महाराष्ट्र में खुली सिगरेट पर प्रतिबंध | 29 Sep 2020
प्रिलिम्स के लियेसिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम, 2003 मेन्स के लियेतंबाकू उपभोग के नियंत्रण की आवश्यकता, महाराष्ट्र सरकार के कदम के निहितार्थ |
चर्चा में क्यों?
महाराष्ट्र सरकार ने तंबाकू की खपत को कम करने और सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम, (COTPA) 2003 के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिये खुली सिगरेट और बीड़ी की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि इससे पूर्व छत्तीसगढ़ ने इस वर्ष की शुरुआत में सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था, जबकि कर्नाटक ने वर्ष 2017 में ही सिगरेट, बीड़ी और तंबाकू के अन्य प्रकारों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था।
- टोबैको फ्री यूनियन (Tobacco Free Union) के आँकड़ों के अनुसार, भारत में तंबाकू से होने वाली बीमारियों के कारण प्रत्येक वर्ष 1 मिलियन से भी अधिक लोगों की मृत्यु होती है।
इस कदम के निहितार्थ
- इस कदम के माध्यम से सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उपयोगकर्त्ता सिगरेट की पैकेजिंग पर मौजूद अनिवार्य चेतावनी का ध्यान रखें।
- सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम, (COTPA) 2003 के तहत तंबाकू उत्पादों की पैकेजिंग पर ग्राफिक के माध्यम से स्वास्थ्य चेतावनी देनी अनिवार्य है और इसके बाद ही वह उत्पाद बेचा जा सकता है, वहीं खुली हुई सिगरेट के मामले में इस अधिकांशतः इस नियम का पालन नहीं किया जाता है।
- अधिनियम की धारा 7 में उल्लेख किया गया है कि कोई भी व्यक्ति तब तक सिगरेट या किसी भी अन्य तंबाकू उत्पादों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उत्पादन, आपूर्ति या वितरण नहीं करेगा जब तक कि सिगरेट या उसके द्वारा उत्पादित किसी अन्य तंबाकू उत्पाद के या उसके लेबल पर स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी नहीं दी जाती है, इस विशिष्ट चेतावनी में चित्रात्मक चेतावनी भी शामिल हो सकती है।
- अधिनियम में यह भी उल्लेख किया गया है कि स्वास्थ्य संबंधी विशिष्ट चेतावनी को उस पैकेट के सबसे बड़े हिस्से में प्रदर्शित किया जाना चाहिये, जिसमें सिगरेट या किसी अन्य तंबाकू उत्पादों को वितरण, बिक्री और आपूर्ति के लिये पैक किया गया है।
- इसके अलावा भारत, डब्ल्यूएचओ फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (WHO Framework Convention on Tobacco Control) का एक हस्ताक्षरकर्त्ता है, जिसके प्रावधानों में तंबाकू उत्पादों की पैकेजिंग और लेबलिंग को विनियमित करना और उत्पाद प्रकटीकरण शामिल हैं।
- भारत ने वर्ष 2004 में डब्ल्यूएचओ फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (WHO Framework Convention on Tobacco Control) की पुष्टि की थी।
इस कदम की प्रभावशीलता
- महाराष्ट्र सरकार के इस प्रतिबंध की सफलता इसके व्यापक कार्यान्वयन पर निर्भर करती है, और इन प्रतिबंधों की प्रभावशीलता इसके कार्यान्वयन के पश्चात् ही देखने को मिलेगी।
- वर्ष 2017 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, तंबाकू उत्पादों पर कर बढ़ाना तंबाकू की खपत को नियंत्रित करने के प्रमुख तरीकों में से एक है।
- हालाँकि जब तंबाकू उत्पाद पर कर लगाकर उसे महँगा किया जाएगा, तो वैश्विक स्तर पर तंबाकू की खपत में कमी आ सकती है, लेकिन दूसरी ओर इसका परिणाम यही होगा कि इससे खुली सिगरेट और बीड़ी की बिक्री में हो सकती है।
- वर्ष 2017 में प्रकाशित अध्ययन में ही सामने आया था कि भारत में सिगरेट का सेवन करने वाले 57 प्रतिशत लोगों (लगभग 3.46 मिलियन) खुली सिगरेट ही खरीदते हैं।
- इस अध्ययन के अनुसार, खुली सिगरेट खरीदने वाले लोगों की संख्या में शिक्षा के बढ़ते स्तर के साथ कमी देखने को मिलती है और सरकारी कर्मचारियों के बीच इस प्रकार की प्रवृति सबसे कम देखने को मिली।
भारत में तंबाकू सेवान की स्थिति
- ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (GATS) 2016-2017 के अनुसार, भारत में वयस्कों का तकरीबन 10.7 प्रतिशत (99.5 मिलियन) हिस्सा धूम्रपान का सेवन करता है और सभी वयस्कों (286.8 मिलियन) का 28.6 प्रतिशत तंबाकू का उपयोग करते हैं।
- सर्वेक्षण के अनुसार, धूम्रपान करने वालों में से लगभग 4.4 प्रतिशत सिगरेट का प्रयोग करते हैं, जबकि 7.7 प्रतिशत लोग बीड़ी का सेवन करते हैं।
- अनुमान के अनुसार, भारत में दैनिक सिगरेट का प्रयोग करने वाले व्यक्ति का औसत मासिक खर्च लगभग 1,100 रूपए आता है और दैनिक बीड़ी धूम्रपान करने वाले व्यक्ति का औसत मासिक खर्च लगभग 284 रूपए आता है।
- इस सर्वेक्षण के अनुसार, महाराष्ट्र में तंबाकू धूम्रपान का सबसे कम प्रचलन है।
- इसके अलावा वर्तमान में देश में धूम्रपान करने वालों में से 91 प्रतिशत का मानना है कि धूम्रपान गंभीर बीमारी का कारण बनता है।
- सर्वेक्षण के अनुसार, सिगरेट का प्रयोग करने वालों में तकरीबन 68 प्रतिशत और बीड़ी का प्रयोग करने वाले लोगों में 17 प्रतिशत लोग खुली सिगरेट और बीड़ी की खरीद करते हैं।
तंबाकू नियंत्रण क्यों आवश्यक?
- गौरतलब है कि भारत तंबाकू आधारित उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और उत्पादक है। तंबाकू का सेवन, बहुत सारे रोगों जैसे- कैंसर, फेफड़ों की बीमारियों और हृदय रोगों सहित स्वास्थ्यगत बीमारियों के मुख्य कारकों में से एक है।
- स्वास्थ्य संबंधी बिमारियों के अलावा तंबाकू सेवन के कारण चिकित्सा खर्च में वृद्धि होती है और आम लोगों की घरेलू आय में कमी आती है, जिससे गरीबी भी बढ़ती है।
आगे की राह
- कई देशों द्वारा तंबाकू नियंत्रण को गरीबी समाप्त करने वाली नीतियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है, भारत को भी इस दिशा में आगे कदम बढ़ाना चाहिये।
- गाँवों में रहने वाले अधिकांश गरीबों के पास टेलीविज़न की सुविधा उपलब्ध नहीं है। अतः उन्हें धूम्रपान के खिलाफ चेतावनी देने वाले अभियानों से ज़रूरी लाभ नहीं मिल पाता है।