क्यों महत्त्वपूर्ण है ‘बीबीआईएन’ मोटर वाहन समझौता? | 16 Jan 2018
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में बांग्लादेश, भारत और नेपाल ने जून 2015 में हस्ताक्षरित बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (बीबीआईएन) मोटर वाहन समझौते के तहत उपक्षेत्र में यात्री वाहन आवा-जाही के लिये परिचालनगत प्रक्रियाओं के मूल विषय पर सहमति जताई है।
- प्रतिभागी देशों ने इस समझौते के तहत कार्गो वाहनों के लिये और अधिक ट्रायल रन संचालित करने पर भी सहमति जताई है। तीनों देशों के उच्चस्तरीय अधिकारियों ने इस संबंध में एक बैठक कर इस योजना के कार्यान्वयन पर चर्चा की है।
- उल्लेखनीय है कि इस बैठक का संयोजन एवं इसकी अध्यक्षता भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने की।
- जबकि पर्यवेक्षक के रूप में भूटान का आधिकारिक शिष्टमंडल भी इस बैठक में मौजूद रहा है।
क्या है बीबीआईएन मोटर वाहन समझौता?
- बीबीआईएन मोटर वाहन समझौते का अर्थ है भूटान, बांग्लादेश, इंडिया और नेपाल मोटर वाहन समझौता।
- वर्ष 2015 में बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल के बीच भूटान की राजधानी थिंपू में बीबीआईएन मोटर वाहन समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- यह समझौता यात्री, व्यक्तिगत व माल ढुलाई वाहनों के यातायात के नियमन के हेतु अमल में लाया जा रहा है।
- इस समझौते का मुख्य उद्देश्य इस उपक्षेत्र में सड़क यातायात को सुरक्षित, आर्थिक और पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल बनाना है।
- यदि यह समझौता अमल में आता है तो इसमें शामिल देश ट्रकों तथा अन्य कमर्शियल वाहनों को एक-दूसरे के राजमार्गों पर चलने की इजाज़त देंगे।
- यह एक क्षेत्रीय उप-समूह है जिससे ये चारों देश एक-दूसरे के यहाँ अपनी पहुँच को सुगम (ease of access among the four countries) बनाएंगे।
क्यों महत्त्वपूर्ण है बीबीआईएन मोटर वाहन समझौता?
- बीबीआईएन समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद इस उपक्षेत्र में सड़क यातायात सुरक्षित, आर्थिक और पर्यावरण के दृष्टि से अनुकूल होगा।
- प्रत्येक देश क्षेत्रीय समन्वय को स्थापित करने की दिशा में एक संस्थागत प्रक्रिया का सृजन करने में सक्षम होगा।
- यात्रियों एवं वस्तुओं की सीमा पार द्विपक्षीय आवा-जाही से इन देशों को लाभ मिलेगा और इस क्षेत्र का सम्पूर्ण आर्थिक विकास हो सकेगा।
- इन चारों देशों की सीमाओं में यात्रियों एवं वस्तुओं की बेरोक आवा-जाही का लाभ यहाँ के लोगों को ही मिलेगा।
- इस परियोजना के सफल क्रियान्वयन से इन देशों के आपसी व्यापार में 60 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार में 30 प्रतिशत वृद्धि की संभावना है।
- गौरतलब है कि एशियाई विकास बैंक (एडीबी) दक्षिण एशिया उप क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (Asia Sub regional Economic Cooperation program) की एक पहल के तौर पर इस परियोजना को तकनीकी, सलाहकार और वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है।
क्या है एशियाई विकास बैंक?
- एशियाई विकास बैंक की स्थापना सन् 1966 में संयुक्त राष्ट्र एशिया और सुदूर पूर्व के लिये आर्थिक आयोग (United Nations Economic Commission for Asia and the Far East) द्वारा एक संकल्प के माध्यम से की गई।
- इसकी कल्पना एशिया और दुनिया के सबसे गरीब क्षेत्रों में आर्थिक सहयोग और विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी।
- भारत इसका संस्थापक सदस्य है और वर्तमान में चौथा बड़ा शेयरधारक है।
एशियाई विकास बैंक का महत्त्व:
- भारत को एडीबी द्वारा प्रथम ऋण सन 1986 में इंडस्ट्रियल क्रेडिट एंड इंवेस्टमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को 100 मिलियन डॉलर की राशि मिली थी।
- इससे भारत को मध्यम-आकार के उद्योगों के विस्तार और आधुनिकीकरण तथा नई तकनीकों के विकास में काफी सफलता मिली।
- एडीबी द्वारा भारत के राज्यों को भी सीधे सहायता दी जा सकती है। इस दिशा में गुजरात प्रथम राज्य है जिसने एडीबी से सहयता प्राप्त की है।
- हालिया संदभों में देखें तो बिजली की पहुँच को बढ़ावा देने के लिये बांग्लादेश-भारत के बीच पहली पावर इंटर-कनेक्शन फीड्स एडीबी द्वारा ऋण सहायता दी गई है, जिससे सीमा के दोनों ओर के लोगों को बिजली मिल सके।
- एडीबी द्वारा सूक्ष्म और छोटे व्यापारियों को ऋण देने के लिये साख वर्द्धन उत्पादों का उपयोग किया जा रहा है।
- भारत में इसके लिये एडीबी भारतीय बैंकों के साथ मिलकर कार्य कर रहा है ताकि सूक्ष्म वित्त संस्थानों को स्थानीय मुद्रा में सहायता मिल सके। भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित विज़न ‘तेज़, अधिक समावेशी और सतत् विकास’ के लिये एडीबी की भागीदारी काफी महत्त्वपूर्ण है।
- एडीबी झारखंड राज्य की सड़कों का उन्नयन जारी रखने में मदद हेतु ऋण प्रदान कर रहा है, जो राज्य में नए आर्थिक अवसरों को खोलने और गरीबों के लिये सेवाओं के उपयोग में सुधार को सुनिश्चित करने की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।
- हालाँकि एडीबी द्वारा प्रदत्त ऋण भारत जैसे राष्ट्रों के लिये सार्वजनिक निवेश की तुलना में काफी कम होते हैं, फिर भी इससे भारत के विकास को समावेशी और तीव्र बनाने में एडीबी की भूमिका महत्त्वपूर्ण है।