नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


जैव विविधता और पर्यावरण

व्हाइट-थ्रोटेड रेल

  • 11 May 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

सफेद गले वाली रेल (White-Throated Rail) या कुवियर की रेल, रैलिडी (Rallidae) परिवार की एक पक्षी प्रजाति है। इसका वैज्ञानिक नाम ‘Dryolimnas Cuvieri’ है। यह पक्षी प्रजाति कोमोरोस, मेडागास्कर, मायोटी और सेशेल्स में पाई जाती है।

Dryolimnas Cuvieri

  • उड़ने में अक्षम उप-प्रजाति एल्डेब्रा (Aldabra) रेल (एल्डेब्रा में पाई जाने वाली) और अज़म्पशन (Assumption) की अज़म्पशन रेल 20वीं शताब्दी की शुरुआत में इनके अत्यधिक शिकार किये जाने के कारण विलुप्त हो गई।
  • यह जीनस ड्रायोलिमनस (Genus Dryolimnas) का अंतिम जीवित सदस्य है और माना जाता है कि यह हिंद महासागर में अंतिम उड़ने में अक्षम पक्षी (Flightless Bird) है।
  • इसके प्राकृतिक आवास उपोष्णकटिबंधीय या उष्णकटिबंधीय नम भूमि वन और उपोष्णकटिबंधीय या उष्णकटिबंधीय मैंग्रोव वन हैं।
  • यह IUCN की रेड लिस्ट में कम चिंतनीय का दर्जा प्राप्त है।

पृष्ठभूमि

  • हाल ही में प्रकाशित एक शोध-पत्र में हिंद महासागर के समीप रहने वाले ऐसे जीवों की पहचान की गई है, जिनमें ‘पुरावृत्त विकास’ या इटेरेटिव इवोल्यूशन (Iterative Evolution) की प्रवृत्ति देखने को मिली है। वैज्ञानिकों ने इन जीवों के दोबारा पृथ्वी पर लौटने की प्रक्रिया को दुर्लभ करार दिया है।
  • जीवों की विलुप्ति और पुनर्जीवन की प्रक्रिया दस लाख सालों में एक या दो बार देखने को मिलती है।
  • शोधकर्त्ताओं के अनुसार, शुरुआती समय में ‘रेल’ पक्षी उड़ पाता था लेकिन धीरे-धीरे इसके पंखों की शक्ति क्षीण होती गई, हालाँकि इस प्रक्रिया में कई हज़ार वर्षों का समय लगा।
  • ‘रेल’ की शेष प्रजातियाँ दक्षिण-पश्चिमी हिंद महासागर के एक द्वीप मेडागास्कर में पाई गई हैं। अनुमान है कि तकरीबन 40 लाख वर्ष पहले जब इनकी संख्या में बहुत अधिक वृद्धि हुई होगी तो इन पक्षियों ने पलायन का रास्ता अपनाया होगा।
  • इनकी विलुप्ति का एक कारण यह भी है कि इनमें से कई पक्षी ऐसे भी होंगे जो मेडागास्कर के उत्तर या दक्षिण की ओर प्रवास के समय लंबे समुद्री मार्ग में डूब गए होंगे और अफ्रीका के पश्चिमी क्षेत्रों में प्रवास करने वाले पक्षियों का शिकारियों द्वारा शिकार कर लिया गया होगा।
  • परंतु, वे पक्षी जो पूर्व की ओर एटोल द्वीप पर पहुँचे होंगे, उनका जीवन अन्य की अपेक्षा सरल रहा होगा। इस द्वीप पर शिकारियों की मौजूदगी न होने के कारण यहाँ इनकी आबादी में वृद्धि हुई होगी।
    · धीरे-धीरे ये मॉरीशस के डोडो पक्षी की भाँति विकसित हुए होंगे और बाद में यह प्रजाति 'रेल' के रूप में रूपांतरित हो गई होगी।
  • शोधकर्त्ताओं एक अनुसार, आज से करीब 136,000 वर्ष पहले आई एक बाढ़ के दौरान ‘रेल’ और ‘एल्डेब्रा’ जैसे जीव एवं कई अन्य वनस्पतियाँ समुद्र में दफन हो गई होंगी। शोधकर्त्ताओं को एटोल द्वीप के समीप एक लाख साल पुराने जीवाश्म प्राप्त हुए हैं जो इस कथन की सत्यता को स्थापित करते हैं।
  • इन जीवाश्मों के अध्ययन से  यह अनुमान लगाया गया कि यह किसी समय में ‘रेल’ प्रजाति के पक्षी रहे होंगे।
  • इन जीवाश्मों से यह स्पष्ट हो जाता हैं कि किसी समय में मेडागास्कर के समीप 'रेल' प्रजाति की कॉलोनियाँ रही होंगी, जो समय के साथ किन्हीं कारणों से विलुप्त हो गई होंगी।

स्रोत- टाइम्स ऑफ इंडिया

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow