शिमला में जल संकट | 30 May 2018
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार और शिमला नगर निगम से पानी की अभूतपूर्व कमी पर स्पष्टीकरण मांगा है| पिछले आठ दिनों से उत्तर भारत के सर्वाधिक हिल स्टेशन वाले और पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण शिमला में पेयजल का संकट उत्पन्न हो गया है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- शिमला में पिछले हफ्ते असाधारण दृश्य देखने को मिला, नगर निगम के टैंकरों से बाल्टी भरने के लिये वहाँ के निवासियों को दिन भर संघर्ष करते देखा गया है|
- निराश जनता ने मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के निवास पर मार्च करने की कोशिश की|
- विरोध में धरना और रैलियों का आयोजन किया गया और लंबी कतारों में बाल्टी लिये लोगों की तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल हो रही हैं।
- शैक्षणिक संस्थान, निजी और सरकारी छात्रावास, विशेष रूप से बालिका छात्रावास, अस्पताल और कार्यालय बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
जल की कम उपलब्धता के क्या कारण हैं?
- शिमला को लंबे समय से जल आपूर्ति प्रदान करने वाली दो मुख्य आपूर्ति योजनाओं में पानी की उपलब्धता में नाटकीय गिरावट मुख्य समस्या है।
- गिरि योजना, जिसमें 20 मिलियन लीटर प्रतिदिन (MLD) की स्थापित क्षमता है, केवल 9.75 MLD प्रदान कर रही है और शहर की सबसे पुरानी गुमा योजना 21 MLD की स्थापित क्षमता के मुकाबले निगम को लगभग 10.6 MLD दे रही है।
- पर्यटन के पीक सीजन में औसतन 15,000-20,000 पर्यटक शहर में प्रतिदिन आते हैं जिससे 2.2 लाख आबादी वाले इस शहर के उपलब्ध संसाधनों पर अतिरिक्त भार डालते हैं।
- सप्ताहांत में दैनिक पर्यटक आगमन 25,000-30,000 तक पहुँचने का अनुमान है।
- जल स्रोतों के समाप्त हो जाने के कारण स्टेशनों पर पंप के माध्यम से जल निकालने के लिये पर्याप्त पानी नहीं है।
- कम वर्षा और बहुत कम बर्फबारी के साथ शुष्क मौसम एक कारक प्रतीत होता है।
- राज्य सरकार को सौंपे गए एक पत्र में नगरपालिका निगम ने प्रतिकूल मौसम/जलवायु स्थितियों को इसके लिये ज़िम्मेदार ठहराया है जिसके कारण जल के स्रोत सूखने लगे|
- पाइपों के पुराने होने एवं रिसाव के कारण पानी की बड़ी मात्रा बर्बाद हो जाती है।
- नगर निकाय द्वारा अक्सर पानी का वितरण मनमाने ढंग से किया जाता है और वीआईपी इलाकों को अधिक महत्त्व दिया जाता है।
- कई होटल जरूरत से अधिक पानी का उपयोग करते हैं, जिससे आम लोगों को लगभग हर साल पानी की कमी का सामना करना पड़ता है।
- पूरे शहर में अवैध निर्माण होने की वजह से इन स्थानों पर पानी का अधिक उपयोग किया जाता है।
- सिंचाई और लोक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग (IPH) विभाग ने 150 से अधिक किसानों को गिरि नदी से पानी खींचने के लिये पंपों का उपयोग करने की अनुमति दी है। किंतु इस संख्या से लगभग दोगुना अवैध पंपों का उपयोग पानी खींचने के लिये हो रहा है।
- 2015-16 में शहर में पीलिया फैलने के बाद 8 MLD पानी की आपूर्ति करने वाली अश्विनी खड़ (एक महत्त्वपूर्ण योजना) बंद कर दी गई थी।