किया जाता है।
- भारत के पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्य बांग्लादेश और म्यांमार की सीमाओं तथा थाईलैंड के निकट होने के कारण सीमा पार वन्यजीव तस्करी के लिये सर्वाधिक भेद्य माने जाते हैं।
संरक्षित प्रजातियों के लिये अंतर्राष्ट्रीय कानूनी प्रावधान:
- तस्करी करके लाए गए इन पक्षियों को अंतर्राष्ट्रीय संधि के तहत संरक्षण प्राप्त है।
- अवैध रूप से आयातित इन पक्षियों को सीमा शुल्क अधिनियम की धारा-111 के तहत जब्त कर लिया गया है जो ‘वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन’-साइट्स (The Convention of International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora-CITES) के प्रावधानों तथा ‘विदेश व्यापार नीति’ के तहत संरक्षित हैं।
CITES:
- वर्ष 1973 के वाशिंगटन सम्मेलन में CITES पर सहमति बनी।
- यह समझौता 1 जुलाई, 1975 से लागू है।
- यह विश्व का सबसे बड़ा वन्य जीव संरक्षण समझौता है।
- यह जीवों एवं उनके अंगों आदि के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रतिबंधित करता है।
- यह विभिन्न राष्ट्रों को निर्देश भी देता है कि वे अपने राष्ट्र में अवैध जीव व्यापार को नियंत्रित रखे।
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 48 और 49 जंगली जानवरों, जानवरों से निर्मित सामान या इनके किसी अंग के व्यापार या वाणिज्य पर प्रतिबंध लगाती है।
- ऐसे अपराध करने पर सात साल की जेल की सजा का प्रावधान है।