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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

अल्ट्रा-व्हाइट पेंट

  • 19 Apr 2021
  • 9 min read

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में पर्ड्यू विश्वविद्यालय (Purdue University) के शोधकर्त्ताओं की टीम द्वारा अल्ट्रा-व्हाइट पेंट (Ultra-White Paint) विकसित किया गया है।

  • विकसित किया गया यह पेंट अत्यधिक सफेद है जो पेंट की गई सतह को ठंडा बनाए रखने में सक्षम है, इस  कारण यह पेंट  ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) की समस्या का एक बेहतर समाधान प्रस्तुत कर सकता है। 
  • अल्ट्रा-व्हाइट पेंट के बारे में: यह पेंट इस पर पड़ने वाले सूर्य के प्रकाश की 99 प्रतिशत मात्रा को परावर्तित करने में सक्षम है, इसलिये पूरी तरह से धूप में होने के बावजूद सतह अपने आस-पास के परिवेश की तुलना में अधिक ठंडी होती है। 
    • वर्तमान में बाज़ार में उपलब्ध वाणिज्यिक सफेद पेंट पर जब सूर्य का प्रकाश पड़ता है तो वह ठंडा होने के बजाए गर्म हो जाता है तथा सूरज के प्रकाश की केवल 80-90% मात्रा को ही प्रवर्तित करने में सक्षम है जिसके कारण कारण उसकी सतह अपने आस-पास के परिवेश की तुलना में कम ठंडी होती है।
    • पुराना सफेद पेंट मुख्य रूप से  कैल्शियम कार्बोनेट (Calcium Carbonate) से निर्मित था जबकि नए अल्ट्रा-व्हाइट पेंट को बेरियम सल्फेट (Barium Sulphate ) का उपयोग करके निर्मित किया गया है जो इसे और अधिक सफेद बनाता है।
      • इस रासायनिक यौगिक के विभिन्न आकार के कण प्रकाश को अलग-अलग मात्रा में बिखेरते हैं। यह प्रकाश को एक व्यापक स्तर पर बिखेरने  में मदद करता है, जिसके परिणामस्वरूप उच्चतम परावर्तन होता है ।
      • बेरियम सल्फेट का उपयोग फोटो पेपर (Photo Paper) और सौंदर्य प्रसाधनों (Cosmetics) को सफेद बनाने हेतु किया जाता है। इस रासायनिक यौगिक के विभिन्न आकार के कण, अलग-अलग मात्रा में प्रकाश को बिखेरने में मदद करते हैं। यह प्रकाश को एक व्यापक श्रेणी में बिखेरने की अनुमति देता है, जिसके परिणामस्वरूप उच्चतम परावर्तन होता है।
    • यह पेंट सर्वाधिक काले रंग के पेंट वेंटाब्लैक (Vantablack) के समान हो सकता  है जो दृश्य प्रकाश की  99.9% मात्रा को अवशोषित करने में सक्षम है।
      • वेंटाब्लैक का उपयोग उच्च प्रदर्शन अवरक्त कैमरों (High Performance Infrared Cameras), सेंसर (Sensors), उपग्रह जनित अंशांकन स्रोतों (Satellite Borne Calibration Sources) आदि में किया जाता है।
      • प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित कर उसे उष्मा में परिवर्तित करने की इसकी क्षमता के कारण सौर ऊर्जा के विकास में इसकी प्रासंगिकता देखी जा सकती है। 

रंगों द्वारा प्रकाश का परावर्तन या अवशोषण: 

