बच्चों के संबंध में ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ द्वारा जारी नए दिशा-निर्देश | 11 Oct 2017
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ द्वारा बच्चों में बढ़ती जा रही मोटापे की समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए इसके नियंत्रण हेतु नए दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं। दरअसल, इस समस्या ने एक वैश्विक महामारी का रूप धारण कर लिया है, क्योंकि अब गरीब राष्ट्र भी इससे अछूते नहीं रहे हैं।
प्रमुख बिंदु
- विदित हो कि विश्व स्तर पर चीन के बाद भारत में ही मोटापे से ग्रस्त बच्चों की संख्या सबसे अधिक है। चिकित्सकों का कहना है कि इस समस्या का एक प्रमुख कारण अभिभावकों की यह सोच है कि मोटा बच्चा ही स्वस्थ्य होता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देश जिनका शीर्षक “कुपोषण के दोहरे बोझ के संदर्भ में बच्चों के अधिक वज़न और मोटापे का मूल्यांकन करने के लिये प्राथमिक स्तर पर उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं तक पहुँच बनाना और उनका प्रबंधन करना” था, ने ‘बच्चों की बीमारी के एकीकृत प्रबंधन’(Integrated Management of Childhood Illness - IMCI) के लिये अद्यतन सूचनाएँ उपलब्ध कराई। ध्यातव्य है कि इन दिशा-निर्देशों में सामान्य भार और ऊँचाई के साथ ही खाने की आदतों के मूल्यांकन को भी शामिल किया गया है।
- दरअसल, वर्ष 2016 में विश्व के लगभग आधे वज़नी अथवा मोटे बच्चे एशिया तथा अफ्रीका (एक चौथाई भाग में) में थे। विडंबना यह है कि अधिक वज़न और मोटापा बच्चों की उस आबादी में अधिक पाया गया है, जहाँ कुपोषण सामान्य है। इस प्रकार की स्थितियों का उल्लेख करने के लिये कभी-कभी ‘कुपोषण का दोहरा बोझ’ (double-burden of malnutrition) जैसे पदों का प्रयोग किया जाता है।
- हालाँकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के इन दिशा-निर्देशों में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में कमज़ोर (stunted), सामान्य भार वाले शिशुओं और बच्चों को रोज़ाना उपलब्ध कराए जाने वाले ‘अनुपूरक खाद्य पदार्थों’ (supplementry food) की अनुशंसा नहीं की गई है। स्पष्ट है कि इस समय पूरी पीढ़ी को हृदय संबंधी रोगों, उच्च रक्तचाप और मधुमेह संबंधी जटिलताओं से बचाने के लिये पूर्व सावधानी बरतना आवश्यक होगा।
- भारतीय चिकित्सा संघ (Indian Medical Association -IMA) अपने सभी सदस्यों तक विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों का प्रसार कर रहा है। बच्चों में मोटापे का बढ़ता स्तर उनके द्वारा किये जाने वाले गैर-स्वास्थ्यवर्धक भोजन और उनकी शारीरिक निष्क्रियता को प्रतिबिंबित करता है।
- एक अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2025 तक भारत में अधिक भार युक्त बच्चों की संख्या 17 मिलियन से अधिक हो जाएगी।
- वर्तमान में बच्चों में मोटापे की पहचान करना एक बड़ी चुनौती बन गया है। अभिभावक अपने बच्चों को चिकित्सक के पास तभी ले जाना उचित समझते हैं, जब उनके बच्चों को अधिक समस्या होने लगती है। ध्यातव्य है कि अधिकांश बच्चे शीघ्र ही यौवनावस्था में आ जाते हैं तथा इस दौरान उनके जोड़ों में दर्द होना स्वाभाविक है, जिस कारण वे व्यायाम करने में असहज महसूस करते हैं। फलतः उनमें उपापचयी लक्षण विकसित होता है और वे ‘टाइप-2 मधुमेह’(Type 2 diabetes) से ग्रस्त हो जाते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन
- विश्व स्वास्थ्य संगठन विश्व के देशों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानक विकसित करने की एक महत्त्वपूर्ण संस्था है।
- इस संस्था की स्थापना 7 अप्रैल, 1948 में की गई थी। यह संयुक्त राष्ट्र संघ की एक आनुषंगिक इकाई है।
- इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा शहर में स्थित है। इसका भारतीय मुख्यालय राजधानी क्षेत्र नई दिल्ली में है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के 193 सदस्य देश तथा दो संबद्ध सदस्य हैं।
- इसका लक्ष्य सभी लोगों को स्वास्थ्य के उच्चतम संभव स्तर की प्राप्ति में सहायता प्रदान करना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन को सर्वाधिक सफल संयुक्त राष्ट्र अभिकरणों में से एक माना जाता है।
- यह अंतरिम स्वास्थ्य कार्यों से संबंधित समन्वयकारी प्राधिकरण के रूप में भी कार्य करता है तथा स्वास्थ्य मामलों में सक्रिय सहयोग को प्रोत्साहित करता है।
- इसके कार्यक्रमों में स्वास्थ्य सेवाओं का विकास, रोग निवारण व नियंत्रण, पर्यावरणीय स्वास्थ्य का संवर्द्धन, स्वस्थ मानव शक्ति विकास तथा जैव-चिकित्सा, स्वास्थ्य सेवाओं, शोध व स्वास्थ्य कार्यक्रमों का विकास एवं प्रोत्साहन शामिल है।