थोक मूल्य सूचकांक | 19 May 2023

चर्चा में क्यों?  

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी किये गए नवीनतम आँकड़ों से पता चलता है कि भारत में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) अप्रैल में (-) 0.92 प्रतिशत की अवस्फीति दर के साथ तीन साल के निचले स्तर पर आ गया है जो 33 महीने के बाद नकारात्मकता की ओर इंगित करता है।   

  • अप्रैल 2023 में मुद्रास्फीति की दर में गिरावट मुख्य रूप से बुनियादी धातुओं, खाद्य उत्पादों, खनिज तेलों, कपड़ा, गैर-खाद्य वस्तुओं, रासायनिक एवं रासायनिक उत्पादों, रबर तथा प्लास्टिक उत्पादों एवं कागज़ तथा कागज़ उत्पादों की कीमतों में गिरावट के कारण हुई है। 

थोक मूल्य सूचकांक:

  • परिचय: 
    • यह थोक व्यवसायों द्वारा अन्य व्यवसायों को थोक में बेची और व्यापार की जाने वाली वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तन को मापता है।
    • इसे आर्थिक सलाहकार कार्यालय, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
    • यह भारत में सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला मुद्रास्फीति सूचक है।
    • इस सूचकांक की प्रमुख आलोचना यह की जाती है कि आम जनता उत्पादों को थोक मूल्य पर नहीं खरीदती है।
    • अखिल भारतीय थोक मूल्य सूचकांक के आधार वर्ष को 2004-05 से वर्ष 2017 में 2011-12 के रूप में संशोधित किया गया है।
  • WPI का भाराँक:

सभी वस्तुएँ/प्रमुख समूह 

भाराँक (%) 

सामग्री

100 

 

1. प्राथमिक सामग्री

22.6 

खाद्य सामग्री: 

अनाज, धान, गेहूँ, दालें, सब्जियाँ,आलू, प्याज, फल, दूध, अंडे, मांस और मछली

 गैर-खाद्य सामग्री:   

तिलहन

खनिज पदार्थ

कच्चा पेट्रोलियम

2. ईंधन और शक्ति

13.2 

  एलपीजी, पेट्रोल, हाई स्पीड डीज़ल

3. विनिर्मित उत्पाद

64.2 

खाद्य उत्पाद: सब्जी, पशु तेल और वसा

 पेय पदार्थ

 तंबाकू उत्पाद, परिधान, फार्मास्यूटिकल्स, औषधीय ररसायन और वनस्पति उत्पाद, अन्य गैर-धात्विक खनिज उत्पाद आदि

4. खाद्य सूचकांक

24.4 

खाद्य सूचकांक में प्राथमिक वस्तु समूह के 'खाद्य पदार्थ' और निर्मित उत्पाद समूह के 'खाद्य उत्पाद' शामिल हैं 

  • WPI मुद्रास्फीति को प्रभावित करने वाले कारक: 
    • उच्च आधार प्रभाव:  
      • विशेषज्ञों का सुझाव है कि उच्च आधार प्रभाव के कारण WPI मुद्रास्फीति के सामान्य रहने की संभावना है।
    • वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में कमी:  
      • वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में गिरावट से विनिर्मित उत्पादों से मुद्रास्फीति को निचले स्तर पर रखने में मदद मिलने का अनुमान है।
    • खाद्य मुद्रास्फीति और मानसून की संभावनाएँ:  
      • बाज़ार की स्थितियों से प्रभावित गेहूँ की कीमतों पर निगरानी रखने की ज़रूरत है।
      • इस बात को लेकर भी चिंता जताई गई है कि मानसून खरीफ फसलों की कीमत को कैसे प्रभावित कर सकता है।

WPI एवं CPI में अंतर: 

  • WPI उत्पादक स्तर पर मुद्रास्फीति का आकलन करता है, जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index- CPI) उपभोक्ता स्तर पर कीमतों के स्तर में बदलाव का आकलन करता है।
    • दोनों बास्केट व्यापक अर्थव्यवस्था के भीतर मुद्रास्फीति के रुझान (मूल्य में उतार-चढ़ाव) को मापते हैं, हालाँकि दोनों सूचकांक में भोजन, ईंधन और निर्मित वस्तुओं को अलग-अलग भार दिया जाता है।
  • WPI में सेवाओं की कीमतों में परिवर्तन का मापन नहीं किया जाता है, जबकि CPI में किया जाता है।
  • WPI में विनिर्मित वस्तुओं को अधिक महत्त्व दिया जाता है, जबकि CPI में खाद्य पदार्थों को अधिक महत्त्व दिया जाता है।
  • WPI का आधार वर्ष 2011-2012 है, जबकि CPI का आधार वर्ष 2012 है।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में मांग-प्रेरित मुद्रास्फीति या उसमें वृद्धि निम्नलिखित किन कारणों से होती है? 

  1. विस्तारित नीतियाँ 
  2. राजकोषीय प्रोत्साहन 
  3. मुद्रास्फीति सूचकांकन मज़दूरी 
  4. उच्च क्रय शक्ति 
  5. बढ़ती ब्याज दर 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1, 2 और 4
(b) केवल 3, 4 और 5
(c) केवल 1, 2, 3 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5 

उत्तर: (a) 


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020) 

  1. खाद्य वस्तुओं का ‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक’ (CPI) भार (Wegitage) उनके ‘थोक मूल्य सूचकांक’ (WPI) में दिये गए भार से अधिक है।
  2. WPI, सेवाओं के मूल्यों में होने वाले परिवर्तनों को नहीं पकड़ता, जैसा कि CPI करता है।
  3. भारतीय रिज़र्व बैंक ने अब मुद्रास्फीति के मुख्य मान तथा प्रमुख नीतिगत दरों के निर्धारण हेतु WPI को अपना लिया है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 
(c) केवल 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (a) 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस