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आंतरिक सुरक्षा

वीआईपी सुरक्षा और संबंधित प्रावधान

  • 10 Sep 2020
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये

विभिन्न श्रेणियों की वीआईपी सुरक्षा

मेन्स के लिये

वीआईपी सुरक्षा का महत्त्व और आवश्यकता

चर्चा में क्यों?

बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ दल के राजनेताओं के साथ विवाद के मद्देनज़र गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा वाई-प्लस श्रेणी (Y-Plus Category) की सुरक्षा दी गई है।

प्रमुख बिंदु

  • नियमों के अनुसार, वाई-प्लस (Y-Plus) सुरक्षा श्रेणी के तहत अभिनेत्री कंगना रनौत की सुरक्षा के लिये कुल 11 सुरक्षाकर्मी तैनात किये जाएंगे, जिसमें 2 कमांडो भी होते हैं। 

किसे मिलती है यह सुरक्षा?

  • इस प्रकार की सुरक्षा को औपचारिक तौर पर ‘वीआईपी सुरक्षा’ (VIP Security) कहा जाता है, और सैद्धांतिक रूप से यह मुख्यतः ऐसे लोगों को दिया जाता है जो नागरिक समाज अथवा सरकार में किसी महत्त्वपूर्ण स्थिति अथवा पद पर होते हैं। 
  • किसी भी व्यक्ति विशेष को सुरक्षा देने और किस श्रेणी की सुरक्षा देने का निर्णय गृह मंत्रालय द्वारा इंटेलिजेंस ब्यूरो (Intelligence Bureau-IB) और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (Research and Analysis Wing-RAW) जैसे खुफिया विभागों द्वारा दिये गए इनपुट के आधार पर लिया जाता है।
  • ये दोनों खुफिया विभाग अपने विभिन्न स्रोतों से मिली जानकारी के आधार पर गृह मंत्रालय को बताते हैं कि किसी व्यक्ति को आतंकवादियों या अन्य असामाजिक तत्त्वों से किस प्रकार का खतरा है, जिसके बाद गृह मंत्रालय इस संबंध में निर्णय लेता है।
  • वहीं कुछ लोग सरकार में अपने पद के कारण स्वतः ही इस प्रकार की सुरक्षा की श्रेणी में आ जाते हैं, इसमें प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और उसके परिवार के सदस्य शामिल हैं। इसके अलावा गृह मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी अपने पद के कारण इस सुरक्षा के दायरे में आ जाते हैं।

कार्य प्रणाली की आलोचना

  • ध्यातव्य है कि भारतीय खुफिया विभाग ​​किसी भी वैधानिक निकाय के प्रति जवाबदेह नहीं होते हैं, और वे केवल गृह मंत्रालय (MHA) तथा विदेश मंत्रालय (MEA) की आंतरिक निगरानी के अधीन कार्य करते हैं।
  • वहीं इन विभागों द्वारा प्राप्त की गई कोई भी खुफिया जानकारी न तो सार्वजनिक की जाती है और न ही किसी अन्य विभाग द्वारा इनकी जाँच की जाती है।
  • कार्य प्रणाली की इसी अस्पष्टता के कारण कई बार यह माना जाता है VIP सुरक्षा में राजनीतिक कारणों से फेरबदल संभव है।

