नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

लोगों को आधार के लिये बाध्य करना कितना जायज

  • 22 Apr 2017
  • 3 min read

समाचारों में क्यों?
विदित हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने आधार कार्ड को आयकर रिटर्न भरने के लिये अनिवार्य बनाने के तर्क पर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिये हैं और यह पूछा है कि क्या यह फर्ज़ी पैन(PAN) संख्या और राशन कार्डों को समाप्त करने के एक उपाय के तौर पर कार्य करेगा?

महत्त्वपूर्ण  बिंदु 

  • न्यायाधीश ए.के सिकरी ने भारत के महान्यायवादी मुकुल रोहतगी को मौखिक रूप से संबोधित करते हुए कहा कि क्या यह आधार कार्ड प्राप्त करने के लिये लोगों पर दबाव बनाने का विकल्प कारगर सिद्ध होगा? रोहतगी के अनुसार, आयकर अधिनियम के धारा 139 (एए) के तहत आधार कार्ड को आयकर भरने के लिये अनिवार्य बनाना एक विधायी अधिदेश था|
  • इस प्रावधान के तहत पैन कार्ड प्राप्त करने के लिये आधार कार्ड को अनिवार्य माना गया है| पैन की मौजूदा वैधता को जारी रखने और आयकर कानून के अंतर्गत रिटर्न भरने के लिये भी आधार कार्ड को उपयोगी बताया गया है|
  • न्यायाधीश ए.के सिकरी की नेतृत्व वाली इस खंडपीठ ने 15 अक्टूबर, 2015 के निर्णय का हवाला देते हुए कहा है कि आधार कार्ड योजना विशुद्ध स्वैच्छिक है और इसे तब तक अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता है जब तक कि इस मामले में कोई अंतिम निर्णय न्यायालय द्वारा नहीं ले लिया जाता| 
  • सरकार, आधार(वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण)अधिनियम, 2016 का हवाला दे रही थी| इस अधिनियम के धन विधेयक  के रूप में अधिनियमन को ही पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयराम नरेश द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है| 

निष्कर्ष :
गौरतलब है कि आधार अधिनियम में भी आधार को अनिवार्य नहीं बनाया गया है, वहीं आयकर अधिनियम,1961 की धारा 139 (एए) में आधार के पंजीकरण को अधिनियम में बिना किसी उचित संशोधन के ही अनिवार्य बना दिया गया है| हालाँकि, अब जब मामला सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष है तो उम्मीद की जानी चाहिये कि आधार पर हो रही बहस को अंत मिलेगा|

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow