शासन व्यवस्था
स्वच्छ भारत के ग्रामीण घटक की डब्ल्यूएचओ ने की सराहना
- 04 Aug 2018
- 4 min read
चर्चा में क्यों?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक हालिया रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण (SBM-G) के परिणामस्वरूप 2014 से अक्टूबर 2019 के बीच दस्त और साथ ही प्रोटीन-ऊर्जा के अभाव के कारण कुपोषण के चलते तीन लाख से ज़्यादा मौतों की रोकथाम की जा सकेगी|
प्रमुख बिंदु
- डब्ल्यूएचओ ने पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा आयोजित SBM-G के माध्यम से स्वच्छता कवरेज से संभावित स्वास्थ्य प्रभाव पर प्रगति रिपोर्ट में कहा है कि भारत का ग्रामीण स्वच्छता कवरेज 2 अगस्त तक 89.07% तक बढ़ गया है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि एसबीएम-जी के तहत 19 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को खुले में शौच से मुक्त (Open Defecation Free-ODF) घोषित किया गया है और 7.9 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया है, जबकि 421 ज़िले ओडीएफ घोषित किये गए हैं। इसके अलावा, देश में 4.9 लाख से अधिक गाँवों को ओडीएफ घोषित किया गया है।
- डब्ल्यूएचओ की अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक एसबीएम-जी की शुरुआत से पहले असुरक्षित स्वच्छता को सालाना दस्त के 199 मिलियन मामलों का कारण बना दिया और यही कारण है कि 2019 तक इस पहल का उद्देश्य 100% स्वच्छता कवरेज हासिल करना है।
- स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक स्वच्छता और स्वास्थ्य एक-दूसरे से गहराई से संबंधित हैं और बेहतर स्वास्थ्य कवरेज के लिये मंत्रालय द्वारा कई सामानांतर योजनाएँ चलाई जा रही हैं।
जोखिम आकलन
- रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2014 और 2019 के बीच 14 मिलियन विकलांगता समायोजित जीवन वर्ष (Disability Adjusted Life Years-DALY) से बचा जा सकता है।
- स्वास्थ्य प्रभाव का डब्ल्यूएचओ आकलन तुलनात्मक जोखिम मूल्यांकन (Comparative Risk Assessment-CRA) विधियों पर आधारित है।
स्वच्छ भारत मिशन
- सर्वव्यापी स्वच्छता कवरेज के प्रयासों में तेज़ी लाने और स्वच्छता पर बल देने के लिये प्रधानमंत्री ने 2 अक्तूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी।
- दो उप मिशन-स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) और स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के लिये मिशन समन्वयकर्त्ता पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के सचिव हैं।
- दोनों मिशनों का उद्देश्य महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगाँठ को सही रूप में श्रद्धांजलि देते हुए वर्ष 2019 तक स्वच्छ भारत के लक्ष्य की प्राप्ति करना है।
- इससे भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस और तरल अपशिष्ट पदार्थ प्रबंधन की गतिविधियों के माध्यम से स्वच्छता के स्तर में वृद्धि होगी और गाँवों को खुले में शौच मुक्त (ODF), स्वच्छ तथा शुद्ध बनाया जाएगा।