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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

क्या नीति आयोग को अपना वास्तविक स्थान प्राप्त करने के लिए और कवायद करनी होगी?

  • 06 Jan 2017
  • 6 min read

सन्दर्भ :

भारत सरकार द्वारा ‘योजना आयोग’ के स्थान पर ‘नीति आयोग’ (नेशनल इंस्टिट्यूशन फॉर ट्रांस्फोर्मिंग इंडिया)’ नामक नए संस्थान का गठन किया गया है। यह संस्थान सरकार के थिंक टैंक के रूप में सेवाएँ प्रदान करने और उसे निर्देशात्मक एवं नीतिगत गतिशीलता प्रदान करने का प्रयास कर रहा है । वर्तमान सरकार में अपनी स्थिति को सुदृढ़ बनाने के बावजूद यह महसूस किया जा रहा है कि यह अब तक अपनी उस भूमिका को अपनाने में सफल नहीं हो सका है जिसके लिए इसकी दो वर्षों पूर्व संकल्पना की गई थी | 

प्रमुख बिंदु :

  • विशेषज्ञों के अनुसार नीति आयोग को शोधपरक दृष्टिकोण के साथ आगे बढाया जाना चाहिए था|
  • वर्तमान स्थितियों में इसके रणनीतिक और प्रक्रियागत आधारों में स्पष्टता की कमी, इसके मार्ग में बाधाएँ उत्त्पन्न करती प्रतीत होती है|
  • ध्यातव्य है कि नीति आयोग के पास अपने पूर्ववर्ती ‘योजना आयोग’ के समान राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों के लिए वित्तीय संसाधनों के आवंटन का अधिकार भी नहीं है|
  • संभवतः यही वे कारण है कि वह योजना आयोग के समान भूमिका का निर्वाह नहीं कर पा रहा है |
  • इस दिशा में एक प्रभावी तंत्र की पहचान किये जाने की भी आवश्यकता है जो नीति आयोग को क्रियान्वयन के स्तर पर सहयोग प्रदान कर सके| 

नीति आयोग द्वारा किये गए महत्वपूर्ण कार्य  :

  • यह विनिवेश के फलस्वरूप समस्याग्रस्त सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की पहचान करने, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में परिवर्तन की सिफारिश करने, केंद्र सरकार के कैशलेस अर्थव्यवस्था पहल को संचालित करने, राष्ट्रीय विमानन नीति और नई ऊर्जा नीति पर जानकारी प्रदान करने, और ई-कॉमर्स हेतु प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति तैयार करने में अग्रणी रहा है|
  • विदित हो की पिछले वर्ष नीति आयोग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्याख्यानों की एक श्रृंखला आयोजित की गई थी जिसमे माइक्रोसोफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स एक वक्ता के रूप में शामिल हुए थे | इसके अतिरिक्त यह भारत ऊर्जा सुरक्षा परिदृश्य-2047 सहित कई शोध पत्र प्रकाशित कर चुका है।
  • नीति आयोग ने कुछ राज्यों में कई पुराने और अप्रचलित कानूनों को समाप्त करने, भूमि पट्टों को वैध करने और कृषि विपणन में गुणात्मक परिवर्तन लाने में मदद की है|
  • सशक्त राज्य के निर्माण से ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण संभव है अतः  ‘सहयोगपूर्ण संघवाद’ को बढ़ावा देना नीति आयोग का एक मूलभूत उद्देश्य है| इस तथ्य की महत्ता को स्वीकार करते हुए नीति आयोग द्वारा राष्ट्रीय उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुए राज्यों की सक्रिय भागीदारी और राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और रणनीतियों का एक साझा दृष्टिकोण विकसित करते हुए राज्यों के साथ सतत आधार पर संरचनात्मक सहयोग की पहल को एक ‘राष्ट्रीय एजेंडा’ के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है |
  • इसके साथ ही, यह शैक्षिक और नीति अनुसंधान संस्थानों के बीच भागीदारी को परामर्श और प्रोत्साहन प्रदान कर रहा है जिसके अंतर्गत नीति आयोग द्वारा मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ-साथ एनसीईआरटी जैसी अन्य महत्वपूर्ण संस्थाओं को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है| इसके अतिरिक्त भारत में 20 विश्व स्तरीय संस्थानों के निर्माण और 200 से अधिक स्कूलों में प्रयोगशालाओं के निर्माण पर भी कार्य किया जा रहा है|
  • इन प्रयासों के माध्यम से नीति आयोग राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों तथा अन्य हितधारको से समुदाय आधारित सहयोग के ज़रिये ज्ञान नवाचार उद्यमशीलता हेतु सहायक प्रणाली विकसित करेगा |

निष्कर्ष :

नीति आयोग अपने सराहनीय प्रदर्शन के द्वारा सरकार के लिए एक समस्या निवारण तंत्र के रूप में उभरा है किन्तु यदि समग्र रूप से देखा जाए तो उसकी वर्तमान उपलब्धियाँ उस अनुपात में काफी कम है जिसकी इससे अपेक्षा की जा रही थी | हालांकि यदि समय रहते इसमें विद्यमान रणनीतिक एवं क्रियान्वयन सम्बन्धी समस्याओं को दूर किया जा सके तो नीति आयोग द्वारा नीतियों को आकार देने में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाए जाने और अपने संकल्पनात्मक उद्देशों को प्राप्त किये जाने की प्रबल संभावना है|

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