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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

क्यों उचित नहीं है चीन के साथ ट्रेड वॉर ?

  • 19 Aug 2017
  • 5 min read

चर्चा में क्यों ?

भारत ने डोकलाम पर चीन की धमकियों को गम्भीरता से नहीं लिया है और न ही चीन भारत की चेतावनी को लेकर संवेदनशील नज़र आया है। दोनों ही देश जानते हैं कि युद्ध दोनों के ही हित में नहीं है। लेकिन वर्तमान में चीन और भारत के बीच ट्रेड वॉर जैसे हालात बन रहे हैं, जिसे गंभीरता से लिये जाने की ज़रूरत है।

क्यों बन रही हैं ट्रेड वॉर की परिस्थितियाँ

  • हाल ही में भारत ने 93 चीनी उत्पादों पर एंटी डंपिंग शुल्क लगा दिया है। ऐसी संभावना है कि चीन भी इसका प्रतिउत्तर देगा।
  • विदित हो कि राज्य के स्वामित्व वाली चीनी मीडिया ने चीनी फर्मों से भारत में निवेश के जोखिम पर पुनर्विचार करने को कहा है और एंटी डंपिंग शुल्क लगाने को एक दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई बताया है।

क्यों भारत के लिये सही नहीं है ट्रेड वॉर?

  • चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा पिछले साल बढ़कर 46.56 बिलियन डॉलर हो गया। चीन का भारत में निर्यात 58.33 बिलियन डॉलर है, जो कि 2015 में 58.25 बिलियन डॉलर के मुकाबले सामान्य वृद्धि ही कही जाएगी। वहीं चीन में भारत का निर्यात वर्ष 2015 की तुलना में अब 12 फीसदी कम होकर 11.76 बिलियन डॉलर पर आ गया।
  • भारत, चीन को निर्यात कम करता है जबकि आयात अधिक करता है। दरअसल, भारत जिन वस्तुओं का चीन से आयात करता है उनमें मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य विनिर्मित सामान शामिल हैं, जिनकी मांग बहुत ज़्यादा है।
  • विदित हो कि चीन अपने कुल वैश्विक निर्यात का मात्र 2 प्रतिशत ही भारत को निर्यात करता है, अर्थात् भारत यदि चीनी वस्तुओं पर प्रतिबन्ध लगा देता है तो भी चीन का वैश्विक निर्यात अप्रभावित ही रहेगा।
  • हालाँकि, भारत का बढ़ता हुआ बाज़ार चीन के लिये एक आकर्षक निवेश गंतव्य है और इसका उदाहरण चीनी स्मार्टफोन बिज़नेस का भारतीय बाज़ारों में अपनी मज़बूत पैठ बना लेना है| लेकिन चीन ने अब अपने इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के लिये यूरोप और अफ्रीका के बाज़ारों में अपनी पहुँच बनानी शुरू कर दी है।
  • भारत आज प्रतिवर्ष 70,000 करोड़ रुपए से अधिक का आयात दूरसंचार क्षेत्र में करता है, इस आयात का एक बड़ा हिस्सा हूवेई  (Huawei) और जेडटीई (ZTE) जैसे चीनी फर्मों के माध्यम से आता है। भारत का फार्मा सेक्टर भी चीनी आयात पर निर्भर है।
  • विद्युत् ऊर्जा एक अन्य क्षेत्र है जहाँ भारत चीनी आयात पर निर्भर रहा है। अकेले 12 वीं योजना में, उत्पादन क्षमता का लगभग 30% चीन से आयात किया गया था।
  • इन परिस्थितियों में भारत और चीन के बीच ट्रेड वॉर में अधिक नुकसान भारत का ही नज़र आ रहा है।

आगे की राह

  • लोकप्रिय अवधारणा यह है कि चीन उपभोक्ता वस्तुओं को भारत में डंप कर रहा है लेकिन तथ्य यह है कि भारत पूंजीगत वस्तुओं के लिये भी चीन पर निर्भर है। सस्ती पूंजीगत वस्तुओं के आयात में कमी से उत्पादन लागत में वृद्धि होगी जो कि भारतीय अर्थव्यस्था के लिये कतई अच्छी नहीं कही जाएगी।
  • आर्थिक मोर्चे पर दोनों देशों को सकारात्मक रुख अपनाना चाहिये और शायद भारत और चीन दोनों को इस बात का एहसास भी है, तभी तो चीन, भारत का एक सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी देश है।
  • दरअसल, भारत और चीन के व्यापारिक संबंधों का अवलोकन करें तो हम पाते हैं कि भारत की चीन पर निर्भरता अधिक है। भारत चीन से एक ट्रेड वॉर लड़ने की स्थिति में तब होगा जब चीन भारत पर निर्भर हो और इसके लिये विनिर्माण विकास को गति देनी होगी।
  • वर्तमान में भारत की विनिर्माण क्षमता सीमित है, ऐसे में ट्रेड वॉर भारत के हित में नहीं है।
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