इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स (IoT) : भारत की ज़रूरत | 16 Jul 2018
संदर्भ
नीति आयोग ने एक गंभीर चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि भारत इतिहास में अपने "सबसे खराब" जल संकट का सामना कर रहा है और साथ ही आशंका व्यक्त की है कि अगर वर्ष 2030 तक जल संरक्षण के लिये पर्याप्त कदम नहीं उठाए गये तो पीने योग्य पानी की मांग को पूरा करना मुश्किल हो जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- जल संकट की घटनाओं को देखते हुए विभिन्न नीतिगत कदमों के साथ-साथ तकनीक का प्रयोग करना उचित कदम साबित हो सकता है।
- प्रमुख रूप से स्मार्ट मीटर पर विचार किया जा सकता है जो वास्तविक समय में व्यक्तिगत जल खपत की रीडिंग और लीक का पता लगाने तथा पानी की आपूर्ति को दूर से ही बंद करने में सक्षम हैं।
इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स की अवधारणा के अनुप्रयोग
- यह इंटरनेट पर रिमोट मॉनीटरिंग की अनुमति देता है इसके द्वारा स्मार्ट मीटर का उपयोग जल उपचार प्रणाली का विश्लेषण करने और किसी भी समय एवं कहीं से भी इसे नियंत्रित करने के लिये किया जा सकता है।
- फसलों हेतु पानी, नल के पानी की गुणवत्ता, नदी में फैंके जाने वाले अपशिष्ट की मात्रा या रिसाव का पता लगाने और यहाँ तक कि जलाशयों में जल स्तर की विविधता आदि की निगरानी के लिये भी किया जा सकता है।
- रिसर्च फर्म आईएचएस मार्किट ने भविष्यवाणी की है कि आगामी पाँच वर्षों में 500 मिलियन से अधिक स्मार्ट वॉटर मीटर इकाइयों को विश्व स्तर पर बेचा जाएगा।
- इसके अलावा, एक स्मार्ट शहर के लिये आईओटी ऊर्जा आधारित स्मार्ट पानी और ऊर्जा मीटर कुछ ऐसे उदाहरण हैं, जिससे वे लाभान्वित हो सकते हैं।
- उल्लेखनीय है कि भारत में वर्ष 2020 तक 1.9 बिलियन डिवाइस कनेक्ट किये जाने की उम्मीद है जो वर्तमान में 60 मिलियन हैं।
- आईओटी इंडिया कॉन्ग्रेस 2018 के अनुसार, भारत के आईओटी बाज़ार का दूरसंचार, स्वास्थ्य, वाहन, घरों, शहरों और कंप्यूटर जैसे क्षेत्रों में वर्ष 2016 के $ 1.3 बिलियन से बढ़कर 2020 तक 9 अरब डॉलर हो जाने की उम्मीद है।
- यूटिलिटीज, विनिर्माण, मोटर वाहन और परिवहन तथा लॉजिस्टिक जैसे उद्योगों को भारत में सबसे अधिक स्तर पर अपनाए जाने के साथ ही स्वास्थ्य देखभाल, खुदरा और कृषि जैसे क्षेत्रों में भी आईओटी में महत्त्वपूर्ण प्रगति की उम्मीद है।
- अगले पाँच वर्षों में 100 स्मार्ट शहरों के विकास के लिये $ 1 बिलियन का सरकारी निवेश भी उद्योगों को आईओटी अपनाने हेतु प्रोत्साहित करेगा।
- आईबीएम, सिस्को, क्वालकॉम जैसी बड़ी कंपनियों और भारतीय स्टार्ट-अप के कई मेजबानों ने आईओटी अंतरिक्ष में निवेश शुरू कर दिया है।
- उदाहरण के लिये जर्मन तकनीकी प्रमुख बॉश, भारत में अगले तीन वर्षों में ₹ 1,700 करोड़ के निवेश करने की तलाश में हैं जो आईओटी और कृत्रिम बुद्धिमता पर केंद्रित है।
- हालाँकि, जर्मन कंपनी ही नहीं, अपितु भारतीय दूरसंचार उद्योग भी आईओटी में भारी निवेश कर रहा है।