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क्यों विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) गेमिंग को विकार के रूप में शामिल करना चाहता है?

  • 10 Jul 2018
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मानसिक स्वास्थ्य स्थिति के रूप में "गेमिंग विकार" को शामिल करने के लिये एक योजना की घोषणा की है। यह पुनर्वर्गीकरण इस माह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अपनाए जाने वाले रोगों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण के 11 वें पुनरीक्षण (ICD-11) का हिस्सा है।

प्रमुख बिंदु

  • WHO के इस कदम ने एक बहस शुरू कर दी है। साथ ही लोगों में गेमिंग की लत व्यापक रूप से देखी जा रही है। हाल ही में एक ऐसी घटना भी खबरों में आई जिसमें लगातर तीन दिन तक गेम खेलने से एक व्यक्ति को कैफे में मृत पाया गया और एक दम्पति द्वारा गेमिंग के कारण अपने बच्चों की उपेक्षा की गई थी। हालाँकि आलोचकों ने इसे विकार के रूप में औपचारिक तौर पर शामिल करने का विरोध किया है।
  • WHO द्वारा जून में ज़ारी रोगों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण के 11वें पुनरीक्षण के मसौदे में इसे "विकार" के रूप में शामिल किया गया है। जबकि वर्गीकरण का उद्देश्य दिशा निर्देशों के एक समूह के रूप में कार्य करना है, ऐसे में  ICD -11 कई देशों में स्वास्थ्य देखभाल नीतियों, निदान और उपचार विकल्पों के निर्धारण को प्रभावित करता है।
  • भारत में भी गेमिंग की आबादी तेजी से बढ़ रही है।  Google-KPMG के वर्ष 2017 के अध्ययन के अनुसार, भारतीय ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री की कीमत 290 मिलियन डॉलर है और वर्ष 2021 तक इसके 1 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान लगाया गया है। इस अध्ययन ने ऑनलाइन गेमर्स की वर्तमान संख्या 120 मिलियन बताई है। साथ ही, अनुमान लगाया कि तेज़ी से इंटरनेट के प्रवेश और सस्ते स्मार्टफोन विकल्पों के माध्यम से 2021 तक यह संख्या 310 मिलियन तक पहुँच सकती है।

परिभाषा के  रूप में विकार:

  • ICD -11  के मसौदे में, गेमिंग व्यवहार को एक पैटर्न ('डिजिटल-गेमिंग' या 'वीडियो-गेमिंग') जिसमें गेमिंग पर सही नियंत्रण नहीं रहता है, एक हद तक अन्य गतिविधियों के मुकाबले गेमिंग को प्राथमिकता देना या दैनिक क्रियाकलापों  के  अन्य गतिविधियों पर प्राथमिकता देना और नकारात्मक परिणामों की घटनाओं के बावजूद गेमिंग की निरंतरता या इसमें वृद्धि होना शामिल है, को गेमिंग विकार के रूप में परिभाषित किया गया है। मसौदे में यह भी कहा गया है कि व्यवहार पर प्रश्नचिह्न तभी लगाया जा सकता है जब तक संबंधित व्यक्ति का कार्यक्षेत्र लगभग 12 महींनों से प्रभावी रूप से असंतुलित नहीं हो।
  • दुनिया भर में बहुत सारे क्लीनिक गेमिंग व्यसन के लिये विशेष उपचार प्रदान करते हैं।

विरोधियों के मत:

  • विशेषज्ञों की चिंता है कि इस “अपरिपक्व वर्गीकरण” का उपचार और नीति-निर्माण पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा। व्यावहारिक व्यसनों से संबंधित जर्नल में प्रकाशित शीर्षक “गेमिंग विकार के लिये एक कमजोर वैज्ञानिक आधार: आइए सावधानी के पक्ष में गलती करें (A weak scientific basis for gaming disorder : Let us err on the side of caution)” के माध्यम से 34 संस्थानों के विशेषज्ञों ने कहा कि इसे औपचारिक तौर पर विकार के रूप में परिभाषित करने के लिये मज़बूत साक्ष्य आवश्यक हैं। पत्र में यह बात स्वीकार की गई है कि गेमिंग व्यसन को एक परिघटना रूप में और अध्ययन की आवश्यकता है तथा यह तर्क प्रस्तुत किया गया है कि इसका एक विकार के रूप में समय पूर्व वर्गीकरण उपचार के दुरुपयोग को बढ़ावा देगा। लेखकों ने इस तरह के वर्गीकरण की नैदानिक ​​उपयोगिता पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने यह भी कहा है कि गेमिंग को विकार के रूप में शामिल करने के लिये लक्षणों की कोई निर्धारित सूची नहीं है, तो क्या चिकित्सक उस बिंदु का निर्धारण कर पाएंगे जिस पर व्यसन विकार बन जाता है?
  • चिंता यह भी है कि गेमिंग की लत अवसाद जैसे गहरे मुद्दे का लक्षण हो सकती है। अनुसंधानकर्त्ताओं का कहना है कि नए वर्गीकरण के परिणामस्वरूप चिकित्सक अंतर्निहित मुद्दों की बजाय लक्षणों का ही उपचार करेंगे। 
  • 2016 में WHO को एक खुले पत्र में अनुसंधानकर्त्ताओं से पूछा गया कि क्यों नहीं गेमिंग को विकार के रूप में शामिल करने के तर्कों का उपयोग अन्य प्रकार के व्यसन के लिये किया जा सकता है? यह एक प्रोद्योगिकी विकार, एक स्मार्टफोन विकार या एक जुआ विकार क्यों नहीं हो सकता है? उन्होंनें कहा कि WHO इस पर संतोषजनक उत्तर देने में सक्षम नहीं है।

अधिक शोध की ज़रूरत:

WHO और आलोचक इस बात पर सहमत हैं कि जिस बिंदु पर गेमिंग एक लत के रूप में सामान्य दिनचर्या को बाधित करती है, उस पर और अधिक शोध की ज़रूरत है। WHO का विश्वास है कि इसे विकार के रूप में मान्यता प्रदान करना पूरे विश्व में अनुसंधान को बढ़ावा देगा जबकि आलोचकों का मानना ​​है कि शोध औपचारीकरण के किसी भी प्रयास से पहले होना चाहिये।

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