पंजाब सरकार के कृषि विधेयक | 21 Oct 2020
प्रिलिम्स के लियेपंजाब सरकार द्वारा पारित किये गए विधेयक मेन्स के लियेकृषि विपणन सुधारों से संबंधित केंद्र सरकार के तीन विधेयक और उनका प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों का विरोध करते हुए पंजाब विधानसभा ने चार कृषि विधेयक पारित किये हैं, जिसमें बीते माह केंद्र द्वारा लागू किये गए तीन कृषि कानूनों में बदलाव करने के लिये तीन संशोधन विधेयक भी शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु
- विधेयक को पारित करते हुए पंजाब सरकार ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानून न केवल भारत के संघवाद पर एक हमला है, बल्कि इससे देश के किसानों की आजीविका को भी छीनने का प्रयास किया जा रहा है।
विधेयकों के प्रमुख प्रावधान
- मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) विधेयक 2020
- पंजाब सरकार द्वारा पारित विधेयक यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि गेहूँ और धान की बिक्री तथा खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम मूल्य पर न की जाए।
- विधेयक के मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति या कंपनी या निगम किसानों को अपनी उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम मूल्य पर बेचने के लिये मजबूर करता है तो उसे कम-से-कम तीन वर्ष कैद की सज़ा हो सकती है और साथ ही जुर्माने का भी प्रावधान है।
- यह विधेयक किसान को उसकी उपज की खरीदारी के संबंध में किसी भी प्रकार के मतभेद की स्थिति में केंद्रीय अधिनियम के तहत प्रदान किये गए विकल्पों के अलावा न्यायालय के समक्ष भी अपना मामला प्रस्तुत करने की अनुमति देता है।
- पंजाब द्वारा इस विधेयक में केवल गेहूँ और धन को शामिल करने का एक मुख्य कारण यह है कि पंजाब में इन फसलों को काफी बड़ी मात्रा में उगाया जाता है।
- किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन विधेयक, 2020
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इस विधेयक के माध्यम से कृषि उपज विपणन समिति अधिनियम, 2016 के संबंध में राज्य में यथास्थिति की घोषणा की गई है।
- विधेयक यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि निजी व्यापारियों को भी सरकारी मंडियों की तरह ही विनियमित किया जाए।
- विधेयक में यह भी कहा गया है कि केंद्रीय कृषि कानूनों के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर किसी भी किसान के विरुद्ध कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
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- आवश्यक वस्तु (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) विधेयक, 2020
- पंजाब सरकार के इस विधेयक का उद्देश्य उपभोक्ताओं को जमाखोरी और कालाबाज़ारी की कुप्रथाओं से सुरक्षा प्रदान करना है।
- यह विधेयक पंजाब राज्य को असाधारण परिस्थितियों जैसे- अकाल, मूल्य वृद्धि, प्राकृतिक आपदा या कोई अन्य स्थिति में उत्पादन, आपूर्ति, वितरण और स्टॉक सीमा को विनियमित करने या प्रतिबंधित करने के लिये आदेश देने की शक्ति देता है।
पंजाब सरकार का तर्क
- इन विधेयकों को पारित करते हुए पंजाब सरकार ने तर्क दिया है कि इससे राज्य के किसानों और खेतिहर मज़दूरों के साथ-साथ कृषि तथा अन्य संबंधित गतिविधियों में संलग्न लोगों के हितों और आजीविका को सुरक्षित एवं संरक्षित किया जा सकेगा।
- वर्ष 2015-16 की कृषि जनगणना यह रेखांकित करती है कि राज्य में तकरीबन 86.2 प्रतिशत किसान, छोटे और सीमांत हैं और इनके पास दो एकड़ से कम भूमि है।
- अतः इन विधेयकों के माध्यम से पंजाब सरकार किसानों को उचित मूल्य की गारंटी के रूप में एक समान अवसर प्रदान करने का प्रयास कर रही है।
- पंजाब सरकार द्वारा पारित किये गए कृषि विधेयकों में कहा गया है कि चूँकि कृषि, कृषि बाज़ार और भूमि आदि राज्य सूची के विषय हैं, इसलिये राज्य सरकार को इन पर कानून बनाने का पूर्ण अधिकार है।
इन विधेयकों के निहितार्थ
- पंजाब सरकार द्वारा पारित विधेयकों का प्राथमिक उद्देश्य किसानों की मांग को पूरा करना है और इससे पंजाब में निजी व्यापारियों को किसानों का शोषण करने का कोई अवसर नहीं मिल सकेगा।
- हालाँकि कई विशेषज्ञ यह प्रश्न उठा रहे हैं कि राज्य सरकार द्वारा इस विधेयक में केवल 2 फसलें ही क्यों शामिल की गई हैं?
- कई जानकार पंजाब सरकार के इस कदम को केवल एक राजनीतिक कदम के रूप में देख रहे हैं, चूँकि इस विधेयक को राज्यपाल के अलावा राष्ट्रपति की सहमति की भी आवश्यकता होगी, अतः वे केंद्र सरकार द्वारा पारित कानूनों में संशोधन करना चाहते हैं।
आगे की राह
- राष्ट्रपति द्वारा इन विधेयकों को मंज़ूरी नहीं भी दी जाती है तो इसे पंजाब सरकार द्वारा एक सांकेतिक विरोध के रूप में देखा जा सकता है।
- हालाँकि पंजाब सरकार द्वारा इस विधेयक में केवल दो ही फसलें शामिल की गई हैं, जिसके कारण यह विधेयक किसानों के हित से अधिक एक सांकेतिक विधेयक लगता है।