वेब 3.0 | 18 Jan 2022

प्रिलिम्स के लिये:

वेब 1.0, वेब 2.0, वेब.3.0, इंटरनेट, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी।

मेन्स के लिये:

वेब के विभिन्न संस्करण, ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी, विकेंद्रीकृत प्रौद्योगिकी और इसका महत्व, डेटा सुरक्षा, ई-कॉमर्स।

चर्चा में क्यों?

वेब 3 की अवधारणा, जिसे वेब 3.0 भी कहा जाता है, का उपयोग इंटरनेट के संभावित अगले चरण का वर्णन करने के लिये किया जाता है और यह वर्ष 2021 में काफी चर्चा में रहा है।

web-3.0

प्रमुख बिंदु:

  • परिचय:
    • वर्ल्ड वाइड वेब, जिसे वेब के रूप में भी जाना जाता है वेब सर्वर में संग्रहीत वेबसाइटों या वेब पेजों का एक संग्रह है जो इंटरनेट के माध्यम से स्थानीय कंप्यूटरों से जुड़ा होता है।
    • इन वेबसाइटों में टेक्स्ट पेज, डिजिटल इमेज, ऑडियो, वीडियो आदि होते हैं। उपयोगकर्त्ता कंप्यूटर, लैपटॉप, सेल फोन आदि जैसे अपने उपकरणों का उपयोग करके इंटरनेट पर दुनिया के किसी भी हिस्से से इन साइट्स की सामग्री तक पहुँच सकते हैं।
    • वेब 3.0 एक विकेंद्रीकृत  इंटरनेट है जो ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है यह उपयोग में आने वाले संस्करणों, वेब 1.0 और वेब 2.0 से अलग होगा।
    • वेब 3 में उपयोगकर्त्ताओं के पास प्लेटफॉर्म और एप्लीकेशन में स्वामित्व हिस्सेदारी होगी जो तकनीकी प्लेटफॉर्म को नियंत्रित करते हैं।
    • ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी कंपनी एथेरियम ( Ethereum) के संस्थापक गेविन वुड ने वर्ष 2014 में पहली बार वेब 3 शब्द का इस्तेमाल किया था और पिछले कुछ वर्षों में कई अन्य लोगों ने वेब 3 के विचार को जोड़ा है।
  • पिछला संस्करण:
    • वेब 1.0:
      • वेब 1.0 वर्ल्ड वाइड वेब या इंटरनेट है जिसका आविष्कार वर्ष 1989 में हुआ था। यह वर्ष 1993 से लोकप्रिय हुआ और वर्ष 1999 तक चला
      • वेब 1.0 के समय में इंटरनेट अधिकतर स्टैटिक वेब पेज थे, जहाँ उपयोगकर्त्ता एक वेबसाइट पर जाते थे और फिर स्टैटिक या स्थिर जानकारी प्राप्त करते थे।
      • भले ही शुरुआती दिनों में ई-कॉमर्स वेबसाइट्स थीं, फिर भी यह एक अपेक्षाकृत बंद वातावरण था और उपयोगकर्त्ता स्वयं कोई सामग्री नहीं बना सकते थे या इंटरनेट पर समीक्षा पोस्ट नहीं कर सकते थे।
    • वेब  2.0:
      • वेब 2.0 किसी-न-किसी रूप में वर्ष 1990 के दशक के अंत में ही शुरू हुआ था, हालाँकि इसकी अधिकांश सुविधाएँ पूरी तरह से वर्ष 2004 में उपलब्ध हो सकीं। गौरतलब है कि अभी भी वेब 2.0 का युग जारी है।
      • वेब 1.0 की तुलना में वेब 2.0 की विशिष्ट विशेषता यह है कि उपयोगकर्त्ता स्वयं भी कंटेंट पोस्ट बना सकते हैं।
      • वे टिप्पणियों के रूप में वार्ता कर सकते हैं, अपनी पसंद बता सकते हैं, साझा कर सकते हैं और अपनी तस्वीरें या वीडियो अपलोड कर सकते हैं तथा ऐसी अन्य सभी गतिविधियाँ कर सकते हैं।
      • मुख्य रूप से एक सोशल मीडिया प्रकार की वार्ता वेब 2.0 की विशिष्ट विशेषता है।
  • वेब 3.0 की आवश्यकता:
    • वेब 2.0 में इंटरनेट और इंटरनेट ट्रैफ़िक संबंधी अधिकांश डेटा का स्वामित्व या प्रबंधन कुछ विशिष्ट कंपनियों जैसे- गूगल द्वारा ही किया जाता है। 
    • इसने डेटा गोपनीयता, डेटा सुरक्षा और डेटा के दुरुपयोग से संबंधित समस्याएँ पैदा कर दी हैं।
    • इसके कारण इंटरनेट का मूल उद्देश्य विकृत हो गया है।
  • वेब 3.0 का महत्त्व:
    • विकेंद्रीकृत और निष्पक्ष इंटरनेट: वेब 3.0 एक विकेंद्रीकृत और निष्पक्ष इंटरनेट प्रदान करेगा, जहाँ उपयोगकर्त्ता अपने स्वयं के डेटा को नियंत्रित कर सकते हैं।
    • यह मध्यस्थों को हटाता है: ब्लॉकचेन के साथ लेन-देन का समय और स्थान स्थायी रूप से दर्ज किया जाता है।
      • इस प्रकार वेब 3 मध्यस्थ की भूमिका को समाप्त कर सहकर्मी से सहकर्मी (विक्रेता से खरीदार) के मध्य लेन-देन को बढ़ावा देता है। इस अवधारणा को निम्नलिखित प्रकार से बढ़ाया जा सकता है
    • विकेंद्रीकरण और पारदर्शिता: वेब 3 विकेंद्रीकृत स्वायत्त संगठन (DAO) पर केंद्रित है।
      • DAO सभी व्यावसायिक नियमों से संबंधित है एवं किसी भी लेन-देन में शासी नियम किसी को भी देखने के लिये पारदर्शी रूप से उपलब्ध हैं तथा  इन नियमों के अनुरूप सॉफ्टवेयर के द्वारा लिखा जाएगा।
      • DAO के साथ प्रमाणित या मान्य करने के लिये केंद्रीय प्राधिकरण की कोई आवश्यकता नहीं है।

आगे की राह: 

  • वेब 3 अपने शुरुआती चरण में है और इस बात पर कोई सहमति नहीं है कि यह वेब 1.0 या वेब 2.0 की तरह शुरू होगा या नहीं। उद्योग और अकादमिक समुदाय के शीर्ष तकनीकी विशेषज्ञों को इस बात को लेकर संदेह है कि Web 3 उन समस्याओं को हल नहीं करता है जिन्हें हल करने के उद्देश्य से इसे विकसित किया जा रहा है।
  • वेब 3 को वर्तमान आर्किटेक्चर से अलग करने की आवश्यकता होगी जहांँ एक फ्रंट-एंड (Front-End) मिडिल लेयर (Middle Layer) और बैक-एंड  (Back-End) है।
  • Web 3 के आर्किटेक्चर को ब्लॉकचेन को संभालने, ब्लॉक चेन में डेटा को बनाए रखने और इंडेक्स करने, पीयर टू पीयर कम्युनिकेशंस आदि हेतु बैकएंड सॉल्यूशंस की आवश्यकता होगी। 
  • इसी तरह मिडिल लेयर (Middle Layer), जिसे बिज़नेस रूल्स लेयर (Business Rules Layer) भी कहा जाता है, को ब्लॉकचेन आधारित बैकएंड से संभालने की आवश्यकता होगी।

स्रोत: द हिंदू