जल गुणवत्ता रिपोर्ट | 18 Nov 2019
प्रीलिम्स के लिये:
जल गुणवत्ता रिपोर्ट, भारतीय मानक ब्यूरो
मेन्स के लिये:
जल संसाधन से संबंधित मुद्दे
चर्चा में क्यों?
16 नवंबर, 2019 को केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय (Ministry of Consumer Affairs, Food & Public Distribution) ने दिल्ली और राज्यों की राजधानियों में उपलब्ध जल की गुणवत्ता पर रिपोर्ट जारी की।
प्रमुख बिंदु
- यह रिपोर्ट हर घर में 2024 तक नलों के जरिये लोगों को पीने का साफ पानी उपलब्ध कराने एवं जल जीवन अभियान के अनुरूप जारी की गई है।
- खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इसके लिये भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of India Standards- BIS) के माध्यम से दिल्ली तथा राज्यों की राजधानियों में नल के जरिये आपूर्ति किये जाने वाले पीने के पानी की गुणवत्ता की जाँच कराई और जाँच के नतीजों के आधार पर राज्यों, स्मार्ट शहरों और ज़िलों को रैकिंग दी गई।
- इस रैंकिंग के प्रथम चरण में दिल्ली के विभिन्न स्थानों से तथा दूसरे चरण में 20 राज्यों की राजधानियों से नमूने एकत्रित किये गए थे। इन नमूनों को भारतीय मानक 10500: 2012 (BIS द्वारा पेयजल हेतु निर्धारित विशिष्टता) के अनुसार परीक्षण के लिये भेजा गया।
परीक्षण के मापदंड
- ऑर्गनोलेप्टिक और फिजिकल टेस्ट (Organoleptic and Physical Tests)
- रसायनिक परीक्षण
- विषाक्त पदार्थ की उपस्थिति
- जीवाणु/बैक्टीरिया की उपस्थिति
- कुल घुलित ठोस (Total Dissolve Solids- TDS) की मात्रा
- गंदलापन (Turbidity)
- कुल कठोरता (Hardness)
- कुल क्षारीयता (Alkalinity)
- खनिज और धातु की उपस्थिति
- कॉलिफॉर्म तथा ई कोलाई की उपस्थिति
- एकत्रित नमूनों में से कई ऐसे थे जो मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित मापदंडों को पूरा करने में विफल रहे।
- दिल्ली के विभिन्न स्थानों से एकत्रित किये गए पानी के ग्यारह नमूने कई निर्धारित मानदंडों पर खरे नहीं उतरे। लेकिन मुंबई से एकत्र किये गए 10 नमूने सभी मानदंडों पर खरे पाए गए।
- हैदराबाद, भुवनेश्वर,रांची,रायपुर,अमरावती और शिमला से एकत्रित किये गए पानी के एक या उससे अधिक नमूने मानदंडों पर सही नहीं पाए गए।
- तेरह राज्यों की राजधानियों जैसे- चंडीगढ़, तिरुवनंतपुरम, पटना, भोपाल, गुवाहाटी, बंगलूरू, गांधीनगर, लखनऊ, जम्मू, जयपुर, देहरादून, चेन्नई और कोलकाता से एकत्रित किये गए पानी के नमूनों में से कोई भी निर्धारित मानकों पर सही नहीं पाया गया।
चुनौतियाँ
- विस्तारित पैकेज्ड पेयजल के कारण नल जल प्रणालियों (Tap Water Systems) में पहलों (Initiatives) की कमी।
- तेज़ी से बढ़ते शहरी समूहों में पाइप्ड पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण भूजल पर उच्च निर्भरता।
- आधिकारिक एजेंसियों में जवाबदेही का अभाव।
- गुणवत्ता परीक्षण पर सार्वजनिक क्षेत्र में आँकड़ों की कमी।
आगे का राह
- मानकों को प्राप्त करने और उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने के लिये एजेंसियों पर बाध्यकारी कानून लागू होने चाहिये।
- राज्य सरकारों को आवास, जल आपूर्ति, स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में एकीकृत दृष्टिकोण अपनाना चाहिये।
- जल प्रबंधन के लिये वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिये।
- एक ही नियमित एजेंसी पर भरोसा करने के बजाय प्रत्येक राज्य में एक अलग एजेंसी को परीक्षण कार्य सौंपा जाना चाहिये।
- जल पर डेटा को हवा की गुणवत्ता से संबंधित डेटा के समान ही सार्वजनिक किया जाना चाहिये जिससे सरकारों पर कार्रवाई करने का अधिक दबाव बनाया जा सके।