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WHO ने एंटीबायोटिक प्रोटोकॉल को संशोधित किया

  • 08 Jun 2017
  • 3 min read

संदर्भ
एंटीबायोटिक प्रतिरोधक क्षमता में हो रही वृद्धि हमें यह बताती है कि हम इन एंटीबायोटिक्स  का किस प्रकार उपयोग कर रहे हैं और किस प्रकार दुरुपयोग। इसीलिये विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इन एंटीबायोटिक दवाओं को तीन श्रेणियों में बाँटा है। यह श्रेणी निर्दिष्ट करती है कि कौन-सी दवा सामान्य बीमारियों के लिये उपयोग करनी है और कौन-सी जटिल रोगों के लिये। 

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • एंटीबायोटिक प्रतिरोधकता को रोकने के लिये डब्ल्यू.एच.ओ. ने दवाईयों को तीन श्रेणियों में बाँटा है – पहुँच (Access), निगरानी (Watch) और आरक्षित (Reserve)।
  • आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली एंटीबायोटिक्स 'एक्सेस' श्रेणी के अंतर्गत रखी गईं हैं। 
  • एंटीबायोटिकस की दूसरी श्रेणी थोड़ी अधिक शक्तिशाली है जिसे 'निगरानी' के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है। इनमें वे दवाईयाँ शामिल हैं जिनका उपयोग निम्न स्तर के संक्रमित रोगों के इलाज़ के लिये पहली या दूसरी पसंद के रूप में किया जाता है। 
  • केवल अंतिम प्रयोग के रूप में इस्तेमाल होने वाली एंटीबायोटिकस को 'आरक्षित' श्रेणी के अंतर्गत रखा गया है।
  • डब्ल्यूएचओ ने यह अनुशंसा की है कि 'ऐक्सेस’ ग्रुप की एंटीबायोटिक दवाईयाँ सामान्य संक्रमण वाले रोगों के इलाज़ के लिये हर समय उपलब्ध होनी चाहिये। इसमें एमोक्सिसिलिन (Amoxicillin) दवा शामिल है, जिसका उपयोग निमोनिया जैसे रोगों  के इलाज़ के लिये किया जाता है। 
  • यह अनिवार्य दवाइयों की सूची (EML) के ‘एंटीबायोटिक्स अनुभाग’ में पिछले 40 वर्षों  के इतिहास में सबसे बड़ा संशोधन है।

लाभ

  • डब्ल्यू.एच.ओ. ने सिफारिश की है कि प्रतिरोधकता को और अधिक बढ़ने से रोकने के लिये इन दवाईयों के उपयोग को कम किया जाना चाहिये।
  • यह नया श्रेणीक्रम देशों को उपयुक्त जीवाणुरोधी एजेंटों (Antibacterial Agents) तक पहुँच सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
  • यह सूची दवा आपूर्ति प्रणाली के लिये एक गाइड के रूप में कार्य करेगी तथा स्वास्थ्य सुरक्षा को भी बढ़ावा देगी।
  • इस प्रकार के विभाजन से यह सुनिश्चित होगा कि जिन लोगों को एंटीबायोटिक दवाईयों  की ज़रूरत है उन तक पहुँच आसान हो सके और सही एंटीबायोटिक उन्हें उपलब्ध हो सके।
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