  • प्रत्येक वस्तु प्रकाश के अवशोषण या परावर्तन के कारण ही दिखाई देती है। 
  • प्रकाश सात अलग-अलग रंगों (वायलेट, इंडिगो, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल-VIBGYOR) से मिलकर बना है विशेष रूप से प्रकाश विभिन्न रंगों की तरंग दैर्ध्य से निर्मित है।
  • किसी भी वस्तु के  रंग का निर्धारण उसकी तरंग दैर्ध्य द्वारा किया जाता है जिसे अणु द्वारा अवशोषित नहीं किया जा सकता है ।
    • यह इस बात पर निर्भर करता है कि एक परमाणु में इलेक्ट्रॉन किस प्रकार व्यवस्थित हैं (एक परमाणु इलेक्ट्रॉनों, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से बना होता है)।
    • उदाहरण के लिये यदि कोई व्यक्ति हरे रंग के सोफे को देख रहा है, तो इसका कारण है कि सोफे में प्रयोग होने वाला कपड़ा या सामग्री, हरे रंग को छोड़कर सभी रंगों को अवशोषित कर हरे रंग की तरंग दैर्ध्य को परावर्तित करती है।
  • इसी प्रकार यदि कोई वस्तु काली है, तो इसका कारण यह है कि उसके द्वारा सभी रंगों की तरंग दैर्ध्य को अवशोषित कर लिया गया है ।
    • यही कारण है कि गहरे रंग की वस्तुएँ, सभी रंग की तरंग दैर्ध्य को अवशोषित करती है जिसके परिणामस्वरूप तीव्र ऊष्मा  उत्पन्न होती  है (जैसे अवशोषण के समय प्रकाश ऊर्जा ऊष्मा ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है)।

महत्त्व:

  • नई तकनीक से निर्मित पेंट इमारतों को अर्बन हीट आइलैंड (Urban Heat Island.) के प्रभावों को समाप्त करने तथा लंबे समय तक इमारतों को ठंडा रहने में मददगार साबित होगा।
  • पेंट, विद्युत चालित एयर कंडीशनिंग पर हमारी निर्भरता को कम करके ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में सहायक साबित हो सकता है।
    • एयर कंडीशनिंग कई प्रकार से पृथ्वी के वायुमंडल में ऊष्मा की मात्रा को बढ़ाता है जैसे- इमारतों से गर्म हवा को बाहर निकालकर, एयर कंडीशनिंग में प्रयुक्त मशीन के चलने से ऊष्मा उत्पन्न होने तथा  इसके अलावा बिजली उत्पादन में प्रयुक्त होने वाले जीवाश्म ईंधन भी वायुमंडल में  कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की मात्रा को बढ़ाते हैं।
  • अल्ट्रा-व्हाइट पेंट न केवल गर्मी के कारण होने वाली मौतों और बीमारियों को कम करने में सहायक होगा बल्कि सतह के गर्म होने के कारण जल की गुणवत्ता में आने वाली कमी को भी कम  कर सकता है।

भारतीय पहल:

  • भारत विश्व का पहला देश है जिसने एक व्यापक कूलिंग एक्शन प्लान (Cooling Action plan) विकसित किया है,  यह प्लान विभिन्न सेक्टरों में कूलिंग आवश्यकता को संबोधित करने हेतु एक  दीर्घकालिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है तथा  उन कार्यों को सूचीबद्ध करता है जो कूलिंग की आवश्यकता को कम करने में सहायक हो सकते हैं।

आगे की राह: 

  • जलवायु परिवर्तन के साथ तापमान और ग्लोबल वार्मिंग में तेजी से वृद्धि हो रही है, तापमान या ऊष्मा की मात्रा को  कम करने और उसका मुकाबला करने हेतु  अनुकूलन रणनीतियों (Adaptation Strategies) को विकसित करना महत्त्वपूर्ण  हो गया है।
  • अनुकूलन रणनीतियों में बेहतर डिज़ाइन के माध्यम से प्राकृतिक रूप से ठंडी इमारतों को निर्मित करना, शीतलन उपकरणों की दक्षता में सुधार करना, नवीकरणीय ऊर्जा-आधारित ऊर्जा कुशल कोल्ड चेन को बढ़ावा देना और ठंडी  गैसों के अनुसंधान एवं विकास में निवेश करना है जो पृथ्वी को गर्म होने या नुकसान पहुँचने से रोकने  में सहायक साबित हों।
  •  शहरी क्षेत्रों में पेड़-पौधों या अन्य वनस्पतियों को लगाने हेतु पर्याप्त स्थान का अभाव हो सकता है। ऐसी स्थिति में सड़क के किनारे उपस्थित खाली जगहों तथा बंजर क्षेत्रोंं में छोटी हरी घास आदि को लगाया जा सकता है।
  • छतों को हरे रंग की चादरों या नेट से ढककर तथा सड़कों को हल्के रंग की कंक्रीट (सलेटी या गुलाबी रंग ) से निर्मित किया जा सकता है क्योकि हल्के रंग ऊष्मा की कम मात्रा को अवशोषित करते हैं तथा सूर्य के प्रकाश की अधिक मात्रा को परावर्तित करते हैं  

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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