क्या निजता एक मौलिक अधिकार है ? | 19 Jul 2017

संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय की नौ-सदस्यीय संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई करने जा रही है कि क्या निजता एक बुनियादी अधिकार है ? कई याचिकाकर्त्ताओं द्वारा विशिष्ट पहचान योजना के विरुद्ध उठाये गए प्रश्नों के संदर्भ में न्यायालय इस प्रश्न पर विचार करना चाहता है। 

प्रमुख बिंदु 

  • सर्वोच्च न्यायालय की एक नौ-सदस्यीय न्यायपीठ बुधवार को इस मामले की सुनवाई करेगी कि क्या गोपनीयता (privacy) एक मौलिक मानवीय अधिकार है तथा क्या वह संविधान के बुनियादी ढाँचे का हिस्सा है? 

आधार चर्चा में क्यों है?

  • गौरतलब है कि भारत में अनेक लोगों द्वारा आधार (Aadhaar) योजना को नागरिकों के गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन बताया गया है। इसलिये आधार योजना को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए याचिकाकर्त्ताओं  ने तर्क दिया है कि गोपनीयता का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद (21) में वर्णित जीवन का अधिकार का हिस्सा है और यह अनुच्छेद (19) में भी अंतर्निहित है, हालाँकि इसे संविधान में स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है। 

सर्वोच्च न्यायालय के दो निर्णय

  • सर्वोच्च न्यायालय के दो निर्णयों ( एम.पी. शर्मा वाद 1954, जिसमें आठ-न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला दिया था तथा 1962 का खड़ग सिंह वाद जिसमें छः न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला दिया था) ने अब तक निजता के बारे में न्यायालय के पक्ष को सामने रखा था।  इन दोनों निर्णयों में कहा गया था कि गोपनीयता एक मौलिक या 'गारंटीकृत' अधिकार नहीं है। 
  • यद्यपि सर्वोच्च न्यायालय की छोटी पीठों ने पिछले कुछ वर्षों में इससे भिन्न मत व्यक्त किया है और यह माना है कि गोपनीयता वास्तव में हमारे संविधान और मौलिक अधिकार के लिये  मूलभूत है। हालाँकि एम. पी. शर्मा और खड़ग सिंह मामलों के अंकगणितीय वर्चस्व अभी भी ज़ारी हैं।
  • अब सर्वोच्च न्यायालय ने नौ न्यायाधीशों की पीठ बनाकर हमेशा के लिये यह तय करने का निश्चय किया है कि गोपनीयता मौलिक अधिकार है या नहीं।