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भारतीय अर्थव्यवस्था

‘राइट्स इश्यू’ और महामारी का संकट

  • 13 Jun 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये

राइट्स इश्यू

मेन्स के लिये

मौजूदा परिदृश्य में ‘राइट्स इश्यू’ का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड (Reliance Industries Limited) ने ‘राइट्स इश्यू’ (Rights Issue) तंत्र का प्रयोग करते हुए 53,124 करोड़ रुपए की पूंजी प्राप्त की है। इसके अतिरिक्त महिंद्रा फाइनेंस और टाटा पॉवर जैसी कई अन्य कंपनियाँ भी ‘राइट्स इश्यू’ के माध्यम से अतिरिक्त पूंजी जुटाने का विचार कर रही हैं।

‘राइट्स इश्यू’ का अर्थ

  • ‘राइट्स इश्यू’ का अभिप्राय एक ऐसे तंत्र से होता है जिसके द्वारा कंपनियाँ अपने मौजूदा शेयरधारकों से अतिरिक्त पूंजी जुटा सकती हैं।
  • इस तंत्र का प्रयोग स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा किया जाता है और इसके ज़रिये कंपनी अपने शेयरधारकों को अतिरिक्त शेयर खरीदने का मौका देती हैं।
  • विशेषज्ञ के अनुसार, ‘राइट्स इश्यू’ तंत्र फंड जुटाने के लिये एक अधिक लोकतांत्रिक दृष्टिकोण है क्योंकि यह मौजूदा शेयरधारकों को कंपनी में पहले निवेश करने का अधिकार देता है।
  • ‘राइट्स इश्यू’ के लिये एक तारीख निर्धारित की जाती है, जिसकी घोषणा स्वयं कंपनी द्वारा की जाती है, इस निश्चित तारीख पर ही अतिरिक्त शेयर खरीदने का अवसर दिया जाता है।

मौजूदा समय में ‘राइट्स इश्यू’ का महत्त्व

  • नियमों के अनुसार, किसी भी कंपनी को ‘राइट्स इश्यू’ तंत्र का प्रयोग कर धन जुटाने के लिये शेयरधारकों की बैठक की आवश्यकता नहीं होती है और केवल निदेशक मंडल (Board of Directors) से अनुमोदन प्राप्त करना ही काफी होता है।
  • इसीलिये इस तंत्र के माध्यम से पूंजी जुटाना अपेक्षाकृत काफी आसान होता है और इसमें अधिक समय भी नहीं लगता है, जो कि मौजूदा परिस्थितियों के अनुकूल है, जबकि पूंजी जुटाने के अन्य माध्यमों के अंतर्गत शेयरधारकों के अनुमोदन की आवश्यकता होती है, जिसके लिये काफी समय की आवश्यकता होती है।
  • इस प्रकार हम ‘राइट्स इश्यू’ को पूंजी जुटाने का एक अधिक कुशल तंत्र कह सकते हैं।

‘राइट्स इश्यू’ से संबंधित सुधार

  • गौरतलब है कि बीते एक वर्ष में SEBI ने ‘राइट्स इश्यू’ प्रक्रिया में सुधार के लिये कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। जहाँ एक ओर SEBI द्वारा इस तंत्र को लेकर कुछ स्थायी सुधार किये गए हैं, वहीं कुछ सुधार मौजूदा COVID-19 महामारी के कारण किये गए हैं, जो कि अस्थायी हैं।
  • COVID-19 के मद्देनज़र लिये गए निर्णय
    • कंपनियों के लिये मौजूदा संकट के दौरान धन जुटाने की प्रक्रिया को आसान बनाने के उद्देश्य से SEBI ने 31 मार्च, 2021 या उससे पूर्व ‘राइट्स इश्यू’ प्रक्रिया को शुरू करने वाली कंपनियों के लिये दिशा-निर्देशों को कुछ शिथिल किया है।
    • सार्वजनिक शेयरधारिता के औसत बाज़ार पूंजीकरण की पात्रता आवश्यकता को 250 करोड़ रुपए से घटाकर 100 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
    • इसके अतिरिक्त ‘राइट्स इश्यू’ के माध्यम से 25 करोड़ रुपए तक की धनराशि एकत्रित करने वाली सूचीबद्ध संस्थाओं को अब SEBI के समक्ष ड्राफ्ट ऑफर डॉक्यूमेंट (Draft Offer Document) को दाखिल करने की आवश्यकता नहीं है। 
    • ‘ड्राफ्ट ऑफर डॉक्यूमेंट’ का अभिप्राय उस पहले दस्तावेज़ से होता है, जो ‘राइट्स इश्यू’ अथवा किसी अन्य प्रक्रिया के माध्यम से धन जुटाने के लिये किसी कंपनी द्वारा SEBI तथा स्टॉक एक्सचेंज के समक्ष अनुमोदन के लिये प्रस्तुत किया जाता है। इस दस्तावेज़ में इस प्रक्रिया का विवरण शामिल होता है।
  • ‘राइट्स इश्यू’ के संबंध में स्थायी सुधार
    • बीते वर्ष नवंबर माह में SEBI ने ‘राइट्स इश्यू’ की प्रक्रिया में लगने वाले समय को 55 दिनों से घटाकर 31 कर दिया था, जिससे समय में कुल 40 प्रतिशत की कटौती हुई थी। इस कदम का लक्ष्य ‘राइट्स इश्यू’ प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाना था।
    • ‘राइट्स इश्यू’ की प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करने के लिये SEBI ने स्टॉक एक्सचेंजों को दी जाने वाली अग्रिम सूचना की अवधि को सात दिनों से घटाकर तीन दिन कर दिया था।
    • 22 जनवरी, 2020 को SEBI ने ‘राइट्स इश्यू’ की प्रक्रिया को बेहतर बनाने और शेयर एंटाइटलमेंट फ्रेमवर्क (Rights Entitlement Framework) को पेपररहित बनाने के लिये एक विस्तृत प्रक्रिया जारी की थी।

‘राइट्स इश्यू’ का उद्देश्य

  • कंपनियाँ पूंजी जुटाने के लिये ‘राइट्स इश्यू’ प्रक्रिया का प्रयोग करती हैं।
  • साथ ही कंपनियाँ अपने व्यवसाय का विस्तार करने और किसी अन्य कंपनी का अधिग्रहण करने हेतु पैसे जुटाने के लिये भी ‘राइट्स इश्यू’ का प्रयोग करती हैं।
  • इसके अतिरिक्त कुछ कंपनियाँ अपने कर्ज को कम करने के लिये भी ‘राइट्स इश्यू’ का प्रयोग करती हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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