भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत के लिये अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा जारी विकास दर अनुमान के मायने
- 18 Jul 2018
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संदर्भ
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने हाल ही में जारी किये विकास अनुमानों में कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ़्तार तेज़ी से बढ़ती कच्चे तेल की कीमतों और ब्याज दरों में अधिक वृद्धि के कारण केवल तीन महीनों में पूर्व में अनुमानित विकास दर की तुलना में धीमी हो जाएगी।
क्यों हुई भारत के विकास दर अनुमान में कमी?
- वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक के अपने नवीनतम संस्करण में IMF ने घरेलू मांग पर उच्च तेल की कीमतों के नकारात्मक प्रभाव और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मौद्रिक नीति के अपेक्षाकृत सख्त होने के नकारात्मक प्रभाव विकास पूर्वानुमान में कमी के मुख्य कारण थे।
- आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 के अनुसार, तेल की कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि के कारण आर्थिक विकास में 0.2-0.3 प्रतिशत की गिरावट आई है, थोक मुद्रास्फीति में 1.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और चालू खाता घाटा बढ़कर 9 से 10 बिलियन डॉलर हो गया है।
कैसे प्रभावित करती हैं तेल की बढ़ती कीमतें?
- वर्ष 2013 से 2015 के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था कच्चे तेल की घटती कीमतों का लाभ उठाने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था थी, क्योंकि तेल की कम कीमत खपत को प्रोत्साहित करती है।
- इसके विपरीत, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का मतलब है कि कुकिंग गैस सिलेंडर और ऑटो ईंधन पर अधिक खर्च करना पड़ेगा।
- इससे व्यक्ति की आय में हानि होगी जिसकी क्षतिपूर्त वह विवेकपूर्ण खर्चों को कम करके करता है।
- कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण परिवहन महँगा होता है तथा गैस से उत्पन्न बिजली की लागत में वृद्धि हो जाती है।
क्या भारत अभी भी सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है?
- भले ही वर्ष 2018 और 2019 के लिये चीन के विकास अनुमानों को अपरिवर्तित छोड़ दिया गया है, फिर भी वे इस अवधि के लिये भारत के नवीनतम विकास अनुमानों से कम हैं। इसका तात्पर्य यह है कि भारत अभी भी तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है।
क्या अमेरिका द्वारा शुरू किया गया व्यापार युद्ध वैश्विक विकास संभावनाओं को प्रभावित करेगा?
- IMF के अनुसार, बढ़ते व्यापार तनाव के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में व्यापक नकारात्मक जोखिम उत्पन्न हुए हैं।
- ये तनाव मध्यम अवधि की विकास संभावनाओं को कम करते हैं।
- हालाँकि यह भी कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर संकुचन प्रभाव कम होगा।
निष्कर्ष
- हालाँकि तेल की उच्च कीमतें केरोसिन और कुकिंग गैस पर अनुमानित सब्सिडी खर्च के कारण सरकार के लिये राजकोषीय विस्तार को कम कर देंगी, लेकिन वर्ष के अंत में संभावित चुनाव के कारण पेट्रोलियम उत्पादों के उत्पाद शुल्क में कटौती की संभावना बहुत ही कम है। सरकार को रुपए के मूल्य में हो रही गिरावट को भी ध्यान में रखना चाहिये।