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शासन व्यवस्था

असम समझौते के खंड 6 पर रिपोर्ट

  • 17 Aug 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये:

असम समझौता, असम समझौते की धारा-6, समिति द्वारा प्रस्तावित परिभाषा

मेन्स के लिये:

असम समझौते की धारा-6 से संबंधित चुनौतियाँ और इस संदर्भ में की गई कार्यवाहियाँ

चर्चा में क्यों?

असमिया व्यक्ति/लोग कौन हैं?' यह प्रश्न हमेशा से विवादास्पद रहा है। किंतु हाल ही में असम समझौते के खंड 6 के कार्यान्वयन हेतु गृह मंत्रालय द्वारा नियुक्त समिति ने इस संदर्भ में एक परिभाषा सार्वजनिक की है।

प्रमुख बिंदु

  • इस 14 सदस्यीय समिति का गठन उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बिप्लब कुमार सरमा की अध्यक्षता में वर्ष 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद किया गया था।
  • गौरतलब है कि इस समिति ने फरवरी 2020 में असम समझौते के खंड 6 के कार्यान्वयन के लिये अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की थीं जिसे अब समिति के कुछ सदस्यों द्वारा सार्वजनिक किया गया है।
  • उल्लेखनीय है कि असम समझौते का खंड 6 एक महत्त्वपूर्ण प्रावधान है जो दशकों से विवादास्पद रहा है। यह खंड असम समझौते की जटिलताओं को उजागर करता है।
  • प्रस्तावित परिभाषा वर्ष 1985 के असम समझौते के प्रावधान को लागू करने तक सीमित है।

बहस का विषय क्यों?

  • बांग्लादेश से आ रहे अवैध प्रवासियों के विरोध में छह साल के आंदोलन (1979-85) के अंत में असम समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे।
  • समझौते के खंड 6 की भाषा से असमिया कौन है, इस पर प्रश्न उठता है। इस खंड के अनुसार, असम के लोगों को उनकी विरासत, सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषाई पहचान की रक्षा और संरक्षण के लिये ‘संवैधानिक, विधायी एवं प्रशासनिक सुरक्षा, जो भी उपयुक्त हो प्रदान की जायेगी।’
  • इससे दो प्रश्न उठते हैं, पहला ये कि ‘सुरक्षा उपाय क्या होंगे’ और दूसरा ‘असमिया लोग’ कौन हैं?
  • प्रवासन की राजनीति से परिभाषित इस राज्य में हर कोई शामिल नहीं है। यद्यपि ‘असमिया’ की परिभाषा इतनी संकीर्ण नहीं हो सकती है कि इसका अभिप्राय सिर्फ उन लोगों से हो जिनकी प्रथम भाषा असमिया है।
  • असम में कई स्थानीय जनजातीय और जातीय समुदाय हैं जिनकी अपनी अलग भाषाएँ हैं। खण्ड 6 में असमिया भाषा से परे ‘असमिया’ की परिभाषा का विस्तार करना आवश्यक था।
  • जो लोग खंड 6 के तहत सुरक्षा उपायों के लिये पात्र नहीं हैं, वे स्पष्ट रूप से प्रवासी वर्ग से होंगे लेकिन क्या समस्त प्रवासी लोगों को इससे बाहर रखा जाएगा अथवा उनमें से कुछ खंड 6 के तहत लाभ के पात्र होंगे? इस प्रकार यह एक बहस का विषय बन जाता है।

प्रवासी कौन हैं?

