जैव विविधता और पर्यावरण
वुली राइनो या महाकाय की विलुप्ति का कारण
- 24 Jun 2019
- 5 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में लखनऊ में स्थित बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेस (Birbal Sahni institute of Palaeosciences) के शोधकर्त्ताओं ने वुली/बालदार राइनो (Woolly Rhino) के विलुप्त (Extinct) होने के कारणों की जानकारी प्राप्त करने के लिये जंगली याक (एक लुप्तप्राय प्रजाति) पर अध्ययन किया।
- शोधकर्त्ताओं ने अतीत की वनस्पतियों और जलवायु को समझने के लिये याक (Yak) के गोबर का विश्लेषण किया।
- शोधकर्त्ताओं के अनुसार, विलुप्त जानवरों का वर्तमान जानवरों के अध्ययन के परिणामों से तुलनात्मक अध्ययन करने पर प्राचीन काल की जलवायु संबंधी कारकों और महाकाय शाकभक्षियों (Mega Herbivores) की अन्य अनुकूलन रणनीतियों के बारे में समझने में अधिक मदद मिल सकती है।
जंगली याक (Wild Yak)
- जंगली याक एक लुप्तप्राय (Endangered) प्रजाति है। ये सामान्यतः एशिया के उच्च हिमालय, तिब्बती पठार और उत्तरी रूस के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं।
- यह -40 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को सहन कर सकता है।
- यह हिमालयन तहर (Himalayan Tahr) और सफेद पेट वाले कस्तूरी मृग (White-Bellied Musk Deer) के समान ही है।
- इनके आहार एवं स्थानीय वनस्पतियों का अध्ययन करने के लिये सबसे सुरक्षित तरीका इनके गोबर की जाँच करना है।
शोध के परिणाम
- विश्लेषण के दौरान इनके अंदर पराग, बीजाणुओं और फाइटोलिथ्स (पौधों में पाए जाने वाले सिलिका) में विविधता पाई गई।
- इन विविधताओं से यह स्पष्ट होता है कि याक ने विभिन्न प्रकार के भोजन को प्राथमिकता दी थी जिनमें पत्तेदार और जंगली पेड़ों के फल प्रमुख थे। भोजन में यह विविधता गर्मियों के दौरान अधिक थी।
- याक भोजन की तलाश में 50 किमी. तक चल सकता था।
- याक अतीत के जलवायु परिवर्तन के अनुसार अपने आहार को संशोधित करने में सक्षम है।
- प्लेस्टोसीन युग (Pleistocene epoch ) के अंत (11,700 साल पहले) और होलोसीन (Holocene) की शुरुआत से वनस्पति में बदलाव आया और मानव की उत्पत्ति भी संभवत: इसी काल में हुआ।
- विशाल वुली राइनो इन परिवर्तनों के अनुकूल नहीं थे और इसलिये वे विलुप्त हो गए।
- यह 'योग्यतम के उत्तरजीविता' का एक उत्कृष्ट उदाहरण है जिसमें वर्तमान में पाए जाने वाले याक सबसे योग्य साबित हुए।
वुली राइनो (Woolly Rhino)
- वुली राइनो पहली बार संभवतः 350,000 साल पहले दिखाई दिये और लगभग 10,000 साल पहले तक जीवित रहे।
- इनके जीवाश्म काफी सामान्य हैं जो पूरे यूरोप और एशिया में पाए गए हैं।
- बर्फ में जमे हुए और संतृप्त-तेल मिट्टी में दबे हुए अवशेष अच्छी तरह से संरक्षित हैं।
- यूक्रेन में, एक मादा वूली राइनो का पूरा शव मिट्टी में दबा हुआ पाया गया। तेल और नमक के संयोजन से ये अवशेष सड़ने से बच गये तथा इनके उतक भी मुलायम पाए गए।
- इस राइनो का पूरा शरीर एक मोटे, बिखरे हुए आवरण (बाल) से ढका होता था, जिसमें दो तरह के बाल पाए जाते थे: पतले घने अंडरकोट और बड़े कठोर बाल।
वैज्ञानिक नाम और उत्पत्ति
इनका वैज्ञानिक नाम कोएलोडोंटा एंटीकिटेटिस (Coelodonta antiquitatis) है जो ग्रीक भाषा से लिया गया है। कोएलोडोंटा शब्द का अर्थ है 'हॉलो टूथ' तथा एंटीकस का अर्थ है ‘पुराना’।
शारीरिक विशेषताएँ
भार/वज़न: 2 से 3 टन
ऊँचाई: लगभग 6 फीट (2 मीटर)
लंबाई: सिर और शरीर की लंबाई 10-12.5 फीट
सींग: दो सींग, एक सामने की ओर बड़े आकार की जिसकी लंबाई लगभग 3 फीट (1 मी) तक होती थी और दूसरी चपटे आकार की।