पश्चिमी विक्षोभ से भारत की गेहूँ की फसल को खतरा | 12 Apr 2023
प्रिलिम्स के लिये:खाद्य मुद्रास्फीति, गेहूँ, खाद्य फसलें मेन्स के लिये:खाद्य उत्पादन में मौसम का प्रभाव, खाद्यान्न सुरक्षा |
चर्चा में क्यों?
प्रमुख गेहूँ उत्पादक राज्यों में पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के कारण फरवरी माह के दौरान पारा में असामान्य वृद्धि और मार्च के दौरान व्यापक वृष्टि, तेज़ पवनों और ओलावृष्टि सहित हालिया खराब मौसम की स्थिति ने किसानों को उपज, उत्पादन और गेहूँ फसल की गुणवत्ता में संभावित गिरावट के बारे में चिंतित कर दिया है।
भारत में गेहूँ की फसल पर असामयिक वृष्टि और पवनों का प्रभाव
- असामयिक वृष्टि और पवनों का प्रभाव:
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बताया कि 40-50 किलोमीटर प्रति घंटे के बीच तूफानी पवनों के साथ वृष्टि, फसल के लिये हानिकारक हो सकती है, खासकर अगर वे पकने और कटाई के चरण के करीब होती हैं। दुर्भाग्य से, फसल के नष्ट होने और खेतों में जलभराव के उदाहरण सामने आए हैं, जो कटाई के लिये तैयार गेहूँ की फसल को अधिक क्षति पहुँचा सकते हैं।
- उत्पादन पर प्रभाव:
- शोधकर्त्ताओं के अनुसार, हाल ही में हुई असामयिक वृष्टि से कृषि वर्ष 2022-23 में भारत का गेहूँ उत्पादन 102.9 मीट्रिक टन होने की संभावना है, जो केंद्र सरकार के 112 मीट्रिक टन के अनुमान से कम है। हालाँकि, केंद्र को यह आशा है कि हाल के प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण उत्पादन में मामूली कमी के बावजूद इस फसल मौसम में बढ़े हुए रकबे और बेहतर उपज के कारण गेहूँ का उत्पादन 112 मीट्रिक टन के करीब रहेगा।
- मूल्य और खाद्यान्न सुरक्षा पर प्रभाव:
- यदि भारत का गेहूँ उत्पादन अनुमान से कम हो जाता है तो इससे घरेलू बाज़ार में गेहूँ और गेहूँ आधारित उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है।
- इसके अतिरिक्त, गेहूँ के उत्पादन में किसी भी गिरावट से संभावित खाद्यान्न सुरक्षा समस्या उत्पन्न हो सकती है।
गेहूँ:
- परिचय:
- चावल के बाद यह भारत में दूसरी सबसे महत्त्वपूर्ण अनाज की फसल है।
- यह देश के उत्तर और उत्तर-पश्चिमी भाग में मुख्य खाद्य फसल है।
- गेहूँ एक रबी फसल है जिसे परिपक्व होने के लिये शीत मौसम और तेज़ धूप की आवश्यकता होती है।
- हरित क्रांति की सफलता ने रबी फसलों, विशेषकर गेहूँ के विकास में योगदान दिया।
- तापमान:
- तेज़ धूप के साथ 10-15°C (बुवाई के समय) और 21-26°C (पकने और कटाई के समय) के बीच।
- आवश्यक वर्षा:
- लगभग 75-100 से.मी.
- मृदा के प्रकार:
- अच्छी तरह से शुष्क उपजाऊ दोमट और चिकनी दोमट (गंगा-सतलुज मैदान और दक्कन की काली मृदा क्षेत्र)।
- शीर्ष गेहूँ उत्पादक राज्य:
- उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, गुजरात।
- भारत में गेहूँ उत्पादन और निर्यात की स्थिति:
- चीन के बाद भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादक देश है। लेकिन यह वैश्विक गेहूँ व्यापार का 1% से भी कम है। गरीबों के लिये सब्सिडी वाले खाद्यान उपलब्ध कराने में इसका बहुत योगदान है।
- इसके शीर्ष निर्यात बाज़ार बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) हैं।
- सरकारी पहल:
- मैक्रो मैनेजमेंट मोड ऑफ एग्रीकल्चर, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना गेहूँ की खेती को प्रोत्साहित करने हेतु सरकारी पहलें हैं।
पश्चिमी विक्षोभ:
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department-IMD) के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ ऐसे तूफान हैं जो कैस्पियन या भूमध्य सागर में उत्पन्न होते हैं तथा उत्तर-पश्चिम भारत में गैर-मानसूनी वर्षा के लिये ज़िम्मेदार होते हैं।
- इन्हें भूमध्य सागर में उत्पन्न होने वाले एक ‘बहिरूष्ण उष्णकटिबंधीय तूफान’ के रूप में चिह्नित किया जाता है, जो एक निम्न दबाव का क्षेत्र है तथा उत्तर-पश्चिम भारत में अचानक वर्षा, हिमपात एवं कोहरे के लिये ज़िम्मेदार हैं।
- पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances- WD) उत्तरी भारत में वर्षा, हिमपात और कोहरे से संबंधित है। WD भूमध्य सागर और/या अटलांटिक महासागर से नमी प्राप्त करता है।
- WD के कारण शीत ऋतु में मानसून पूर्व वर्षा होती है, जो उत्तरी उपमहाद्वीप में रबी फसल के विकास के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- WD हमेशा अच्छे मौसम के अग्रदूत नहीं होते हैं। कभी-कभी WDs बाढ़, फ्लैश फ्लड, भूस्खलन, धूल भरी आँधी, ओलावृष्टि और शीत लहर जैसी चरम मौसमी घटनाओं का कारण बन सकते हैं जो लोगों की जान ले लेते हैं, बुनियादी ढाँचे को नष्ट कर देते हैं और आजीविका को प्रभावित करते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न . निम्नलिखित फसलों पर विचार कीजिये:
(a) केवल 1 और 4 उत्तर : C |