  • लोक चर्चाओं में ‘स्थानीय’ का अर्थ उन समुदायों से है जिनका संबंध वर्ष 1826 से पहले असम से रहा हैं। वर्ष 1826 में ही भूतपूर्व असम राज्य ब्रिटिश भारत में शामिल किया गया था। ब्रिटिश शासन के दौरान पूर्वी बंगाल से बड़े पैमाने पर असम में प्रवासन हुआ। स्वतंत्रता के पश्चात् बड़ी संख्या में बंगाल से असम में प्रवासन हुआ।
  • बंगाली मुस्लिम और बंगाली हिंदू प्रवासी एक दिन स्थानीय आबादी से अधिक हो जाएंगे और राज्य के संसाधनों तथा राजनीति पर हावी हो जाएंगे, की आशंकाओं ने वर्ष 1979-85 के असम आंदोलन को जन्म दिया।
  • इस आंदोलन के दौरान वर्ष 1951 के पश्चात् पलायन करने वालों का पता लगाने और उनके निर्वासन की माँग की गई थी।
  • असम समझौते में वर्ष 1951 की जगह 24 मार्च, 1971 की तिथि तय की गई, जो कोई भी इस तिथि से पहले असम में आया, उसे भारत का नागरिक माना जाएगा। यह तिथि वर्ष 2019 में जारी ‘नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स’ (NRC) का आधार भी थी।
  • चूँकि इस समझौते ने वर्ष 1951 की मूल माँग के बजाय अतिरिक्त प्रवासियों (1951-71) को भी वैध कर दिया इसलिये समझौते के खंड 6 को स्थानीय लोगों हेतु एक सुरक्षा कवच के रूप में शामिल किया गया था।

खण्ड 6 की स्थिति क्या रही है?

  • खण्ड 6 में शामिल जटिलताओं की वजह से एक रूपरेखा तैयार करने के पिछले प्रयासों में बहुत कम बढ़त हासिल हुई है।
  • पिछले वर्ष असमिया लोगों द्वारा नागरिकता संशोधन विधेयक (जो कि अब एक अधिनियम है) के विरोध में इस मामले पर तत्काल प्रभाव पड़ा, जिससे कुछ श्रेणियों के प्रवासियों के लिये भारतीय नागरिकता प्राप्त करना आसान हो जाता है- बांग्लादेश के हिंदू इनमें मुख्य हैं।
  • इसलिये गृह मंत्रालय ने एक नई समिति गठित की जिसने फरवरी में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। हालाँकि सरकार ने महीनों तक इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया जिसके कारण समिति के 14 सदस्यों में से चार ने स्वयं के पास उपलब्ध जानकरी सार्वजनिक कर दी।

मुख्य सिफारिशें

  • खण्ड 6 के कार्यान्वयन के उद्देश्य से प्रस्तावित परिभाषा में स्थानीय आदिवासी, अन्य स्थानीय समुदाय तथा भारत के सभी अन्य ऐसे नागरिक शामिल हैं जो 1 जनवरी, 1951 या उससे पहले से असम में रह रहे हैं अथवा जो स्थानीय असमियाओं के वंशज हैं।
  • संक्षेप में कहें तो यह परिभाषा ऐसे किसी भी व्यक्ति को शामिल करती है जो वर्ष 1951 से पहले असम में अपनी उपस्थिति (या अपने पूर्वजों की) साबित कर सकता है।
  • सुरक्षा उपायों में ‘असमिया लोगों’ के लिये विधायिका और नौकरियों में आरक्षण की सिफारिश के साथ ही ‘भूमि अधिकार असमिया लोगों लिये सीमित हैं’ जैसे प्रावधान शामिल हैं।
  • वर्ष 1951 के पश्चात लेकिन 24 मार्च, 1971 से पहले असम में प्रवेश करने वाले प्रवासी असमिया नहीं हैं लेकिन वे भारतीय नागरिक हैं। उदाहरण के लिये, वे असम की 80-100% सीटों पर चुनाव लड़ने के लिये पात्र नहीं होंगे (यदि यह समिति कि सिफारिशें स्वीकार की जाती हैं) हालाँकि वे मतदान कर सकते हैं।
  • सिर्फ स्थानीय समूह ही नहीं, बल्कि 1951 से पहले असम में प्रवेश करने वाले पूर्वी बंगाल के प्रवासियों को भी असमिया माना जाएगा।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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