‘वायु’ चक्रवात | 11 Jun 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत मौसम विज्ञान विभाग ने साइक्लोन ‘वायु‘ के लिये ऑरेंज चेतावनी जारी की। गौरतलब है कि यह चक्रवात भारत की ओर बढ़ रहा है जो गुजरात के तट पर टकराएगा। वर्तमान में इसकी अवस्थिति लक्षद्वीप के अमिनिदिवी दीप से 250 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में तथा मुंबई से 750 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम की दूरी पर है जिसे गुजरात के तट पर पहुँचने में दो से तीन दिनों का समय लग सकता है।
प्रमुख बिंदु
- तुलनात्मक रूप से वायु चक्रवात, फणि की अपेक्षा बहुत कमज़ोर है। पूर्वानुमानों के अनुसार, अत्यधिक शक्तिशाली रूप में भी इसे ‘गंभीर चक्रवाती तूफ़ान’ की श्रेणी में ही रखा जाएगा है।
- जब किसी स्थलीय क्षेत्र में निम्न दाब उत्पन्न हो जाए तो वह मानसून को अपनी ओर खींचता है। लेकिन चक्रवात के केंद्र में निर्मित निम्न दाब इसकी तुलना में अत्यधिक शक्तिशाली होता है जिस कारण से यह उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ रही मानसूनी हवाओं को भी अपनी ओर खींच लेता है।
- विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि वर्तमान मौसम के आधार पर यह पूर्वानुमान लगाया गया है कि वायु चक्रवात 12 जून की आधी रात या 13 जून की सुबह गुजरात के तट पर टकराएगा। तत्पश्चात् इसके बहुत तेज़ी से फैलने की संभावना है क्योंकि इस क्षेत्र की भूमि और वातावरण में नमी का अभाव होता है। बाद में उत्तर की ओर पहुँचने में इसे दो-तीन दिनों का समय और लग सकता है।
अरब सागरीय चक्रवात
- बीते 120 वर्षों से जो आँकड़े प्राप्त हुए हैं उनमें से लगभग 14% सभी चक्रवाती तूफान व 23% गंभीर चक्रवात, भारत के आसपास अरब सागर की ओर से आते हैं।
- बंगाल की खाड़ी की तुलना में अरब सागर में कम तीव्रता वाले चक्रवात आते है। जबकि बंगाल की खाड़ी से अक्सर उच्च तीव्रता के गंभीर चक्रवात आते हैं।
- गुजरात के तटीय क्षेत्र की आबादी बहुत कम है जिस कारण तुलनात्मक रूप से यहाँ पर जान-माल की हानि कम मात्रा में होती है।
बंगाल की खाड़ी चक्रवातों के अनुकूल क्यों हैं?
- तापीय विभिन्नता - अरब सागर की तुलना में बंगाल की खाड़ी का तापमान अधिक है जिस कारण से यह चक्रवातों के लिये आवश्यक निम्न दाब बनाए रखने हेतु ऊष्मीय ऊर्जा प्रदान करता रहता है।
- समुद्र सतही तापमान एवं आर्द्रता दोनों मिलकर चक्रवात निर्माण की संभावना को बढ़ा देते हैं।
- बंगाल की खाड़ी में लगातार होने वाली वर्षा एवं गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा निर्मित डेल्टा से इसकी सतह पर ताज़ा जल प्रवाह के कारण यह गर्म जल को ठंडे जल से मिलने नहीं देता जिसके फलस्वरूप चक्रवात का निर्माण होता है।
- इसके विपरीत अरब सागर में काफी तेज़ हवाएँ चलती रहती हैं तथा ताज़ा जल के अभाव में गर्म जलीय सतह एवं ठंडी जल सतह आपस में मिल जाती है और ऊष्मा का ह्रास हो जाता है।
- बंगाल की खाड़ी और प्रशांत महासागर के बीच स्थलीय अवरोधों के अभाव में चक्रवातीय हवाएँ बंगाल की खाड़ी तक आसानी से पहुँच जाती हैं।
- प्रशांत महासागरीय चक्रवात- प्रशांत महासागर से उठने वाले निम्न दाब चक्रवात भी बंगाल की खाड़ी के बाईं ओर पहुँच जाते हैं जिससे यहाँ पर अधिक चक्रवात देखे जाते हैं।