भारतीय अर्थव्यवस्था
क्या है ‘IL&FS संकट’?
- 05 Oct 2018
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चर्चा में क्यों
हाल ही में भारत के गैर-बैंकिंग क्षेत्र की एक प्रमुख कंपनी ‘इंफ्रास्ट्रक्चर लीज़िग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज़ (IL&FS)’ के ऊपर नकदी तथा कर्ज़ का संकट आ गया जिसने पूरे गैर-बैंकिंग क्षेत्र में डर का माहौल पैदा कर दिया।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- इस संकट की शुरुआत तब हुई जब SIDBI से लिये गए अल्पावधि ऋण को चुकाने में IL&FS असफल रही। डिफॉल्टर होने की वज़ह से IL&FS की रेटिंग लगातार गिरने लगी।
- आईएल एंड एफएस फाइनेंशियल सर्विसेज़, IL&FS की 100% सहायक कंपनी भी 46 करोड़ रुपए का ऋण चुकाने में असफल रही।
- IL&FS 10 वर्षों से अधिक अवधि की परियोजनाओं को वित्तपोषित करता है, लेकिन इसके द्वारा लिये गए उधार कम अवधि के होते हैं, जो परिसंपत्ति-देयता अंतर को बढ़ा देता है।
- अनुमान के मुताबिक, तीन वर्षों तक 17% विसंगतियाँ नकारात्मक रहीं। जब ऋण का बहिर्वाह संपत्ति के अंतर्वाह से अधिक हो जाता है तब परिसंपत्ति-देयता विसंगति नकारात्मक हो जाती है।
- IL&FS का सबसे बड़ा शेयरधारक LIC है, जिसके पास 25.34% शेयर हैं । LIC के बाद ORIX के पास 23.54% शेयर हैं।
प्रभाव क्या पड़ेगा?
- IL&FS के डिफॉल्ट हो जाने से गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ, मुख्य रूप से हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के निवेशक परेशानी में पड़ गए है।
- बैंक और म्यूचुअल फंड हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों तथा अन्य गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों के लिये वित्तपोषण के मुख्य स्रोत हैं। वित्तपोषण में बैंक 40% और म्यूचुअल फंड 30% का योगदान देते हैं।
- IL&FS ने संकट का सामना करने के लिये तीन तरह की रणनीतियों की शुरुआत की है- राइट शेयर जारी करना, ऋण चुकाने के लिये संपत्ति की बिक्री और लिक्विडिटी शेयर संबोधित करना जब तक कि संपत्ति की बिक्री शुरू नहीं हो जाती।
- यह राइट शेयर जारी करते हुए 4,500 करोड़ रुपए जुटाने की योजना बना रहा है जिसमें यह 150 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से 30 करोड़ इक्विटी शेयर जारी करेगा।
- इसके बोर्ड ने सहायक कंपनियों जैसे- आईएल एंड एफएस फाइनेंशियल सर्विसेज़, आईएल एंड एफएस ट्रांसपोर्टेशन, आईएल एंड एफएस एनर्जी, आईएल एंड एफएस एन्वायरनमेंट और आईएल एंड एफएस एजुकेशन में ₹ 5,000 करोड़ के पुनर्पूंजीकरण को भी मंजूरी दे दी है।
IL&FS
इंफ्रास्ट्रक्चर लीज़िग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज़ (IL&FS) भारतीय अवसंरचना विकास तथा वित्त कंपनी है। जिसका कार्य प्रमुख आधारभूत परियोजनाओं के लिये वित्त तथा ऋण प्रदान करना है। इसकी परियोजनाओं में एशिया की सबसे लंबी द्वि-दिशात्मक सुरंग चेनानी-नाशरी शामिल है। फिलहाल यह कंपनी दिवालिया होने की कगार पर है।
- यह 250 से अधिक सहायक कंपनियों के माध्यम से संचालित होती है।
- 1987 में इसे भारत सरकार के स्वामित्व वाले तीन वित्तीय संस्थानों अर्थात् सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन (HDFC) और यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (UTI) द्वारा ‘आरबीआई रजिस्टर्ड कोर इंवेस्टमेंट कंपनी’ के रूप में गठित किया गया था।