लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अकाल की कगार पर 20 मिलियन लोग

  • 24 Feb 2017
  • 6 min read

अमीर तथा गरीब समाज के मध्य उपस्थित खाई के संबंध में इससे शर्मनाक बात क्या होगी कि जहाँ एक ओर 21वीं सदी का समाज बहुतायत में भोजन की व्यवस्था करने में सक्षम है वहीं दूसरी ओर इसी दुनिया के तकरीबन 20 मिलियन लोग भूखे मरने को विवश हैं| इसमें सबसे चिंताजनक बात है कि इन 20 मिलियन लोगों में 1.4 मिलियन बच्चे भी शामिल हैं| अकाल (Famine) की कगार पर खड़े इन लोगों के विषय में समस्त विश्व के समक्ष सबसे गंभीर प्रश्न यह है कि क्या वर्ष 2017 में इस भयावह संकट का सामना किया जा सकता है अथवा नहीं?

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि हाल ही में 22 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतेर्रेस (António Guterres) ने पश्चिमी नाइजीरिया, सोमालिया, दक्षिण सूडान तथा यमन में उभरती अकाल की स्थिति के विषय में चिंता प्रकट की है| साथ ही संयुक्त राष्ट्र के द्वारा दक्षिण सूडान में अकाल की स्थिति की स्पष्ट घोषणा की गई है|
  • दुर्भिक्ष का सामना कर रहे किसी भी राष्ट्र के लिये यह एक युद्ध की स्थिति है, उदाहरण के लिये यदि सोमालिया के विषय में बात की जाए तो यह राष्ट्र पिछले कुछ दशकों से इस स्थिति से उभरने का प्रयास कर रहा है, परन्तु परिणाम अभी भी चिंताजनक बने हुए हैं|
  • उल्लेखनीय है कि अकाल एक विशिष्ट स्थिति होती है| इस स्थिति को उस समय घोषित किया जाता है जब; किसी क्षेत्र विशेष में प्रत्येक पाँच में से एक परिवार के पास भोजन की अत्यधिक कमी होती है, उस क्षेत्र विशेष की तकरीबन 30 फीसदी आबादी कुपोषण से ग्रसित होती है तथा प्रति दिन प्रत्येक 10,000 में से कम से कम दो लोगों की भूख के कारण मौत होती है| 
  • जब किसी क्षेत्र विशेष के सदर्भ में ये तीनों स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं तो उस क्षेत्र विशेष में अकाल की घोषणा की जाती है|

पर्याप्त मात्रा में धन की कमी

  • ध्यातव्य है कि वर्ष 2011 में तकरीबन 260,000 लोगों की भूख से मौत होने के पश्चात् ( इनमें से अधिकतर लोगों की मौत दो माह के समयांतराल में हुई थी) सोमालिया में अकाल की घोषणा की गई थी| 
  • वस्तुतः संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस स्थिति के लिये दो कारणों को जिम्मेदार ठहराया गया है| पहला, इस क्षेत्र विशेष में धन की कमी होना| हालाँकि इस कमी को दूर करने के लिये यूएन को तकरीबन 5.6 बिलियन डॉलर की सहायता राशि की आवश्यकता है, लेकिन चिंता की बात यह है कि यूएन के पास अभी मात्र इसका 2 फीसदी धन ही मौजूद है|
  • दूसरा कारण, उल्लिखित चारों देश सामाजिक राजनैतिक तथा आर्थिक द्वन्द की स्थिति के कारण अकाल की स्थिति में पहुँच गए हैं| 
  • हालाँकि वर्तमान में सोमालिया की स्थिति वर्ष 2011 की स्थिति से अलग है| सोमालिया की सरकार काफी हद तक कार्य कर पा रही है यह और बात है कि एक लम्बे समय से युद्ध के समान स्थिति का सामना कर रहे इस देश के लिये इस स्थिति से उबरना इतना आसान नहीं है| क्योंकि सोमालिया पूर्व में भी लगातार दो बार सूखे की भयावह स्थिति का सामना कर चुका है|
  • ऐसी ही स्थिति दक्षिण सूडान की भी है, ग्रहयुद्ध का सामना कर रहे इस क्षेत्र में तकरीबन 100,000 लोग अकाल से ग्रस्त हैं| 
  • इसी तरह पश्चिमी नाइजीरिया जो कि बोको हराम (Boko Haram) नामक खूँखार आंतकियों से प्रभावित क्षेत्र है, यहाँ के दो क्षेत्रों बामा (Bama) तथा बांकी (Banki) में अकाल की स्थिति बनी हुई है|   
  • इन सभी क्षेत्रों में आवागमन इतना अधिक कठिन है कि राहतकर्मियों द्वारा भूख से पीड़ित लोगों की मदद करना अत्यधिक मुश्किल कार्य है जिसका परिणाम यह है कि यहाँ के लोग भूख से मरने को विवश हैं| एक अनुमान के अनुसार, इस क्षेत्र में तक़रीबन 5 मिलियन लोग अकाल के संकट से जूझ रहे हैं|
  • यही स्थिति यमन की भी है, यहाँ सऊदी अरब तथा अमेरिकी गठबंधन के द्वारा   हुती विद्रोहियों के विरुद्ध जंग लड़ी जा रही है| इस जंग के कारण तकरीबन 7 मिलियन लोग भूखे मरने को विवश हैं| 
  • ध्यातव्य है कि इन सात मिलियन लोगों में 462,000 बच्चे भी शामिल हैं जो कि गंभीर तीव्र कुपोषण (Severe Acute Malnutrition) की स्थिति का सामना कर रहे हैं| स्पष्ट है कि यदि ये बच्चे जीवित बच भी जाते हैं तो भी ये पूर्ण विकास की स्थिति को प्राप्त करने में समर्थ नहीं होंगे| ये जीवन भर किसी न किसी विकासात्मक अपंगता (Developmental disabilities) से ग्रसित ही रहेंगे| स्पष्ट रूप से यह एक गंभीर चिंता की स्थिति है|
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2