सुरक्षा की विभिन्न श्रेणियाँ

  • मोटे तौर पर वीआईपी (VIP) सुरक्षा कवर की छह श्रेणियाँ होती हैं: एक्स (X), वाई (Y), वाई-प्लस (Y-Plus) , जेड (Z), जेड-प्लस (Z-Plus) और स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (Special Protection Group-SPG)। इसमें से SPG केवल प्रधानमंत्री और उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान करती है, जबकि अन्य सुरक्षा श्रेणियों की सुरक्षा खुफिया विभाग के इनपुट के आधार पर किसी भी व्यक्ति को प्रदान की जा सकती है। प्रत्येक श्रेणी में सुरक्षाकर्मियों की संख्या अलग-अलग होती है।
    • X सुरक्षा श्रेणी:  एक्स (X) श्रेणी की सुरक्षा को सबसे बुनियादी स्तर की सुरक्षा श्रेणी मान जाता है। इस सुरक्षा श्रेणी में व्यक्ति की सुरक्षा के लिये 2 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं, जिसमें कोई भी कमांडो शामिल नहीं होता। 
    • Y सुरक्षा श्रेणी: इस श्रेणी के तहत एक बंदूकधारी कमांडो और स्थायी सुरक्षा के लिये 1 (रोटेशन के आधार पर अतिरिक्त चार) सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं।
    • Y-प्लस सुरक्षा श्रेणी: इस सुरक्षा श्रेणी के तहत दो बंदूकधारी कमांडो (रोटेशन के आधार पर अतिरिक्त चार), और निवास सुरक्षा के लिये एक (रोटेशन के आधार पर अतिरिक्त चार) सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं।
    • Z सुरक्षा श्रेणी: इस सुरक्षा श्रेणी में कुल छह बंदूकधारी कमांडो और निवास सुरक्षा के लिये दो (अतिरिक्त 8) सुरक्षाकर्मी होते हैं।
    • Z-प्लस सुरक्षा श्रेणी: इसमें 10 से अधिक NSG कमांडो होते हैं एवं इसके अतिरिक्त निवास स्थान की सुरक्षा के लिये 2 (अतिरिक्त 8) CRPF के कमांडो व स्थानीय पुलिसकर्मी भी शामिल होते हैं। 
  • इन स्तरों के भीतर भी विभिन्न प्रकार के सुरक्षा कवर हैं। इनमें निवास की सुरक्षा, कार्यालय सुरक्षा और अंतर-राज्य सुरक्षा शामिल होते हैं।

कौन से सुरक्षा बल VIP सुरक्षा करते हैं?

  • प्रधानमंत्री और उनके परिवार के अलावा अन्य सभी लोगों को सुरक्षा कवर प्रदान करने का कार्य राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG), केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) द्वारा किया जाता है। इसके अलावा इसमें स्थानीय पुलिस भी शामिल होती है।
  • सरकार बीते कुछ वर्षों से राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) से VIP सुरक्षा का बोझ कम करने का प्रयास कर रही है, जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) का सुरक्षा घेरा काफी लोकप्रिय है और इसकी मांग काफी अधिक है। इसका मुख्य कारण यह है कि NSG का मुख्य कार्य राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद-रोधी अभियानों का संचालन करना है, न कि किसी की सुरक्षा करना।

VIP सुरक्षा की लागत का भुगतान कौन करता है?

  • खुफिया विभागों से प्राप्त सूचना के मूल्यांकन के पश्चात् सरकार जिस किसी को भी सुरक्षा प्रदान करती है, उसे यह सुरक्षा पूरी तरह मुफ्त प्रदान की जाती है।
  • हालाँकि, जिन लोगों को ज़ेड (Z) और ज़ेड-प्लस (Z-Plus) श्रेणियों में सुरक्षा प्रदान की जाती है, उन्हें सुरक्षाकर्मियों के आवास की व्यवस्था भी स्वयं करनी होती है, क्योंकि इस प्रकार की सुरक्षा श्रेणियों में सुरक्षाकर्मियों की संख्या काफी अधिक होती है।
    • भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पी. सतशिवम (P. Sathasivam) ने वर्ष 2014 में अपनी सेवानिवृत्ति के बाद सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली ‘वीआईपी सुरक्षा’ लेने से इनकार कर दिया था, क्योंकि सेवानिवृत्ति के बाद वे अपने पैतृक निवास स्थान में चले गए थे और उस निवास स्थान में सुरक्षाकर्मियों के लिये कोई विशेष स्थान नहीं था।
  • हालाँकि, सरकार खतरे का आकलन करने के बाद भी एक निजी व्यक्ति को उनके सुरक्षा कवर के लिये शुल्क चुकाने को कह सकती है। 
    • उदाहरण के लिये वर्ष 2013 में सरकार ने उद्योगपति मुकेश अंबानी को 2013 में ज़ेड (Z) श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की थी, किंतु सरकार ने अपने आदेश में CRPF को सुरक्षा के लिये मुकेश अंबानी से प्रतिमाह 15 लाख रुपए शुल्क लेने का आदेश दिया था।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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