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शासन व्यवस्था

विदेश यात्रा हेतु अनुमति

  • 15 Oct 2019
  • 3 min read

प्रीलिम्स के लिये:

मुख्यमंत्री, मैप पर डेनमार्क की अवस्थिति,

मेन्स के लिये:

विदेश यात्रा संबंधी राजनीतिक अनुमति का महत्त्व, राजनीतिक निकासी संबंधी नियम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री ने डेनमार्क में आयोजित एक सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा संबोधन का कारण:

  • उल्लेखनीय है कि डेनमार्क में आयोजित C-40 क्लाइमेट समिट में भाग लेने हेतु विदेश मंत्रालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मंज़ूरी नहीं दी थी, जिसके कारण उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्मेलन को संबोधित करना पड़ा।

मुख्य बिंदु:

  • ध्यातव्य है कि किसी भी शासकीय कर्मचारी को विदेश यात्रा हेतु विदेश मंत्रालय से अनुमति की आवश्यकता होती है।
  • वर्ष 2016 से इस प्रकार की अनुमति ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से भी प्राप्त की जा सकती है।
  • यह अनुमति कई पक्षों जैसे- कार्यक्रम की प्रकृति और सहभागियों का स्तर आदि को ध्यान में रखकर प्रदान की जाती है।
  • सरकारी कर्मचारियों तथा उच्च पदों पर कार्यरत लोगों को राजनीतिक अनुमति के अतिरिक्त भिन्न परिस्थितियों में कुछ अन्य प्रकार की अनुमतियों की भी आवश्यकता होती है। जैसे-
    • मुख्यमंत्री, राज्य के अन्य मंत्री तथा राज्य अधिकारीगणों को आर्थिक मामलों के विभाग से भी अनुमति लेने की आवश्यकता होती है।
    • देश के केंद्रीय मंत्रियों के लिये विदेश मंत्रालय से अनुमति के पश्चात् प्रधानमंत्री से भी अनुमति लेना आवश्यक होता है।
    • लोकसभा सदस्यों को इस संबंध सदन अध्यक्ष से अनुमति लेनी होती है, जबकि राज्यसभा के सदस्यों को इस संबंध में अनुमति सभापति से अनुमति लेनी होती है।
    • विभिन्न मंत्रालयों से संबंधित अधिकारियों से लेकर जोइंट सेक्रेटरीज़ स्तर तक के अधिकारियों को अपने-अपने मंत्रालयों से भी अनुमति लेनी होती है।

अन्य तथ्य:

उल्लेखनीय है कि यात्रा का समय, किस देश की यात्रा की जानी है व साथ ही कितने शिष्ट मंडल सदस्य (Delegation) जाने हैं आदि तथ्यों के आधार पर नियमों में परिवर्तन संभव है।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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