क्यों हृदय रोग का जोखिम राज्यों में भिन्न होता है? | 21 Jun 2018
चर्चा में क्यों?
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया और हार्वर्ड टीएच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्त्ताओं के नेतृत्व में किये गए अध्ययन के अनुसार, धनी और अधिक शहरीकृत राज्यों को कार्डियोवैस्कुलर डिज़ीज़ ( Cardiovascular Disease-CVD) के उच्च जोखिम का सामना करना पड़ता है। अध्ययन में पाया गया है कि भारत में CVD का जोखिम केरल में सबसे अधिक 19.5% तथा झारखंड में सबसे कम 13.5% है।
अध्ययन की विधि तथा निष्कर्ष
- अध्ययन में फ्रेमिंघम जोखिम (framingham risk) स्कोर नामक एक इंडेक्स का उपयोग करके CVD कार्यक्रम के अंतर्गत औसत 10-वर्षीय जोखिम की गणना की गई।
- द्वितीय चरण के विश्लेषण में हार्वर्ड-NHANES, ग्लोबोरिस्क और WHO-ISH स्कोर का इस्तेमाल किया गया|
- CVD जोखिम और जोखिम कारकों के प्रसार की जाँच राज्य, ग्रामीण शहरी निवास, आयु, लिंग, घरेलू संपत्ति और शिक्षा के आधार पर की गई।
- इसमें लगभग 8 लाख वयस्कों के लिये डाटा का विश्लेषण किया गया और पाया कि उत्तरी, पूर्वोत्तर और दक्षिणी राज्यों में CVD का जोखिम सबसे अधिक है। आँकड़ों की अनुपलब्धता के कारण गुजरात और जम्मू-कश्मीर अध्ययन का हिस्सा नहीं थे।
- अध्ययन में पाया गया कि कार्डियोवैस्कुलर डिज़ीज़ का जोखिम राज्यों के बीच व्यापक रूप से भिन्न है और इसमें वयस्कों की सामाजिक-जनसांख्यिकीय विशेषताओं के आधार पर धूम्रपान और मधुमेह जैसे जोखिम वाले कारकों में महत्त्वपूर्ण बदलाव देखा गया।
- उल्लेखनीय है कि इस अध्ययन के निष्कर्ष हृदय रोग को रोकने के लिये संसाधनों को आवंटित करने का निर्णय लेने में सहायक हो सकते हैं|
- शोधकर्त्ताओं ने वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (राउंड 2) और 2012 से 2014 के बीच किये गए ज़िला स्तरीय घरेलू और सुविधा सर्वेक्षण (राउंड 4) से प्राप्त आँकड़ों का उपयोग किया।
- उत्तर, पूर्वोत्तर और दक्षिण राज्यों में हाई बॉडी मास इंडेक्स (BMI), उच्च रक्तचाप, मधुमेह और धूम्रपान के प्रसार ने CVD जोखिम में भारी योगदान दिया।
- BMI, रक्त ग्लूकोज़ और रक्तचाप शहरी क्षेत्र में समृद्धि और रहन-सहन के स्तर के साथ जुड़े हैं। उच्च रक्त ग्लूकोज़ और उच्च रक्तचाप (BP) का प्रसार गरीब समूहों और ग्रामीण क्षेत्रों में मध्यम आयु वर्ग और वृद्धावस्था में अधिक देखा गया|
- गरीब समूहों, ग्रामीण इलाकों और पुरुषों में धूम्रपान अधिक सामान्य है। यह पूर्वोत्तर राज्यों और पश्चिम बंगाल के पुरुष वर्ग में सबसे अधिक व्याप्त है।
- अध्ययन में पाया गया है कि ओडिशा, बिहार, असम, राजस्थान की आबादी को अगले 10 वर्षों में CVD से पीड़ित होने का 14-15 फीसदी जोखिम है, जबकि उत्तर प्रदेश, दिल्ली और तेलंगाना के लोगों में 15-16 फीसदी जोखिम की संभावना है।
- पंजाब, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु की आबादी 17-18 फीसदी के जोखिम पर है, जबकि उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के लोगों में CVD का जोखिम 18-19 प्रतिशत है।
संचारी तथा गैर-संचारी रोगों की स्थिति
- अध्ययन के मुताबिक, गैर-संचारी रोग (Non-communicable Disease- NCD) और संचारी रोगों (Communicable Disease-CD) में विपरीत संबंध है|
- झारखंड जैसे राज्यों में CD का प्रसार अधिक है, जबकि NCD कम, वहीँ विकसित राज्यों में NCD का प्रसार अधिक तथा CD का प्रसार कम है।
- झारखंड जैसे कम विकसित राज्यों में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा केरल जैसे विकसित राज्यों की तुलना में कम है। जीवन प्रत्याशा रोग पैटर्न से प्रभावित होती है।
- कुछ राज्य CVD के उच्च जोखिम वाले हैं क्योंकि वे विकास में आगे हैं और वहाँ बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ मौजूद हैं। जीवन शैली, आहार पैटर्न और अन्य कारकों ने इन भिन्नताओं में भूमिका निभाई है|
- एक अन्य कारक मोटापा भी है| यह शहरी क्षेत्रों में अधिक पाया गया है जहाँ लोग पैदल चलने के बजाय वाहन का प्रयोग अधिक करते हैं और सीढ़ियों की बजाय लिफ्ट का प्रयोग करते हैं तथा उच्च कैलोरी युक्त आहार का अधिक सेवन करते हैं|
यह अध्ययन क्यों किया गया?
- कार्डियोवैस्कुलर डिज़ीज़ (CVD) को भारत में बढ़ते स्वास्थ्य जोखिम तथा आर्थिक बोझ का कारण माना जाता है।
- इस अध्ययन में यह समझने की कोशिश की गई है कि भारत के जनसंख्या समूहों के बीच CVD जोखिम किस प्रकार भिन्न है| CVD के बढ़ते जोखिम को देखते हुए स्वास्थ्य प्रणाली की योजना तैयार करना और CVD कार्यक्रमों को लक्षित करना इस अध्ययन का मूल मकसद है।
- ध्यातव्य है कि आज तक बड़े स्तर पर आबादी आधारित अध्ययन नहीं किया गया है जो यह परीक्षण कर सके कि CVD जोखिम भारत के राज्यों और सामाजिक समूहों के बीच किस प्रकार भिन्न होता है?